बिना ओबीसी आरक्षण न हों पंचायत चुनाव

वक्त और मिशन-2023 की मांग यही है ...

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आखिरकार पंचायत निपट गई और मध्यप्रदेश की कैबिनेट ने मंशा जता दी है कि बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराने के लिए सरकार तैयार नहीं है। सरकार के लिए बिना ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव स्वीकार करना मुसीबत मोल लेने के अलावा कुछ भी नहीं है। वह भी तब जब कांग्रेस इस बात पर उतारू है कि ओबीसी का हितैषी तय होकर रहेगा। और वैसे भी ओबीसी मतदाता अब प्रदेश के चुनावों में निर्णायक भूमिका अदा करने वाले हैं।
जिस तरह कभी उत्तर प्रदेश में बसपा और इसके संस्थापक रहे काशीराम ने दलित हितों की बात कर दलित मतदाताओं के नाम पर कई बार सरकार बनाने में सफलता हासिल की थी। तो मुलायम सिंह यादव ने पिछड़े अगड़े की बात कर समाजवादी पार्टी की सरकारें बनाईं और पुत्र अखिलेश यादव भी मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए। ठीक उसी तरह अब मध्यप्रदेश में सरकार बनाने में ओबीसी वर्ग की भूमिका अहम होने वाली है।
और ओबीसी वर्ग के हितों को देखते हुए यह जरूरी है कि पंचायत चुनाव रद्द हों वरना यह मुद्दा 2023 में भी उछल कूद किए बिना नहीं रहेगा। और मुश्किल की बात यह भी कि इसके बाद नगरीय निकाय चुनाव में भी सरकार को फिर इसी मुसीबत से जूझना बड़ी तकलीफ है। तो मध्यप्रदेश के लिए वक्त और मिशन-2023 की मांग यही है कि ओबीसी को आरक्षण दिए बिना कोई चुनावी पंचायत न हो। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा सरकार और संगठन दोनों को ही इस फैसले से दूर-दूर तक लाभ मिलेगा, यह तय है।
वैसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद लगातार यही वातावरण बन रहा है कि बिना ओबीसी आरक्षण के किसी पंचायत में न पड़ा जाए। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कोरोना की तीसरी लहर और मामलों में लगातार बढोतरी होने को लेकर चिंता जताई और पंचायत चुनाव न हों, यह मंशा भी जताई।
तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने भी ओमिक्रॉन, तीसरी लहर के चलते पंचायत चुनाव टालने का मत व्यक्त किया। और अब इंदौर में कई मामले सामने के बाद और महाराष्ट्र में नवोदय विद्यालय में 48 बच्चों सहित 51 मामले आना संकट की आहट का संकेत तो है ही। दूसरी लहर की गलती का खामियाजा अब भी हमें रूलाने से पीछे नहीं हटता।
और अब तो ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी अपना जन्मदिन वर्चुअली मनाने का फैसला कर लिया है। सभी से निवेदन किया है कि सोशल प्लेटफार्म पर ही उन्हें जन्मदिन की बधाई प्रेषित करें और वह कोरोना की तीसरी लहर के चलते 29 दिसंबर को अपने जन्मदिन पर किसी से नहीं मिलेंगे।
यहां तक तो सब ठीक है लेकिन सरकार वाकई कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चिंतित है, तो अब वह कठोर कदम उठाने का वक्त भी आ गया है। जब सारे स्कूल एक बार फिर पूरी तरह से ऑनलाइन क्लास संचालित करें। सारे पर्यटक स्थलों पर भीडभाड़ पर प्रतिबंध लगे। बाजारों में कम से कम भीड़ दिखे।
और कार्यालयों में सावधानियां बरतने का लहजा वही हो, जो दूसरी लहर के विस्फोट के बाद मजबूरी बन गया था। सिर्फ़ यह कहने से काम चलने वाला नहीं है कि दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी। या सेनेटाइजर का उपयोग जरूर करें, मास्क लगाएं। तो सब पंचों का मत यही है और सही है कि बिना ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव न हों और कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए भी सख्ती से उपायों पर अमल भी हो।