Rajasthan News: अपेक्षा के अनुरूप चुनाव परिणाम नहीं आए तो CM भजन लाल शर्मा की कुर्सी खतरे में 

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Rajasthan News: अपेक्षा के अनुरूप चुनाव परिणाम नहीं आए तो CM भजन लाल शर्मा की कुर्सी खतरे में 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट 

राजस्थान में भी लोकसभा चुनाव परिणाम सारे देश की लोकसभा सीटों की मतगणना के साथ चार जून को ही आयेंगे लेकिन राज्य में इसके बहुत पहले ही चुनाव परिणामों को लेकर कई प्रकार के कयास लगाए जा रहे है। प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव कार्य सम्पन्न हो गया है और अब सभी को चार जून को आने वाले चुनाव परिणामों का इंतजार है। कयास लगाए जा रहे है कि राजस्थान में अबकी बार भाजपा को अपेक्षा के अनुरूप चुनाव परिणाम नहीं मिले तो शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की कुर्सी और उनके मंत्री परिषद के सदस्यों के सिर के ताज भी छीन सकता है!

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि इस बार राजस्थान में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी भाजपा के लिए प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीतना आसान नहीं रह गया है। साथ ही पिछले दो लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत कर अपना खाता तक भी नहीं खोल पाई कांग्रेस को उसके इंडी एलायंस के सहयोगी दलों को जीत का खाता खोले जाने की पक्की उम्मीद हैं । भाजपा पिछले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में राजस्थान की सभी 25 सीटे जीतती आई है और इस बार भी पार्टी नेतृत्व को प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाने की पूरी उम्मीद है लेकिन हाल ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान देकर कि राजस्थान में इस बार हमारी पार्टी की सीटों में एक दो सीटों की कमी हो सकती है,राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल तेज कर दी है और इससे कयासों का बाजार भी प्रदेश की गर्मी की तरह गर्मा रहा है।

हालांकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है क्योंकि पिछली दो बार के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में उसकी एक भी सीट पर जीत नही हुई लेकिन अब कांग्रेस और इंडी गठबंधन को उम्मीद है कि इस बार कम से कम सात आठ सीटों पर उसकी जीत होंगी। हालांकि कांग्रेस और सहयोगी दलों का मानना है कि करीब एक दर्जन सीटों पर वे जीत हासिल करेंगे। उनका मानना है कि दौसा,चूरू,सीकर, झुंझुनूं, नागौर,करौली धौलपुर,भरतपुर,श्री गंगा नगर, टोंक सवाई माधोपुर,बांसवाड़ा डूंगरपुर आदि ऐसी सीटें है जिन पर उन्हें चुनाव जीतने की उम्मीद है। इसके अलावा प्रदेश की अन्य सीटों पर भी कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार यदि चुनाव परिणाम के परिणाम भाजपा की उम्मीदों के प्रतिकूल आए तो उसका एक बड़ा कारण प्रदेश में इस बार कम मतदान प्रतिशत होना हैं। एक और कारण यह भी बताया जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सहित प्रदेश के बड़े नेताओं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल, कैलाश चौधरी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी आदि सभी चुनाव प्रचार के लिए अपने अपने संसदीय क्षेत्रों से बाहर ही निकल पायें।

पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव के जो भी परिणाम आएंगे, उसका असर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल में भी दिखेगा। जिन मंत्रियों के क्षेत्र में पार्टी की लोकसभा चुनाव में अच्छी परफॉर्मेंस रहेगी, उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी और जिनके परिणाम खराब आएंगे,उनको नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि प्रदेश में लोकसभा के प्रतिकूल परिणाम आए तो मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और अनके मंत्रियों पर गाज गिरेगी ।

राजस्थान में 25 लोकसभा चुनाव सीटों पर संपन्न हुए चुनावों में इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ है। प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों बाड़मेर, कोटा और बांसवाड़ा डूंगरपुर के संसदीय इलाकों में ही पिछले चुनाव की अपेक्षा अधिक वोटर्स ने मतदान में उत्साह दिखाया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों मेंसे 175 विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव की तुलना में कम वोट पड़े। इस बार सिर्फ 25 विधानसभा क्षेत्रों में ही पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में अधिक मतदान हुआ है। राजस्थान के दिग्गज नेताओं में से उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के विधान सभा क्षेत्र को छोड़ कर अन्य नेताओं यहां तक मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वसुन्धरा राजे और सचिन पायलट के विधान सभा क्षेत्रों में भी कम मतदान हुआ है। भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही बूथ प्रबंधन पर सबसे अधिक ध्यान देती आ रही है। यहां तक उसने पन्ना प्रमुख और उनके सहयोगी बना कर हर मतदाता को साधने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी जनसभाओं में बार बार पार्टी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक वोटर्स को मतदान बूथ पर लाने की कोशिश करे ताकि पार्टी की जीत का अंतर बढ़े। इधर चुनाव आयोग भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए मतदाता जागरूकता अभियान चलाता आया है। इन सभी के प्रयासों के बावजूद मतदान के प्रति मतदाताओं की अनासक्ति सवालों के घेरे में आ गई है।

राजस्थान में इस बार मतदान दिवसों में भीषण गर्मी और बड़ी संख्या में सावे शादी ब्याह का होना भी कम मतदान का बड़ा कारण बताया जा रहा है लेकिन बताया जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान में कम मतदान पर नाराजगी जताई है। यह भी बताया जा रहा है कि राजस्थान में कम मतदान प्रतिशत के यदि प्रतिकूल परिणाम आएंगे तो भजन लाल शर्मा और उनके मंत्री परिषद के कुछ सदस्यों पर गाज गिर सकती है। इस बार के चुनाव कुछ बड़े नेताओं के लिए बेचैनी का सबब बन गए है। यह बेचैनी आगामी चार जून को लोकसभा चुनाव परिणाम तक बनी रहेगी

पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पार्टी ने तय किया है कि विधायकों को यदि उनके क्षेत्र से पार्टी को बड़ी जीत मिलती है और पार्टी प्रत्याशी जीत जाता है तो जुलाई-अगस्त में संभावित मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार में उनका कद बढ़ना तय है अन्यथा उसके परिणाम भी भुगतने पड़ेंगे ।

इधर प्रदेश में भाजपा के कद्दावर नेता और भजन लाल मंत्रिपरिषद के सबसे वरिष्ठतम मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने यह बयान देकर सनसनी फैला दी है कि यदि दौसा में उनका उम्मीदवार कन्हैया लाल मीना लोकसभा चुनाव में पराजित हो जाएगा तो वे अपने वादे के अनुसार मंत्री पद छोड़ देंगे। उन्होंने सवाई माधोपुर की एक सभा में विश्वास के साथ कहा कि दौसा में भाजपा का प्रत्याक्षी कन्हैया लाल मीना कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व मंत्री और विधायक मुरारी लाल मीणा को कड़ी शिकस्त देगा। जबकि कांग्रेस का दावा सौ फीसदी इस सीट पर जीतने का है। कांग्रेस का मानना है कि मीणा गुर्जर मुस्लिम,यादव और कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स इस बार प्रदेश में नया गुल खिलाएंगे।

उल्लेखनीय है कि राज्य में पिछले साल नवंबर में हुए राजस्थान विधान सभा के चुनाव में उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी के विधानसभा क्षेत्र जयपुर के विद्याधर नगर में जीत का अंतर अधिक रहा था। इसी प्रकार दूसरे उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा के दूदू विधान सभा क्षेत्र में यह अंतर उनसे कम वोटों का था। इसके अलावा भजनलाल शर्मा मंत्री परिषद के मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में जीत का अंतर अच्छा रहा था।

इधर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा राजस्थान के चुनाव से फ्री होकर अन्य प्रदेशों में प्रवासी राजस्थानियों को साधने के लिए धुंआधार प्रचार कर पसीना बहा रहे है।

अब यह देखना है राजस्थान में भाजपा को अपेक्षा के अनुरूप चुनाव परिणाम नहीं निकले तो शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और उनके मंत्री परिषद के सदस्यों के सिर के ताज छीन सकता है अथवा भजन लाल मंत्रिपरिषद के सदस्यों को अच्छे चुनाव परिणामों का सुफल मिलेगा?