4 जून की मतगणना के बाद भी खत्म नहीं होगा चुनावी शोर, 6 विधानसभा सीटों के लिए हो सकते है उप चुनाव!
दिनेश निगम ‘त्यागी’ की विशेष रिपोर्ट
सात चरणों में लंबे चले लोकसभा चुनावों का थकाऊ, उबाऊ शोर गुल गुरुवार 30 मई को थम भले गया, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि लोगों को इससे निजात मिल गई। सच यह है कि 4 जून की मतगणना के बाद भी प्रदेश में चुनावी माहौल खत्म नहीं होगा। प्रदेश के आधा दर्जन विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। यदि ये जीते तो विधानसभा सीटें खाली हो जाएंगी और इनके लिए कुछ माह बाद ही वोट डालने की नौबत आ जाएगी। कांग्रेस के तीन विधायक ऐसे भी हैं, जो लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन इन्होंने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। इन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया या इनकी सदस्यता समाप्त की गई तो इन सीटों पर उप चुनाव तय है। छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक कमलेश शाह पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। यहां के लिए उप चुनाव की घोषणा शेष है। दो विधायकों विजयपुर के राम निवास रावत और बीना की निर्मला सप्रे भाजपा में शामिल हुए हैं लेकिन उन्होंने इस्तीफा न देकर संशय बरकरार रखा है। कांग्रेस ने इनके खिलाफ विधानसभा में सदस्यता समाप्त करने का आवेदन लगाने की बात कही है।
तीन दो बड़े नेताओं की सीटें हो सकती खाली
– प्रदेश के तीन बड़े नेताओं की सीटें भी खाली हाे सकती हैं। इनमें दो भाजपा और एक कांग्रेस से हैं। बुदनी से विधायक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और राज्य सभा सदस्य केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना सीट से। एक अन्य राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्वजिय सिंह राजगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। चौहान जीते तो बुदनी विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव तय है और सिंधिया, सिंह जीते तो राज्य सभा की दो सीटें खाली हो जाएंगी। राज्यसभा के चुनाव में चुनाव का शोर गुल नहीं होता लेकिन चुनाव तो होंगे ही।
इन विधायकों की सीटों पर हो सकते उप चुनाव
– कांग्रेस के सबसे ज्यादा विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें शहडोल से फुंदेलाल मार्को, उज्जैन से महेश परमार, मंडला से ओमकार सिंह मरकाम, सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा, भिंड से फूल सिंह बरैया मैदान में हैं। पुष्पराजगढ़ से विधायक फुंदेलाल मार्को का मुकाबला शहडाेल सांसद हिमाद्री सिंह से है। मार्को लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। तराना विधायक महेश परमार का मुकाबला उज्जैन में भाजपा के अनिल फिरोजिया से है। यह दूसरा मौका है, जब परमार और फिरोजिया आमने-सामने होंगे। इससे पहले साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में तराना विधानसभा से दोनों नेता आमने-सामने थे। उस समय महेश परमार ने जीत हासिल की थी। डिंडोरी से चार बार के कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम के सामने भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते हैं। कुलस्ते मरकाम को 2014 के लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं। यदि मंडला से कांग्रेस जीतती है, तो यहां भी उपचुनाव हो सकते हैं। सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा का सतना में सांसद गणेश सिंह से मुकाबला है। कुशवाह पटेल को 2023 के विधानसभा चुनाव में हरा चुके हैं। भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया भिंड में मौजूदा सांसद डाॅ. संध्या राय के सामने हैं। साफ है कि विधायक जीते तो वहां फिर चुनाव की दुंदुभी बज जाएगी।