Nursing College Scam : नर्सिंग कॉलेजों की गलत रिपोर्ट के मामले में 4 प्रोफेसरों और 7 नर्सिंग स्टाफ और अन्य को नोटिस!

अनुपयुक्त कॉलेजों की झूठी रिपोर्ट देने का आरोप, 10 दिन में जवाब मांगा!

178

Nursing College Scam : नर्सिंग कॉलेजों की गलत रिपोर्ट के मामले में 4 प्रोफेसरों और 7 नर्सिंग स्टाफ और अन्य को नोटिस!

Indore : नर्सिंग कॉलेजों के संचालन को लेकर गलत जांच रिपोर्ट तैयार करने पर

एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने चार एसोसिएट प्रोफेसरों, सात नर्सिंग शिक्षकों और सरकारी नर्सिंग कॉलेज के एक नर्सिंग स्टाफ सदस्य के साथ स्कूल ऑफ़ नर्सिंग के अधिकारी को आरोप पत्र जारी किया।

नर्सिंग कॉलेज के निरीक्षण के दौरान यह अधिकारी निरीक्षक थे और इनके खिलाफ गलत रिपोर्ट बनाने का आरोप है। कॉलेज प्रशासन द्वारा जारी आरोप पत्र में इन अधिकारियों के स्पष्टीकरण मांगा गया है कि निरीक्षण के दौरान कॉलेजों में सभी नियमों का पालन कैसे बताया गया था। जबकि, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच से संकेत मिलता है कि इन कॉलेज में कई खामिया है और यह अनुपयुक्त श्रेणी में आते हैं।

बताते हैं कि जवाब देने के लिए दस दिन का समय दिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त के निर्देश के बाद यह कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई इंदौर सहित राज्य भर के नर्सिंग कॉलेजों से जुड़े घोटाले और रिश्वतखोरी मामले के खुलासे के बाद हुई। सीबीआई अधिकारियों को भी उनकी जांच के दौरान रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इससे संबंधित जानकारी की भी सरकारी स्तर पर समीक्षा की गई।

इन्हें दिए गए हैं नोटिस 

– डॉ अक्षरादित्य शुक्ला, एसोसिएट प्रोफेसर (एमजीएम मेडिकल कालेज)

– डॉ रामू ठाकुर, एसोसिएट प्रोफेसर (एमजीएम मेडिकल कॉलेज)

– डॉ धर्मेंद्र राजपूत, एसोसिएट प्रोफेसर (एमजीएम मेडिकल कॉलेज)

– डॉ संजय महाजन, एसोसिएट प्रोफेसर (एमजीएम मेडिकल कॉलेज)

– रेखा मदनी, नर्सिंग टीचर (नर्सिंग कॉलेज)

– हिल्डा डेविड, नर्सिंग टीचर (नर्सिंग कॉलेज)

– उमा पोरवाल, नर्सिंग टीचर (नर्सिंग कॉलेज)

– टीना नेपथानी, नर्सिंग टीचर (नर्सिंग कॉलेज)

– भावना कनौजिया, नर्सिंग टीचर (नर्सिंग कॉलेज)

– कृष्णा पिल्लई, नर्सिंग टीचर (स्कूल आफ नर्सिंग)

 

कॉलेज के मानदंड पूरे नहीं, फिर भी मंजूरी 

इनके द्वारा इंदौर के 26 नर्सिंग कालेजों में से कुछ को उपयुक्त माना गया, जबकि अन्य को अनुपयुक्त की श्रेणी में रखा गया है। यह भी सामने आया है कि कुछ कॉलेज, जो आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं करते थे, फिर भी उन्हें मंजूरी दे दी गई।