Govt Interference in Contesting Elections : चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाली IAS सरकारी पेंच में फंसी!  

पंजाब सरकार ने न तो नोटिस अवधि समाप्त की और न VRS मंजूर किया! 

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Govt Interference in Contesting Elections : चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाली IAS सरकारी पेंच में फंसी!  

New Delhi : लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग मंगलवार को हो गई। इस चुनाव में कई बड़े अधिकारी भी किसी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। भाजपा ने पंजाब की बठिंडा लोकसभा सीट से आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू को अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन, पंजाब सरकार ने उनके चुनाव लड़ने में पेंच फंसा दिया। परमपाल कौर सिद्धू ने आईएएस पद से इस्तीफा देते हुए तीन महीने की नोटिस अवधि की शर्त को माफ करने का अनुरोध किया था। पर, पंजाब सरकार ने उनके इस अनुरोध को ठुकरा दिया।

पंजाब सरकार ने आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का अनुरोध भी ठुकरा दिया है और उनसे तुरंत अपना कार्यभार संभालने को कहा है। केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। लेकिन, राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारी के रूप में उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। राज्य सरकार ने कहा है कि नोटिस की अवधि में छूट केवल राज्य सरकार ही दे सकती है और वह भी तब, जब वह लिखित रूप में दर्ज कारणों से संतुष्ट हो।

इस्तीफे पर राज्य सरकार की आपत्ति 

राज्य कार्मिक विभाग की ओर से परमपाल कौर सिद्धू को पत्र भेजा गया है। उसमें कहा गया है कि आपने कहा कि आपकी माँ 81 वर्ष की हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। आपके पिता और आपके छोटे भाई दोनों की कुछ वर्ष पहले मृत्यु हो गई है। आपकी वृद्ध माँ की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। आपको तुरंत इसकी आवश्यकता है। लेकिन आप बीते कई दिनों से राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले रही हैं जो आपके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आधार को गलत साबित करता है।

सरकार के काम पर लौटने का निर्देश

राज्य सरकार ने अपने पत्र में कहा है कि राज्य में आईएएस के लिए 231 पद हैं। लेकिन, वर्तमान में केवल 192 अधिकारी ही कार्यरत हैं। इस कारण कई अधिकारियों को कई प्रभार दिए गए। इस कारण राज्य सरकार ने अभी भी नियम 16(2) के तहत आवश्यक तीन महीने की नोटिस अवधि को माफ नहीं किया है। वीआरएस स्वीकार करने के बारे में कोई आदेश भी जारी नहीं किया गया। पत्र में सरकार ने कहा है कि सिद्धू को सेवानिवृत्त या सेवा से मुक्त नहीं माना जा सकता है। इसलिए वह तुरंत अपने काम पर वापस लौटें अन्यथा उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। सरकार के इस कदम से इस आईएएस की चुनाव लड़ने के मंसूबे ठंडे पड़ गए।