600 Crore Scam : सांसद, कलेक्टर और अफसरों ने 600 करोड़ की बंदरबांट की
रमेश सोनी की रिपोर्ट
Ratlam : कहा जाता है कि सरकारी दफ्तरों में कागज़ कभी नहीं मरता! ऐसे ही कागजों ने एक बार फिर अपना मुंह खोला है। रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद और तत्कालीन कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा जो वर्तमान में मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के एमडी हैं,
पीएचई के कार्यपालन यंत्री डीएल सूर्यवंशी, सुधीर कुमार सक्सेना और अन्य अधिकारियों के विरुद्ध न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अलीराजपुर अर्पित जैन ने (भादवि की धारा 197, 269, 403, 406, 409 और 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।
600 Crore Scam
सांसद बनने से पहले जीएस डामोर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में उच्च पद पर थे। वे इंदौर में फ्लोरोसिस नियंत्रण परियोजना के कार्यपालन यंत्री के रूप में भी पदस्थ थे।
धर्मेन्द्र शुक्ला का आरोप हैं कि डामोर ने फ्लोरोसिस नियंत्रण एवं पाइप सप्लाई मटेरियल खरीदी और अन्य योजनाओं के नाम पर अलीराजपुर और झाबुआ क्षेत्र के करोड़ों रुपए के बिल अपने दबदबे से पास कराए। जबकि, इन योजनाओं में आदिवासी क्षेत्रों में न तो कोई फ्लोरोसिस नियंत्रण का काम किया गया और न हैंडपंप खोदे गए।
इस मामले को लेकर धर्मेन्द्र शुक्ला ने हाईकोर्ट में वर्ष 2015-17 में याचिकाएं दायर की थी। साथ ही उन्होंने वर्ष 2019 में अलीराजपुर कोर्ट में परिवाद दायर किया था।
उस समय कोरोना के चलते कोर्ट बंद रहने से बयान नहीं हो सके थे। परिवादी धर्मेन्द्र ने धारा 200 (दंड प्रक्रिया संहिता) के कथन में यह दर्शाया गया कि वह आरोपी गणेश शंकर मिश्रा को जानता है,
जो तात्कालिक कलेक्टर थे तथा आरोपी 2 डीएल सूर्यवंशी उस समय कार्यपालन यंत्री थे तथा वर्तमान में अधीक्षण यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिक विभाग खरगोन में पदस्थ हैं।
सुधीर कुमार सक्सेना तत्कालीन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के प्रमुख अभियंता थे। गुमान सिंह डामोर तत्कालीन मुख्य अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इंदौर में पदस्थ थे, जो अभी रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं।
फ्लोराईड नियंत्रण के लिए वर्ष 2006-07 में करोड़ों रुपए का फंड जारी किया गया था। यह काम आज भी पूरा नहीं हुआ और राशि खर्च हो गई, जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ और आरोपियों को फायदा हुआ है।
फ्लोराइड की समस्या आज भी जस की तस है, उसका कोई भी निदान नहीं हुआ। पाइप के लिए 14 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान किया गया था। लेकिन, कोई पाइप नहीं लगाए गए हैं। इस प्रकार अन्य मदों में भी करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया।
आर्डर सप्लाई अनुसार नहीं किया गया और करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया, लेकिन कार्य नहीं किया गया। झाबुआ जिले में 55 हैंडपंप लगना थे, जो नहीं लगे। फ्लोराइड यूनिट का भुगतान करने के बाद भी वह यूनिट नहीं लगाई गई।
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धर्मेन्द्र शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि उनके द्वारा कई पत्र उक्त विभाग और सचिव को लिखे गए, परन्तु उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। राशि का तत्कालीन कार्यपालन यंत्री,मुख्य अभियंता व प्रमुख अभियंता एवं कलेक्टर अलीराजपुर द्वारा भ्रष्टाचार कर गबन कर लिया गया। अब न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आलिराजपुर अर्पित जैन ने 17 जनवरी 2022 को न्यायालय में पेश होने का आदेश जारी किया है।