महासतियाजी का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ!

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महासतियाजी का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ!

Ratlam : जगत वल्लभ जैन दिवाकर श्री चौथमलजी मसा की दिव्य कृपा से श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक में राष्ट्रसंत आचार्य सम्राट पूज्यश्री आनन्दऋिषिजी मसा. वर्तमान आचार्य डाक्टर शिवमुनिजी म.सा की आज्ञानुवर्तिनी मालव सिंहनी प्रर्वतिनी पुज्याश्री रतनकुंवरजी म.सा., मालव ज्योति गुरूणी मय्या पुज्याश्री वल्ल्भकुंवरजी मसा. की सुशिष्या जिनशासन चंद्रिका, मालव गौरव पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी मसा. (बेरछावाले) एवं तत्वचिन्तिका पूज्याश्री कल्पदर्शनाजी म.सा. आदि ठाणा का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश चल समारोह चौमुखीपुल महिला स्थानक से नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ नीमचौक स्थानक पर पंहुचा, चल समारोह जय महावीर, जग में चमके जैन दिवाकर, जय गुरु आनन्द के नारों से गुंजायमान था।

नीमचौक स्थानक में रीना गांधी ज्योति बाफना, पिस्ता कटारिया, सुशीला बाफना ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। संघ अध्यक्ष ललित पटवा ने स्वागत उद्बोधन दिया, संघ रत्न इंदरमल जैन ने महासतियांजी का परिचय सदन को दिया, एवं वरिष्ठ सलाहकार महेंद्र बोथरा ने चातुर्मास की रूपरेखा के बारे में जानकारी प्रदान की। नवयुवक मंडल महामंत्री पारस मेहता ने भी विचार व्यक्त किए।

पूरे चातुर्मास काल के आतिथ्य सत्कार हेतु भोजनशाला का लाभ श्रीमती शांताकुमारी इंदरमल जैन (संघरत्न), पटवा परिवार ने लिया।

इस अवसर पर जावरा, नागदा, दलौदा एवं महाराष्ट्र से पधारे भक्तों ने भी सफल चातुर्मास हेतु शुभकामनाएं प्रदान की।

महासती कल्पदर्शनाजी मसा ने फरमाया की चातुर्मास जप, तप धर्म ध्यान ज्यादा से ज्यादा करना है एवं नियमित करना है। घर में 4 महीने शादी हैं और घर की गाय 3 लीटर दूध रोज देती है अगर मूर्ख व्यक्ति यह सोच ले कि अभी दूध नही निकलता हुं शादी के वक्त एक साथ निकाल लूंगा तो उस वक्त गाय एक बूंद भी दूध नही देगी।

ऐसा ही यदि आप सोच रहे हैं की चातुर्मास तो 4 महीने का हैं अभी क्या जल्दी हैं पर्युषण में या संवत्सरी को धर्म आराधना कर लेंगे जिनवाणी सुन लेंगे तो यह सब व्यर्थ बात हैं।

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जिनवाणी का श्रवण नियमित करना चाहिए। संत सतियों के पास बैठने का अवसर मिले तो उनसे संसार की बाते करने के अपेक्षा धर्म ध्यान की चर्चा करना चाहिए।

नीमचौक में चातुर्मास के लिए हमारा आगमन हो चुका हैं। जहां आ का अर्थ है आनन्द के साथ चातुर्मास में धर्म ध्यान करना है। ग मतलब गतिशील बनना, धर्म क्रिया में गतिशील बनना। संसार के कार्यों में तो गतिशील रहते हुए तो हमने अपने अनन्त भव निकाल दिए लेकिन अब वक्त आया हैं धर्म के मार्ग में गतिशील होने का। म हमें समझता है कि संसार के ममत्व को कम करना। न हमें समझाता है की नम्र बनना, गुरु भगवन्तों के प्रति नम्रता रखना।

18 जुलाई से नियमित प्रवचन प्रातः 9 से 10 रखे जाएंगे और दिनांक 19 एवं 20 जुलाई को बेले की तपस्या करके गुरु के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करना हैं। सभा का संचालन महामंत्री विनोद बाफना ने किया।