Terror of Monkeys:पचमढ़ी में बंदरों का आतंक,60 टूरिस्ट को काटा,कार से एक लाख रुपए से भरा बैग लेकर भागे
*संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की खास रिपोर्ट*
पचमढ़ी। प्रदेश ही नहीं वरन देश के प्रमुख पर्यटन स्थल पचमढ़ी में पर्यटकों बंदरों के आतंक से लगातार परेशान हो रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले करीब एक महीने में 60 से ज्यादा पर्यटक बंदरों के शिकार हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल का मुंह देखना पड़ा है।
क्या आपने कभी सुना कि बंदर भी पैसे चुरा लेते हैं लेकिन पचमढ़ी कि अगर हम बात करें तो यह बात सही साबित होती है जहां आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि पचमढ़ी हिल स्टेशन में बंदर पर्यटक के ₹100000 का बैग लेकर फरार हो गया।महाराष्ट्र से आए इस टूरिस्ट की मदद अगर लोकल लोगों ने नहीं की होती तो शायद यह धनराशि उन्हें वापस नहीं मिलती।लोकल लोगों की मदद से जैसे तैसे बंदर ने नोट बिखेरे। यह सारे नोट पांच 500 के थे जिन्हें बाद में लोगों ने इकट्ठे कर टूरिस्ट को वापस किए ।
इतना ही नहीं बंदरों के आतंक से एक युवती को इतना भारी पड़ा की उन्हें एक एक सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इस युवती को तो हाथ में इतना गहरा काटा कि डॉक्टरों को उसके पैर की चमड़ी काटकर हाथ पर लगानी पड़ी।
बताया जाता है कि लाल मुंह के बंदर को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट से अलग कर दिया गया है। लाल मुंह का बंदर काटता है या हमला करता है तो अब पीड़ित का कोई भी इलाज वन विभाग द्वारा नहीं कराया जाता है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन के पहले सहयोग राशि और इलाज दिए जाते थे। अब कलेक्टर के जरिए से दिलवाने की खबर कही सुनी जा रही है।
जानकार पर्यटकों के ही मध्य यह चर्चा भी सुनी गई कि बंदर प्रायः एग्रेसिव नेचर के नहीं होते हैं। पर टूरिस्ट भी प्रायः बंदरों को खाने का सामान देते हैं, इसलिए उनकी आदत पड़ जाती है और खाना न मिलने पर हमला कर देते हैं। लोकल लोगों ने बताया कि अब पर्यटकों से यह बोला जा रहा है कि बंदरों को खाने – पीने का कोई भी सामान नहीं देवें। ज्ञात रहे कि अब धूपगढ़ में खाने की कोई भी चीज ले जाने पर भी रोक लगा दी गई है। प्लास्टिक बोतल पर भी बैन है। अलबत्ता पर्यटक स्टील की बोतल में पानी साथ ले जा सकते हैं।