Leadership Alone is not Responsible for Defeat : ‘मध्यप्रदेश में हार कि जिम्मेदारी नेतृत्व पर डालना ठीक नहीं!’   

पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने सबको साथ बैठकर आने वाले समय के बारे में सोचना पड़ेगा!

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Leadership Alone is not Responsible for Defeat : ‘मध्यप्रदेश में हार कि जिम्मेदारी नेतृत्व पर डालना ठीक नहीं!’ 

Bhopal : कांग्रेस वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में जिस तरह के परिणाम आए, वह हम सबके लिए अफसोस की बात है। जो परिणाम अन्य राज्यों में कांग्रेस को मिले उतने अच्छे परिणाम हम लोग मध्यप्रदेश में नहीं दे पाए, यह हमारे लिए बहुत दुख की बात है। उम्मीद थी, कि जो विधानसभा में हमको जो नकारात्मक परिणाम मिले, इस बार उसे थोड़ा बेहतर करने की सबको उम्मीद थी। लगभग 7 से 8 सीट पर हमारी उम्मीद टिकी थी। लेकिन, इस बार भी बहुत बड़ी निराशा मिली। मेरे हिसाब से यह कांग्रेस के हर नेता, हर विधायक, हर पूर्व सांसद, हर पूर्व मंत्री और हर एक व्यक्ति जो कहीं न कहीं प्रभावशाली है, सबको बैठकर आने वाले समय के बारे में सोचना पड़ेगा। आखिर हम मध्यप्रदेश इतने कमजोर क्यों रह गए!

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से जो हमारा वर्तमान प्रदेश नेतृत्व है, हम उन पर पूरी जिम्मेदारी डालना भी सही नहीं है। उनको सिर्फ 6 महीने ही मिले हैं। ये सिर्फ उनकी हार नहीं है, हम सबकी है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है कि जो कांग्रेस की सोच है, कांग्रेस के विचार हैं, वो हर घर तक क्यों नहीं पहुंच पा रहे! मेरा अनुमान है कि कहीं न कहीं लाडली बहना योजना के बाद भी जिस विस्तार से और जिस बारीकी से कांग्रेस को हर महिला तक पहुंचना चाहिए था, हम नहीं पहुंच पाए। इसी का परिणाम है कि हम इस स्थिति में यहां आ गए। कांग्रेस को बहुत गहरे रूप से इस पर मंथन करना चाहिए, इसके बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाए।

जयवर्धन सिंह ने कहा कि हम इस बात के पक्ष में हैं कि राहुल गांधी जी हमारे नेता हैं। इस बार कांग्रेस पार्टी को जो अच्छी जीत मिली है। यूपी में सपा के साथ, महाराष्ट्र में जो अधिक सीट मिली हैं, राजस्थान में अधिक सीट प्राप्त हुई है और कहीं न कहीं पूरे देश में काफी बेहतर आंकड़ा सामने आया है। इसमें राहुल गांधी जी की मेहनत ही थी। पहले भारत जोड़ो यात्रा और उसके बाद न्याय यात्रा। उसी का फल कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी जी को मिला। हम सबकी और पूरे देश की मांग है कि राहुल जी आगे भी पूरी कांग्रेस की कमान संभालें, ताकि आने वाले समय में वे देश के प्रधानमंत्री बने।

उन्होंने कहा कि मैं सोचता हूं कि सबसे पहले हमारे पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी जी, उमंग सिंघार जी और जो हमारे पूर्व पीसीसी अध्यक्ष, पूर्व मंत्री सब मिलकर इस बात पर रणनीति बनाएं। इस बार हमसे शुरुआत से जो कमी रह गई, उसे पूरा करने के लिए हमारे पास 4 साल हैं। इसे हम कैसे पूरा कर सकते हैं। हमारी सोच में जो अंतर आ रहा है और हम शायद वहां तक नहीं पहुंच पा रहे। क्यों ऐसा हो रहा है। क्या हमारे प्रचार में, हमारे संगठन में क्या क्या कमियां है, जिसके कारण हमें ऐसे परिणाम मिले।

कांग्रेस विधायक ने इस बात पर जोर दिया कि बहुत गहरे मंथन की आवश्यकता है, लेकिन मुझे विश्वास है कि लोकतंत्र की कोई सीमा नहीं होती। इसमें निरंतर इसमें बदलाव होता रहता है। यही एक खासियत है लोकतंत्र की। हमारे पास आज भी समय है इसे ठीक करने के लिए। आने वाले समय में हम सब मिलकर काम करेंगे और कहीं भागेंगे नहीं, सौदा नहीं करेंगे, यहीं रहकर पुनः वापस बेहतर परिणाम आए इसके लिए जरूर काम करेंगे।

जो लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं यह उनकी निजी कमी है कि वो सत्ता के लालच के कारण या अपने खुद के स्वार्थ के कारण पार्टी को छोड़ रहे हैं। जिस पार्टी ने उनको बहुत कुछ दिया, अब कुछ कमी संगठन में है तो आप संगठन में शामिल होकर बैठकों में शामिल होकर संगठन को और मजबूत करने के लिए बात करें। मेहनत करें प्रयास करें लेकिन भागकर दूसरी पार्टी में शामिल होना यह तो कायरता होती है।