Kishori Lal Sharma;कौन हैं किशोरी लाल शर्मा जिन्होंने अमेठी सीट से स्मृति ईरानी को दी मात !
अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हराकर पूरे देश को चौंका दिया. स्मृति की हार राहुल गांधी की पिछली हार से बड़ी है. वह1 लाख 67 हजार 196 वोट से हारीं हैं. किशोरी लाल शर्मा पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे. लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर अमेठी में देखने को मिला। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी किशोरी लाल शर्माने भाजपा की प्रत्याशी और निर्वतमान सांसद स्मृति ईरानी के खिलाफ बंपर जीत दर्ज कर ली है। ताजा आंकड़ों के अनुसार वह 1 लाख 67 हजार 196 वोट से जीत गए हैं.
शर्मा के अच्छे प्रदर्शन पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी है. प्रियंका गांधी ने ट्वीट करक कहा, किशोरी भैया मुझे कोई शक नहीं था. मुझे पूरा यूकीन था कि आप जीतोगे. अमेठी की जनता का धन्यवाद.प्रियंका गांधी ने इस सीट पर चुनाव की ज़िम्मेदारी ख़ुद संभाल ली थी. प्रियंका गांधी ने लगातार रायबरेली और अमेठी में डेरा जमा लिया था और कई नुक्कड़ जनसभाओं करते हुए किशोरी लाल शर्मा के लिए चुनाव प्रचार किया था.
अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के विश्वासपात्र हैं। 2024 के लोकसभा में उन्हें 539228 वोट हासिल हुए, जबकि स्मृति को 372032 वोट मिले। यह फाइनल आंकड़ा है। मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले केएल शर्मा ने 40 साल पहले पूर्व पीएम राजीव गांधी के साथ विधानसभा क्षेत्र समन्वयक के रूप में राजनीतिक पारी शुरू की थी। इसके पहले वह नेहरू युवा केंद्र में पदाधिकारी थे।
साल 2004 से वह सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में रायबरेली क्षेत्र में चुनाव संचालन की जिम्मेदारी निभा रहे थे। केएल शर्मा ने 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में कदम रखा था। राजीव के निधन के बाद गांधी परिवार से उनके रिश्ते पारिवारिक हो गए। जब गांधी परिवार ने यहां से चुनाव लड़ना बंद किया तो भी शर्मा कांग्रेस पार्टी के सांसद के लिए काम करते रहे।
केएल शर्मा का अक्सर रायबरेली और अमेठी में आना-जाना बना रहा। हालांकि, जब पहली बार सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में उतरीं और अमेठी से चुनाव लड़ीं तो शर्मा उनके साथ अमेठी आ गए। जब सोनिया ने राहुल के लिए अमेठी सीट छोड़ दी और खुद रायबरेली आ गईं तो शर्मा ने दोनों सीटों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। वक्त के साथ लोग कांग्रेस को छोड़ते गए, लेकिन शर्मा की निष्ठा में कोई कमी नहीं आई। कभी वह बिहार के प्रभारी रहे तो कभी पंजाब कमिटी के सदस्य बने और एआईसीसी के मेंबर भी रहे। कई बार चुनावी बागडोर उनके हाथों में रही लेकिन अब जाकर उन्हें गांधी परिवार का करीबी होने का इनाम मिला है।रायबरेली में सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में केएल शर्मा ने उनके कार्यालय में आने वाले हर एक जरूरतमंद की हरसंभव मदद की। इसके बाद के चुनावों में उनके कुशल प्रबंधन का ही नतीजा रहा कि सोनिया को शानदार जीत मिली। कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए युवा कांग्रेस के लोगों को लगाया था। तब अमेठी में किशोरी लाल को कोआर्डिनेटर बनाया गया था। उनका रायबरेली और अमेठी से 40 से ज्यादा का पुराना रिश्ता है। उन्हें घर घर में लोग जानते हैं।
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