MP News: जंगलों में लगातार बढ़ रही आग की घटनाएं, 3 साल में 30 हजार मामले, करोड़ों का नुकसान

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MP News: जंगलों में लगातार बढ़ रही आग की घटनाएं, 3 साल में 30 हजार मामले, करोड़ों का नुकसान

 

भोपाल: राज्य सरकार एक ओर पूरे प्रदेश में एक पेड़ मां के नाम अभियान शुरु कर रही है वहीं दूसरी ओर हर साल जंगलों में लगने वाली और असामाजिक तत्वों द्वारा लगाई जाने वाली आग पर लगाम नहीं लगा पा रही है। पिछले तीन वर्षो में प्रदेश के जंगलों में आग लगने की 30 हजार 901 घटनाएं हुई है जिनमें करोड़ों की वन संपदा नष्ट हो गई। सर्वाधिक चार हजार 277 स्थानों पर रायसेन जिले के जंगलों में आग लगी है।

रायसेन जिले के जंगलों में वर्ष 2022 में 1708 बार, वर्ष 2023 में 1486 बार और 2024 में 1083 बार आग लगने की घटनाएं हुई है। प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाओं के मामले में सतना जिला दूसरे स्थान पर है यहां पिछले तीन वर्षो में 3 हजार 351 आगल लगने की घटनाएं हुई। बैतूल जिले के जंगलों में सागौन के पेड़ काफी मात्रा में है। यहां 2 हजार 183 अग्नि दुर्घनाएं सामने आई है। बालाघाट भी प्रचुर वन संपदा के लिए जाना जाता है यहां भी काफी मात्रा में ईमारती लकड़ी के पेड़ है। यहां एक हजार 383 बार आग लगने की घटनाएं हुई है। छतरपुर में एक हजार 54, छिंदवाड़ा में 1140, डिंडौरी में 1942, खंडवा में 2305, मंडला में 1033, रीवा में 1448, सीधी में 720 अग्नि दुर्घटना की घटनाएं हुई है। प्रदेश के सभी 53 जिलों के जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुई है।

इमारती लकड़ी और बहूमूल्य वन संपदा की कटाई-चोरी छुपाने लगती है आग-

प्रदेश के बालाघाट, बैतूल सहित कई जिलों में ईमारती लकड़ी देने वाले सागौन के पेड़ बहुतायत में पाए जाते है। इसके अलावा कई जगह महुंआ और अन्य वन संपदा, औषधीय पौधे पाए जाते है। ईमारती लकड़ी काटने के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है और बाद में वहां आग लगाकर यह दर्शाया जाता है कि सागौन के पेड़ जल गए जबकि वे जंगल माफिया पहले ही काट के ले जा चुका होता है। इस तरह वन अधिकारी जंगलों की अवैध कटाई पर पर्दा डालने की कोशिश करते है।

 *फायर अलर्ट सिस्टम हो रहा विकसित-* 

मध्यप्रदेश के जंगलों को आग की घटनाओं से बचाने के लिए सूचना तंत्र फायर अलर्ट सिस्टम फारेस्अ सर्वे आॅफ इंडिया द्वारा विकसित किया जा रहा है। वर्तमान में तकनीकी सूचना तंत्र के माध्यम से वन क्षेत्रों में अग्नि घटनाओं की निगरानी की जाती है। तत्काल संबंधित परिक्षेत्र सहायक, बीटगार्ड को सूचित किया जाता है। परिक्षेत्र सहायक, बीट गार्ड को सूचित किया जाता है। अग्नि रोधी उपकरण और आवयक सामग्री अग्नि दुर्घटना पर प्रभावी नियंत्रण हेतु क्षेत्रीय अमले को उपलब्ध कराये गए है। वन मंडल स्तर पर अग्नि सीजन में फायर कंट्रोल रुम की भी स्थापना की जाती है जिसके द्वारा फायर अलर्ट सिस्टम से प्राप्त मैसेज, टोल फ्री नंबर पर प्राप्त सूचना और अन्य माध्यमों से तत्काल संबंधित परिक्षेत्राधिकारी को दी जाती है लेकिन इस सबके बावजूद भी प्रदेश के जंगलों में अग्नि दुर्घटनाओं पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है।