Mhow News: 13 जून को मनेगा इन्फेंट्री स्कूल चर्च में ऐतिहासिक संत अंतोनी पर्व,दूर-दूर से आएंगे- भक्तगण 

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Mhow News: 13 जून को मनेगा इन्फेंट्री स्कूल चर्च में ऐतिहासिक संत अंतोनी पर्व,दूर-दूर से आएंगे- भक्तगण 

दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट 

Mhow: महू के इन्फेंट्री स्कूल क्षेत्र के अंतर्गत प्राचीन चर्च में हर साल चमत्कारी कहे जाने वाले संत अंतोनी का पर्व 13 जून को मनाया जाता रहा है। इस साल भी गत 4 जून से चल रहे नोवेना कार्यक्रम का समापन भी 13 जून को होगा। विद्वानों द्वारा उपदेश देने के बाद संत अंतोनी का डोला परिसर में घुमाया जाएगा। इसमें हजारों लोग उपस्थित होकर मन्नत मांगते हैं।

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*संत अंतोनी को चमत्कारी क्यों मानते हैं?*

इस मामले में राजेश्वर विद्यालय महू की पूर्व शिक्षिका ट्रीजा हाजिस बताती हैं कि संत अंतोनी का जन्म पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में 15 अगस्त 1195 में एक अमीर घराने में परिवार में हुआ था। अंतोनी बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वह 15 साल की आयु में ही संत अगहस्तीन के मठ में भर्ती हो गए और वहां दीन दुखियों के प्रति सेवा करने लगे थे। हालांकि उनकी मदद करने के लिए उनके पास कुछ नहीं था, इसलिए वह अपने हिस्से की रोटी बचाकर उन्हें दे दिया करते थे। धीरे-धीरे धर्म ग्रंथ का सूक्ष्म और गहन अध्ययन करने के कारण वे विद्वान और प्रतिभाशाली वक्ता बन गए।

 

भक्ति में लीन होकर वह अलौकिक शक्तिपुंज संत अंतोनी कहलाए। कहते हैं वे समुद्र के पास जाकर मछलियों से भी बातें किया करते थे। बताते हैं एक बार उनके पिता किसी मुसीबत में पड़ गए। पिता की मदद करने घर जाना संभव नहीं था। इसलिए उन्होंने उनकी मदद अद्भुत शक्ति रीति से जाकर की। जब बाद में लोगों को पता चला कि अंतोनी तो मठ में ही हैं, फिर वह यहां कैसे आए थे….! लोग उनके चमत्कार का लोहा मानने लगे।

*36 साल की उम्र में निधन*

सच है जब अपनी आस्था और भक्ति के द्वारा मनुष्य अपने आप को ईश्वर के साथ इतना आत्मसात कर लेता है, तब उसके द्वारा चमत्कार होना संभव हो जाता है। यही चमत्कार उनके पास था। अफसोस अपनी युवावस्था में ही बीमारी के कारण 13 जून 1231 में 36 वर्ष की अल्पायु में उनका स्वर्गवास हो गया। 17 जून मंगलवार को जब उन्हें दफनाया गया तब उस दिन कई लोगों ने चंगाई और चमत्कार का अनुभव किया। तब से 13 जून मंगलवार को उनकी पुण्यतिथि का स्मरण दिवस मनाया जाता है।

महू में बरसों पहले इन्फेंट्री स्कूल में मद्रास रेजीमेंट के सैनिकों के लिए सन्त अंतोनी के नाम से एक छोटे से गिरजाघर की स्थापना की गई थी। इसी गिरजाघर में 13 जून को हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। सुबह से शाम तक लोग प्रार्थनाओं में भाग लेकर संत अंतोनी से अपनी मन्नतों को मांगते हैं, उसे पूरा करने की प्रतिज्ञा करते हैं। खोई वस्तुओं की प्राप्ति, दुष्ट आत्माओं से छुटकारा, अंधों को दृष्टि, बेगानाहों को मदद, बीमारियों से चंगाई, भटके हुए को मार्गदर्शन तथा विवाह के लिए जोड़ों से मिलाने आदि कई चमत्कारी शक्तियां प्राप्त हुई है।