सर्वे रिपोर्ट
Aging and Health Problems:बुजुर्गों पर भारी स्वास्थ्य की परेशानी ,60 फीसदी को नसीब नहीं होते डॉक्टर, 24 फीसदी बुजुर्ग अकेले रहते हैं!
दुनिया भर में लोग अधिक समय तक जीवित रह रहे हैं। आज अधिकांश लोग साठ वर्ष और उसके बाद भी जीने की उम्मीद कर सकते हैं। विश्व का प्रत्येक देश जनसंख्या में वृद्ध व्यक्तियों के आकार और अनुपात दोनों में वृद्धि का अनुभव कर रहा है।वृद्धावस्था को कई जटिल स्वास्थ्य स्थितियों के उद्भव की भी विशेषता है, जिन्हें आमतौर पर वृद्धावस्था सिंड्रोम कहा जाता है। वे अक्सर कई अंतर्निहित कारकों का परिणाम होते हैं और उनमें कमजोरी, मूत्र असंयम, गिरना, प्रलाप और दबाव अल्सर शामिल हैं।
जैविक स्तर पर, उम्र बढ़ने का परिणाम समय के साथ विभिन्न प्रकार की आणविक और सेलुलर क्षति के संचय के प्रभाव से होता है। इससे शारीरिक और मानसिक क्षमता में धीरे-धीरे कमी आती है, बीमारी का खतरा बढ़ता है और अंततः मृत्यु हो जाती है।
ये परिवर्तन न तो रैखिक हैं और न ही सुसंगत हैं, और वे केवल वर्षों में किसी व्यक्ति की उम्र से जुड़े हुए हैं। वृद्धावस्था में देखी जाने वाली विविधता आकस्मिक नहीं है। जैविक परिवर्तनों के अलावा, उम्र बढ़ना अक्सर अन्य जीवन परिवर्तनों से जुड़ा होता है जैसे सेवानिवृत्ति, अधिक उपयुक्त आवास में स्थानांतरण और दोस्तों और भागीदारों की मृत्यु।
देश भर के बुजुर्गों को लेकर किए गए हालिया सर्वे में पता चला है कि करीब 50 फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। पैसे की कमी के कारण ये लोग नियमित रूप से डॉक्टरी परामर्श नहीं ले पाते।
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ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62 प्रतिशत से अधिक है। देशभर में बुजुर्गों पर सर्वे में यह बात सामने आ रही है। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एजवेल द्वारा किए गए इस सर्वे का सैंपल साइज 10,000 था। संगठन द्वारा हाल ही में सर्वे में कुछ अहम बातें भी निकल कर आ रही है। आइए इस बारे में जानते हैं।
अस्पतालों की भीड़ बड़ा कारण
बुजुर्ग नियमित जांच के लिए अस्पतालों में जाना नहीं चाहते हैं। वहां भीड़-भाड़ वाला माहौल उन्हें बेचैन कर देता है। यही कारण है कि वह अक्सर चिकित्सकीय उपचार से वंचित रह जाते हैं। वे कहते हैं कि यदि घर की दहलीज पर स्वास्थ्य सुविधा मिलती या मोबाइल स्वास्थ्य जांच सेवाएं होतीं तो यह मेरी उम्र के लोगों के लिए मददगार होता।
बेहतर स्वास्थ्य बीमा सेवाओं का अभाव
बुजुर्गों का कहना है कि वह पूरी तरह से अपनी पेंशन पर निर्भर हैं, ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं की अत्यधिक लागत उनके लिए एक बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि अगर उनके पास कोई बेहतर बीमा सेवा होती तो शायद वह अपने इलाज का खर्च बेहतर ढंग से उठा पाते।
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सर्वे के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में शामिल 48.6 प्रतिशत बुजुर्गों ने बताया कि आर्थिक तंगी और परिवहन संबंधी चुनौतियों के कारण नियमित रूप से वे डॉक्टरों के पास नहीं जा पाते। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62.4 प्रतिशत था। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 36.1 प्रतिशत बुजुर्गों ने दावा किया कि वे आवश्यकता पड़ने पर अस्पतालों और चिकित्सकों के पास जाते हैं।
अकेलापन भी एक बड़ा कारण
सर्वे में शामिल 24 फीसदी बुजुर्ग अकेले रहते हैं। ऐसे में परिवार से अलगाव और अकेलापन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को ज्यादा बढ़ाता है। स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां सार्वजनिक और सामाजिक जीवन में बुजुर्गों की भागीदारी में सबसे बड़ी बाधा है। ऊपर से आर्थिक तंगी इसे और जटिल बना देती है। सर्वे के मुताबिक, 39 फीसदी ऐसे बुजुर्ग हैं जिनका स्वास्थ्य खराब से बहुत खराब की श्रेणी में आता है, जबकि केवल 23 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी वर्तमान स्थिति सामान्य है