सरकारी महकमों में दुर्विनियोग, हानियों और चोरियों के 1378 मामलों में जांच नहीं, 19 करोड़ की वसूली लंबित

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सरकारी महकमों में दुर्विनियोग, हानियों और चोरियों के 1378 मामलों में जांच नहीं, 19 करोड़ की वसूली लंबित

 

भोपाल: मध्यप्रदेश के सरकारी विभागों जमकर गबन, चोरी, हानि और दुर्विनियोग कर सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान अधिकारी-कर्मचारी मिलकर पहुंचा रहे है लेकिन इन मामलों की जांच करने में भी वरिष्ठ अफसर रुचि नहीं दिखा रहे है। सरकारी विभागो में 3 हजार 123 मामलों में 19 करोड़ 78 लाख रुपए की वसूली हीं नही हो पाई है इन मामलों में विभागीय और आपराधिक जांच लंबित है।

महानियंत्रक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। प्रदेश के सरकारी विभागों में गबन, हानि, चोरी और दुर्विनियोग के 3 हजार 123 प्रकरण सरकारी विभागों ने बताए थे। इन पर जून 2023 तक अंतिम कार्रवाई लंबित थी। इनमें मुख्य प्रकरण वानिकी तथा वन्य जीवन का था जिसमें 17 करोड़ के 2 हजार 589 प्रकरण ओर कोष एवं लेखा प्रशासन के 8 करोड़ 30 लाख के 11 प्रकरण तथा स्कूल शिक्षा विभाग में 6.94 करोड़ के 92 प्रकरण, पुलिस विभाग में 3.25 करोड़ के 314 प्रकरण शामिल थे। इनमें से 19 करोड़ 78 लाख रुपए के एक हजार 378 प्रकरणों में तो विभागीय और आपराधिक जांच ही शुरु नहीं हो पाई है। 1 हजार 678 मामले ऐसे है जिनमें विभागीय कार्रवाई तो आरंभ हो गई लेकिन पूर्ण नहीं हो पाई। यहां 18 करोड़ 10 लाख रुपए की वसूली होना बाकी है। 67 मामलों में आपराधिक कार्रवाई पूरी हो गई लेकिन 1 करोड़ 24 लाख रुपए की वसूली नहीं हो पाई है।

वानिकी और वन्य जीवन में सर्वाधिक 2 हजार 589 मामले सामने आए वन विभाग में इससे 17 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

कोष एवं लेखा विभाग में केवल 11 ही मामले इस तरह के सामने आए जिनमें 8 करोड़ 30 लाख 44 हजार रुपए की हानि हुई लेकिन इनकी इनमें आपराधिक जांच ही नहीं हो पाई है जिसके कारण इस राशि की वसूली के लिए उत्तरदायी व्यक्ति ही तय नहीं हो पाए है। स्कूल शिक्षा विभाग में इस तरह के हानि, गबन, चोरी के सर्वाधिक 92 प्रकरण दर्ज किए गए जिनमें 6 करोड़ 93 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। पुलिस विभाग में ही ऐसे 314 मामले दर्ज किए गए जिनमें 3 करोड़ 24 लाख 99 हजार रुपए की हानि हुई है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में 8, परिवार कल्याण में 3, चुनाव में 1, महिला बाल विकास में 7, अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण में 6, ग्रामीण विकास में 4, तकनीकी शिक्षा में 33, खेल विभाग में 3, खनिज में 3, बिक्री व्यापार पर कर में 1, कृषि में 23, पशुपालन में 16 मामले सामने आए है।