New Post Sanctioned: IPHS अनुसार MP में स्वास्थ्य संस्थाओं में 46 हज़ार 491 नवीन पदों की स्वीकृति

सशक्त आत्मनिर्भर प्रदेश की आधारशिला है नागरिकों का स्वास्थ्य

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New Post Sanctioned: IPHS अनुसार MP में स्वास्थ्य संस्थाओं में 46 हज़ार 491 नवीन पदों की स्वीकृति

भोपाल:आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश विज़न में भारतीय लोक स्वास्थ्य मानकों के आधार पर स्वास्थ्य संस्थाओं में मानव संसाधन की पूर्ति करना प्रदेश की सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा गया है। सशक्त आत्मनिर्भर प्रदेश के लिए नागरिकों का स्वास्थ्य आधारशिला है। गुणवत्तापूर्ण लोक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रदान सुनिश्चित करना इसके लिए महत्वपूर्ण है। इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिये आई.पी.एच.एस. मानक निर्धारित किये गये हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के विजनरी नेतृत्व और उप मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल की प्रतिबद्धता से प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने के सतत प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में कैबिनेट ने स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त करने के लिए संशोधित मानव संसाधन मानदंडों (आईपीएचएस) को मंजूरी दी है।

राज्य स्तरीय मानक अनुसार स्वास्थ्य संस्थाओं में 46 हज़ार 491 नवीन पदों (नियमित/संविदा/आउटसोर्स) के सृजन की स्वीकृति दी गयी है। इनमें 27 हज़ार 838 पदों की पूर्ति एन.एच.एम. अंतर्गत तथा शेष 18 हज़ार 653 पदों की पूर्ति स्वास्थ्य विभाग द्वारा आगामी 2 वित्तीय वर्षों में की जायेगी।

इनमें 518 चिकित्सा अधिकारी, 854 विशेषज्ञ, 4 हज़ार 423 नर्सिंग अधिकारी, 894 लैब तकनीशियन, 85 फिजियोथेरेपिस्ट, 626 ओटी तकनीशियन, 51 काउंसलर, 33 अस्पताल प्रबंधक, 45 अस्पताल अधीक्षक, 16 हज़ार 985 बहु-कुशल समूह डी कार्यकर्ता, 9 हज़ार 366 एएनएम, 165 एलएचवी, 10 हज़ार 179 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, 336 कंप्यूटर ऑपरेटर, 114 अस्पताल सहायक, 1 हज़ार 705 कोल्ड चेन और वैक्सीन लॉजिस्टिक सहायक और 112 वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी के पद शामिल हैं।

स्वास्थ्य संस्थानों में पूर्व में स्वीकृत 47 हज़ार 949 नियमित पद स्वीकृत थे। कैबिनेट ने स्वास्थ्य संस्थानों के लिए नवीन 18 हज़ार 653 (जो लगभग 39 प्रतिशत की वृद्धि है) से कुल 66 हज़ार 602 नियमित पद हो जाएँगे। प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 7 हज़ार 182, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 5 हज़ार 346, सिविल अस्पतालों में 2 हज़ार 712 और जिला चिकित्सालयों में 3 हज़ार 458 नवीन पद की स्वीकृति कैबिनेट द्वारा प्रदान की गयी है।

24 घंटे क्रियाशील होंगे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

समस्त स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य जाँच सुविधा के प्रदाय में होगी सहूलियत

आई.पी.एच.एस. की अनुसंशा अनुसार मानव संसाधन की उपलब्धता से मध्यप्रदेश में समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को 24*7 क्रियाशील रखा जा सकेगा। समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 24*7 प्रसव सुविधाएँ उपलब्ध की जा सकेंगी। समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में आवश्यक औषधियाँ एवं आवश्यक पैथोलॉजी जांचे और आवश्यक प्राथमिक उपचार एवं रेफ़रल सेवाएँ सुनिश्चित हो सकेंगी ।

समस्त विकासखंडो में क्रियाशील होंगे ब्लड बैंक

समस्त सिविल अस्पताल एवं जिला चिकित्सालयों में आवश्यक नैदानिक जांचे जैसे एक्स रे, सोनोग्राफी एवं सी टी स्कैन प्रदान की जा सकेंगी। समस्त विकासखंडो में क्रियाशील ब्लड बैंक संचालित किये जा सकेंगे। समस्त शासकीय चिकित्सालयों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक के अनुसार तैयार किया जा सकेगा जिससे केंद्र सरकार से अतिरिक्त इंसेंटिव राशि प्राप्त हो सकेगी ।

बीमारियों का समय से चिन्हांकन होगा

मरीज के स्वास्थ्य पर प्रभाव होने से पहले इलाज करने में सहायता होगी एवं बीमारियों की पहचान करने के लिए स्क्रीनिंग तथा निदान के बाद बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए प्रबंध करना संभव हो सकेगा। संचारी एवं असंचारी रोग तथा अन्य गंभीर बीमारी जैसे मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस, हार्ट अटैक, पैरालिसिस आदि का गुणवत्तापूर्ण इलाज संभव हो सकेगा।

नवजात एवं शिशु मृत्यु दर में आएगी कमी 

गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच, टीकाकरण, हाईरिस्क प्रेगनेंसी की शीघ्र पहचान एवं प्रबंधन, सुरक्षित प्रसव एवं परिवार कल्याण संबंधी परामर्श/पीपीआईयूसीडी की सुविधा सुलभ होगी। इससे लंबे समय में मातृ मृत्यु दर में गिरावट लाने में सफलता हासिल होगी। आवश्यक नवजात शिशु देखभाल, शीघ्र स्तनपान, टीकाकरण, कमजोर/बीमार शिशु की शीघ्र पहचान एवं प्रबंधन समुदाय के समीप उपलब्ध होगा। प्रदेश में नवजात एवं शिशु मृत्यु दर तथा सकल प्रजनन दर में कमी लाई जा सकेगी।

मेडिकल रिकॉर्ड का डिजीटाईजेशन

समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में डाटा डिजीटाईजेशन की दिशा में ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर संचालित किया जाने में नवीन पद सहायक होंगे। रोगियों को ऑनलाईन पंजीकरण की सुविधा प्राप्त हो सकेगी तथा मरीजों का रिकॉर्ड (डिस्क्रिपशन, जांच तथा अन्य) का भी डिजिटल संग्रहण किया जा सकेगा। रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड का डिजीटाईजेशन का कार्य किया जा सकेगा। समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में ई-फाईलिंग सिस्टम, सी.सी.टी.वी., पी.एस. सिस्टम इत्यादि जैसे आई.टी. टूल्स का उपयोग किया जा सकेगा।