Patte ka Funda: यूं सरकार हुई दोबारा सत्तासीन
क़िस्सा 1993 का है तब मैं दमोह के तेंदूखेड़ा में अनुविभागीय अधिकारी था . क्षेत्र के स्थानीय विधायक श्री रत्नेश सालोमन राज्य शासन में कैबिनेट मंत्री थे .
एक बार तेंदूखेड़ा के विकास के लिये कुछ प्रस्ताव लेकर मैं भोपाल गया .मंत्री जी के बँगले पर मेरी भेंट स्व श्री अजीत जोगी से हुई .वे उन दिनों राज्य सभा सदस्य थे .मुझे उनसे मिलकर अच्छा लगा .
वे वाकपटु ,मेधावी और जीवंत थे .पहली बार में ही खुलकर बात हुई .उन्होंने मुझे अपने भिण्ड सहित प्रदेश भर के दौरों के अनुभव बताये.मेरे कलेक्टर की प्रशंसा की .चर्चा में उन्होंने बताया कि अगले कुछ महीनों के बाद होने वाले नगरीय चुनावों में उनकी पार्टी शहरी भूमि हीनों को आवास के पट्टे बाँटने जा रही है .वे जानना चाहते थे धरातल पर इसका असर क्या होगा ?मैंने तपाक से कहा -आप नगरीय चुनाव तो जीत जायेंगे पर विधानसभा पक्के में हार जायेंगे .क्यों भाई क्यों हार जायेंगे?उन्होंने हैरानी से पूछा .मैंने कहा -सर क्योंकि तब आपके पास बाँटने के लिये कुछ नहीं होगा .इसके अलावा जो लोग इन पट्टों में छूट जायेंगे उनके साथ वे नागरिक भी आपसे नाराज़ रहेंगे जो अतिक्रामकों को पुरस्कृत होते देखेंगे .ये कोई बढ़िया सौदा नहीं लगता .वे मुस्कुराये कुछ पल ठहरकर सोचे और पूछे -याने हमें ये पट्टे विधानसभा के समय देने चाहिये.यस सर कहकर मैंने सहमति जताई .
वे फुर्ती से उठे हाथ मिलाया और यह कहते हुए मुख्यमन्त्री जी से मिलने चले गए जो शायद उसी दिन पट्टे देने की घोषणा करने वाले थे .बाद में राजीव आश्रय योजना के नाम से ये पट्टे विधान सभा चुनाव के पहले बाँटे गए और सरकार दोबारा सत्तासीन हुई .