Young Artist : बोहरा समाज अनुयायी की पहल पर धर्मगुरु को भेंट करने 17 वर्षीय गौरांग ने बनाया एरोप्लेन!
Ratlam : हां हम बात कर रहें हैं मध्य प्रदेश के रतलाम शहर के एक सिद्धहस्त कलाकार परिवार की। जो जाती से स्वर्णकार होकर रजत के विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां जिसमें विशेषत मंदिर के दरवाजों पर चांदी की नक्काशी, भगवान के आभूषण जिसमें मुकुट, छत्र और कु़ंडल हैं इसके साथ ही अन्य कलाओं में पारंगत और विशेषकर लकड़ी की कलाकृतियां बनाना उनका शोक था जो बाद में व्यवसाय में तब्दील हो गया।
स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण सोनी किसी परिचय के मोहताज नहीं थे अपने जमाने के सिद्धहस्त कलाकार रहते हुए उन्होंने कला के क्षेत्र में ऐसी-ऐसी कलाकृतियां उकेरकर प्रदेश भर में रतलाम का नाम रोशन किया था। लक्ष्मीनारायण सोनी ने जाते-जाते अपनी कला की ऐसी छाप छोड़ी की उनकी विरासत में दी गई कला को जीवित रखा उनके पोत्र और परपोत्र ने।
आज लक्ष्मीनारायण सोनी नहीं रहें लेकिन उनके संस्कार और कला की जीती-जागती मिसाल वह अपने पोतों और परपोते में छोड़ गए जो भले ही लकड़ी का काम नहीं करते लेकिन विरासत में मिली अपने परदादा की कला को सोने चांदी की कलाकृतियों में तब्दील कर दिया।
स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण सोनी के 5 सुपुत्रों में से सबसे बड़े सुपुत्र श्यामलाल हैं जो पेशे से स्वर्ण व्यवसाई हैं जिनके 3 सुपुत्र हैं, पहले सुपुत्र रमेश सोनी हैं जो 61 वर्षीय हैं, रमेश ने अपने जीवन में स्वर्ण आभूषण निर्माण में समाज के सौ से अधिक बच्चों को स्वर्ण आभूषण निर्माण में पारंगत किया और सन् 2003 से पत्रकारिता जगत में कदम रखा और आज पत्रकारिता क्षेत्र में ही व्यस्त हैं।
श्यामलाल के दुसरे नम्बर के बेटे का नाम राजेश सोनी हैं जिन्होंने अपनी 58 वर्ष की उम्र में कई कलाओं में निपुण होकर अपना तथा परिवार का नाम देशभर में रोशन किया।
राजेश के हाथ की कलाकृतियां में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तथा अन्य कई मंत्रियों तथा देश के विख्यात जैन मुनि साधु संत और भगवान सहित अन्य लोगों की कलाकृतियां उकेरकर भेंट की।
अब हम बात करें श्यामलाल के तीसरे सुपुत्र कमलेश की जो स्वर्ण व्यवसाय में पारंगत हैं और उनका अपना स्वर्ण, रजत व्यवसाय हैं। उनके एक सुपुत्र हैं जिसका नाम गौरांग हैं, बीकॉम प्रथम वर्ष में अध्ययनरत 17 वर्षीय गौरांग को कलाकृतियां उकेरने का बेहद शौक है वह पेंटिंग, स्वर्ण आभूषण पर कलाकृतियां उकेरने के अलावा अपने पिता के कार्य में हाथ बंटाते हैं। इन दिनों रतलाम में बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब आएं हुए हैं।
जिनके एक अनन्य अनुयाई ने कमलेश सोनी के समक्ष सैयदना साहब को स्वर्ण कोटेड पानी में चलने वाला जहाज बनाने की बात रखी इस पर कमलेश सोनी ने सहर्ष स्वीकार किया और 5-6 दिनों में पानी का एरोप्लेन बनाकर ग्राहक को सौंपा जिसे ग्राहक ने बोहरा समाज के धर्मगुरु सैयदना साहब को भेंट किया जिसे देखकर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने कलाकृति को बहुत सराहा।
हां, क्रिस सोनी द्वारा धर्मगुरु के लिए अपने ग्राहक के आर्डर पर चांदी और गोल्ड प्लेटेड एरोप्लेन बनाने में 153 ग्राम चांदी, 1 ग्राम 530 मिली ग्राम सोना, 4 अमेरिकन डायमंड का उपयोग किया गया। इसकी लम्बाई 10 इंच, चौड़ाई 8 इंच और उंचाई 12 इंच है। इस एरोप्लेन को बनाने के बाद उसमें एक मोटर लगाई गई जो कलाकृति को चंहुओर घुमाती हैं। यह कलाकृति मुल्ला शब्बीर भाई कुर्ला वाला के आर्डर पर पर बनाई गई। जिसे शब्बीर भाई ने धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब को भेंट की।