फिल्म समीक्षा : हमारे 12 – सभी भटके हुए और अतार्किक

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फिल्म समीक्षा : हमारे 12 – सभी भटके हुए और अतार्किक

हमारे बारह फिल्म का एक पोस्टर है जो फिल्म का मजमून बता देता है। दाढ़ी-टोपी-शेरवानी वाले अन्नू कपूर के पीछे दो बुर्काधारी गर्भवती महिलाएं और कुछ अन्य स्त्रियां खड़ी हैं, जिनके हाथ बंधे हुए हैं और होंठ धागे से सिले हैं। लंबे विवादों में रही ‘हमारे बारह’ को आखिर सिनेमाघरों तक पहुंचने की इजाज़त कोर्ट से मिल गई। कोर्ट के आदेश से फिल्म के कुछ दृश्य  हटाए गए और डिस्क्लैमलर लगाना पड़ा। कोर्ट के ही आदेश से जो संवाद हटाए नहीं गए उन्हें म्यूट करना पड़ा।  अगर फिल्म में मुस्लिम समाज को टारगेट नहीं बनाया जाता तो शायद यह गंभीर फिल्म होती।  निर्माता का महिला सशक्तिकरण और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों का दावा सही होता। गर्भपात पर महिला के अधिकार पर विमर्श होता।

‘देश का विकास सरकार की जिम्मेदारी है और परिवार का विकास पुरुष की जिम्मेदारी’ – यह मानना है लखनऊ के नवाब साहब का।  वे सरकारी व्यवस्था को तो ज़रूरी मानते हैं लेकिन सरकारी नियम-कायदों को नहीं। उन्हें बच्चों से बहुत प्यार है, पर प्रवृत्ति अड़ियल है और बच्चों को मनचाही पढ़ाई नहीं करने देते।  ग्यारह बच्चे हैं, बारहवां आने की राह में है। आधे दर्जन बच्चों की खेप के बाद पहली बेगम की मौत बच्चा जनते समय हो गई।  दूसरी बेगम आधी उम्र  की है और चार के बाद पांचवीं उम्मीद में मरणासन्न है।  यह गर्भ उनकी पत्नी के लिए जानलेवा है, बच्चे को जन्म देने के बाद उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। नवाब साहब को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। नहीं मान रहे। कहते हैं इस्लाम में गर्भपात पाप है।  पिता की मनमानी से तंग आकर नवाब साहब की बेटी अल्फिया अपनी छोटी मां की जान बचाने के लिए कोर्ट जाने का फैसला करती है।  

मनोज जोशी ने इसमें वकील साहब को भूमिका की है।  वे भी मुस्लिम हैं और उनके दो बच्चे हैं। बेटी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही है। भले और प्रगतिशील हैं। लेकिन उनके चरित्र पर फिल्म नहीं है। अपवाद यानी नवाब साहब  पर है। फ़िल्मका र ने मान लिया है कि केवल मुसलमानों के ही दर्जन भर बच्चे होते हैं। लालू यादव के 9 और शोभा डे के 6 बच्चे हैं, शायद उन्हें पता नहीं होगा। 

 

अन्नू कपूर अपने आप में ओवर एक्टिंग की दुकान हैं और पूरी  फिल्म में पकाते  हैं।  बात-बात में घर पर भी अल्ला हू अकबर बोलते हैं। ऐसा कौन बोलता है भाई?

मैंने यह फिल्म देखकर रुपये और वक्त बर्बाद किया। आप भी करना चाहें तो कौन रोक सकता है? अल्ला हू अकबर !

अझेलनीय फिल्म है।