Noorjahan Mango: मौसम की मार का दुष्प्रभाव कट्ठीवाड़ा के नूरजहाँ आम पर, बचा है केवल एक पेड़ जहां मात्र 15-20 आम ही लगे
अनिल तंवर की रिपोर्ट
कठीवाडा जहाँ अपने प्राकृतिक सौन्दर्य , झरनों, घने वन और जंगली पशु पक्षियों के लिए जाना जाता है वही यह विभिन्न आमों की प्रजातियों के लिए भी प्रसिध्द है .
वजन में तो नूरजहाँ आम का कोई मुकाबला ही नहीं है . साठ – सत्तर के दशक में इसका वजन 4 से 5 किलोग्राम प्रति आम होता था . पेड़ पर लदे आमों के वजन से डालियाँ टूटने की स्थिति हो जाती थी और इन्हें सहारा देना होता था . उस वक्त पेड़ छोटे थे तो आम भी कम संख्या में लगते थे . धीरे – धीरे पेड़ बड़े होते गए , फलों की संख्या बढ़ती गई और वजन में कमी आकर यह 2.5 से 3.5 किलो तक सीमित हो गए .
जब मौसम अनुकूल रहता है तो इस आम की फसल अच्छी आती है किन्तु इस वर्ष प्रकृति की मार ने सैकड़ों की संख्या को दहाई तक सीमित कर दिया .
इस आम की प्रसिद्धि इतनी है कि फल आने के पूर्व से ही अग्रिम बुकिंग हो जाती है तथा दूर दूर से व्यक्ति इन्हें लेने के लिए यहाँ आते है . उपलब्धता के अनुसार आम का दाम भी 1000 रू. से 2500 रू. तक चला जाता है.
नूरजहाँ फ़ार्म हाउस के स्वामी शिवराजसिंह इस सम्बन्ध में बताते है कि यदि इस वर्ष प्रकृति कहर ने उनके बगीचे में लगे विभिन्न किस्मों के सभी आमों के पेड़ों पर असर डाला है तो उत्पादन बहुत कम हुआ है . सबसे ज्यादा प्रभाव नूरजहाँ आम पर हुआ है और मात्र 15-20 आम ही लगे है.
यहाँ कुल 8 पेड़ है तथा केवल एक पेड़ पर ही आम लगे है . ठाकुर शिवराजसिंह जादव के बगीचे में 5 पेड़ तथा भरतसिंह के यहाँ 3 पेड़ है , नए पौधे विकसित करने के बहुत प्रयास किए गए किन्तु सफलता प्राप्त नहीं हुई .