Backward Class: पिछड़ा वर्ग की सीटों की किस्मत भविष्य की मुट्ठी में कैद…

बाकी 73 फीसदी पंचायत चुनावों के परिणाम भुगतेंगे प्रशासन की कैद...

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Backward Class: पिछड़ा वर्ग की सीटों की किस्मत भविष्य की मुट्ठी में कैद…

मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने बुधवार को वह आदेश जारी कर दिया, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर अमल करते हुए बाकी 73 फीसदी सीटों पर होने वाले पंचायत चुनावों के परिणाम घोषित करने पर प्रतिबंध लगा रहा है। मामला बड़ा उलझा सा है कि मतों की गिनती होगी, किसको सबसे ज्यादा मत मिले हैं यह भी सामने होगा लेकिन जीतने का सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा।

निर्विरोध चुने जाने वाले प्रत्याशी भी न जीते न हारे, की तर्ज पर मूकदर्शक बने रहने को मजबूर होंगे। शायद पंचायत चुनाव या फिर चुनावी इतिहास में ऐसी स्थिति पहली बार बनेगी। और मतों की गणना के बाद परिणाम घोषित होने के बीच का अंतराल पंचायत क्षेत्रों में क्या-क्या गुल खिलाएगा, यह देखने वाली बात होगी। पर अभी यह दावा फिर भी नहीं किया जा सकता कि बाकी बची 27 फीसदी सीटों का क्या होगा?

यानि पिछड़ा वर्ग की इन सीटों की किस्मत भविष्य की मुट्ठी में ही कैद है। बाकी सीटों पर पंचायत चुनाव को रोक पाना शायद अब मुमकिन नहीं रहा। और यह चुनाव अब उस डरावनी फिल्म की तरह बर्ताव कर रहे हैं, जो आंखों के सामने से गुजर भी रही है और डरा भी रही है। मुश्किल यह है कि इस अधूरी फिल्म न देखने का विकल्प किसी के पास नहीं है।

 

राज्य निर्वाचन आयोग का फरमान देखें कि पंचायत निर्वाचन मतगणना का सारणीकरण तथा निर्वाचन परिणाम की घोषणा नहीं होगी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन में सभी पदों के लिये मतगणना का सारणीकरण तथा निर्वाचन परिणाम की घोषणा संबंधी कार्यवाही स्थगित रहेगी।

इस संबंध में आयोग द्वारा अलग से निर्देश दिये जायेंगे। आयोग द्वारा जारी निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार पंच और सरपंच के लिये मतदान केन्द्र और विकासखंड मुख्यालय पर की जाने वाली मतगणना तथा जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य के लिए विकासखंड मुख्यालय पर ईव्हीएम से की जाने वाली मतगणना की जाएगी। मतगणना से संबंधित समस्त अभिलेख उपस्थित अभ्यर्थियों/अभिकर्ताओं की उपस्थिति में सील बंद कर सुरक्षित अभिरक्षा में रखे जायेंगे।

किसी भी पद पर निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति निर्मित होने पर रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा अभ्यर्थी को न ही निर्वाचित घोषित किया जाएगा और न ही निर्वाचन का प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। इस आदेश का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी जिला निर्वाचन अधिकारियों को दिये गये हैं। यह सब इसलिए … क्योंकि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित पंच, सरपंच, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य के पदों की निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित की गई है। और सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि पंचायत चुनाव के परिणाम एक साथ ही घोषित होंगे।

 

कुल मिलाकर स्थितियां साफ हैं कि जिन 27 फीसदी सीटों पर पिछड़ा वर्ग का आरक्षण था, उन पर चुनाव रद्द हो चुके हैं। इन पर चुनाव कब होंगे, यह भविष्य के गर्त में है। यह समय सरकार की उस कोशिश का हिस्सा रहेगा, जिसमें इन सीटों पर पिछड़ा वर्ग का हक बरकरार रखने के लिए सरकार कानूनी लड़ाई लड़ेगी। पर यह लड़ाई कानूनी के अलावा किस हद तक लड़ी जाएगी और कितना वक्त लगेगा, यह किसी को पता नहीं है।

पिछड़ा वर्ग का हक बरकरार रह पाएगा या कुछ दूसरा फैसला स्वीकार करने को मजबूर होना पड़ेगा, यह भविष्य ही बताएगा। यानि पिछड़ा वर्ग की किस्मत भविष्य की मुट्ठी में कैद है। तो बाकी 73 फीसदी सीटों पर पंचायत चुनाव होंगे लेकिन इनका चुनाव परिणाम चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के गले की हड्डी बनकर न निगलने लायक होगा और न उगलने लायक रहेगा। यह चुनाव परिणाम प्रशासन की मुट्ठी में कैद रहेंगे।

पंचायतों का कामकाज जिस तरह अभी चल रहा है, उसी तरह तब तक चलता रहेगा जब तक कि पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव नहीं हो जाते।