अबकी बार, एनडीए सरकार…
नरेंद्र मोदी 9 जून 2024 को शाम 7.15 बजे लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। अब विपक्ष के पास सुकून करने का यही अवसर है कि इस बार भाजपा बहुमत की मोदी सरकार नहीं बन पा रही है। इस बार एनडीए सरकार बन रही है, जिसमें मोदी को पग-पग पर गठबंधन के प्रमुख दलों संग समन्वय बनाने के अभ्यास से रूबरू होना ही पड़ेगा। मोदी का यह तीसरा कार्यकाल ठीक वैसा ही रहेगा जैसे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को 9 जून को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया है। मालदीव के राष्ट्रपति का अतिथि सूची में शामिल होना आश्चर्यजनक माना जा रहा है क्योंकि विगत दिनो मालदीव ने भारत के प्रति तल्ख रुख अपनाया था। इसी तरह अब मोदी राज में एनडीए घटक दलों द्वारा मोदी के प्रति तल्ख रूख अपनाने और मोदी का प्रेम पाने के अवसर आते रहेंगे। ऐसे ही दृश्यों की कल्पना कर विपक्ष के खेमे में खुशी है, तो मोदी के खेमे में भी हर्ष का माहौल है। जब एनडीए संसदीय दल की बैठक में नीतिश कुमार मोदी को फ्री हैंड देने की बात कहने के बाद ही उनके पैर छूने के भाव संग सम्मान देते हैं, तो मोदी का मन भी हर्षित होने का अवसर तो है ही। जब एनडीए के सांसद मिलकर मोदी-मोदी के नारे लगाएं तो मन हर्षित होना तो तय है। फिर भी बहुमत में न होने का मलाल तो रहेगा और समझौता, समन्वय और तालमेल जैसे शब्द अब शब्दकोष में जगह तो बना ही चुके हैं।
इसका एक पक्ष यह भी है कि अब कांग्रेस में हारे हुए दिग्गज भी एनडीए के नाम पर बयान देकर अपने राजनीतिक हुनर का बेहतर प्रदर्शन तो कर ही सकते हैं। जैसे कमलनाथ को ही ले लें। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ नई दिल्ली में कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी से मुलाक़ात करने पहुँचे। मुलाक़ात से पहले कमलनाथ ने कहा कि चुनाव परिणाम अच्छे हैं और मोदी सरकार को बहुमत नहीं मिला है। अब यह मोदी सरकार नहीं है एनडीए सरकार है। यहीं नहीं रुके और कमेंट किया कि पहले सरकार बनने तो दीजिये। कांग्रेस की हार के बहाने नाथ ने नकुल का भी बचाव कर लिया। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कमज़ोर प्रदर्शन के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि यहाँ पैसे और प्रशासन का दुरुपयोग किया गया है। तो अब विपक्ष के पास भी उम्मीदों का आकाश है कि पता नहीं कब छींका टूटे और भाग्य उदय हो जाए। कमलनाथ की बातों से यह भाव झलक भी रहा है।सोनिया से मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फिर चुटकी ली कि उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा की, अभी क्या किया गया और क्या किया जाना चाहिए? कहा कि मैं नायडू और नीतीश से बात नहीं करूंगा। बीजेपी दोनों से बातचीत कर रही है। फिर वही मुद्दे की बात कि अगर बीजेपी सोच रही है कि नीतीश या नायडू घर बैठ जाएंगे तो ऐसा नहीं है। अब ये बीजेपी की सरकार नहीं है.. वे सभी इसका हिस्सा हैं। और अंत में यही कि ‘मुझे नहीं लगता कि यह एक स्थिर सरकार है।’
तो मोदी की इस एनडीए सरकार में यह सब चलता रहेगा। अस्थिर होने के भाव गठबंधन दल के नेताओं के मन में भी आते रहेंगे और सरकार को अस्थिर करने की तलाश विपक्ष भी करता रहेगा। राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त नहीं है और कोई किसी का स्थायी दुश्मन नहीं है, एनडीए का वर्तमान दृश्य भी इसकी गवाही दे रहा है। नीतिश कुमार और चंद्रबाबू नायडू इसके प्रत्यक्ष गवाह हैं। पर मोदीनीत ‘एनडीए’ के स्थायित्व में भी कोई संशय नहीं है, क्योंकि मोदी में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी निखरने का हुनर है। मालदीव के राष्ट्रपति को शपथ का न्यौता देकर दुश्मन को गले लगाने की क्षमता भी है तो दोस्तों को सबक सिखाने का दमखम भी है। ‘एनडीए’ सरकार में मोदी के इस हुनर का असर देखने का इंतजार ही पक्ष-विपक्ष, देश और दुनिया को है…।