Illegal Colony: रजिस्ट्रार और सर्चिंग वकील की भूमिका निर्धारित हो ?

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Illegal Colony: रजिस्ट्रार और सर्चिंग वकील की भूमिका निर्धारित हो ?

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रमेशचन्द्र शर्मा की विशेष रिपोर्ट 

इंदौर:बहुत लंबे समय से इंदौर में अवैध कालोनियों का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। भोले भाले गरीब अपेक्षाकृत कम पढ़े-लिखे लोग सस्ते प्लाट, मकान के चक्कर में कालोनाइजरों के सब्जबाग में फंसकर अपनी गाढ़ी कमाई लुटाकर बर्बाद हो जाते हैं।
सरकारी संस्थाओं ने आवश्यक सुविधाओं के नाम पर संपत्ति कर,जलकर, बिजली कर,कचरा शुल्क सहित तमाम कर जबरिया वसुले जाते हैं।
खरीददार द्वारा अखबारों में जाहिर सूचना दी जाती है। वकील के माध्यम से सर्च रिपोर्ट प्राप्त की जाती है। प्रापर्टी किसी भी तरह के विवाद, कोर्ट कचहरी, विवादित संपत्ति नहीं होने का प्रमाण वकील द्वारा अपनी सर्च रिपोर्ट तैयार कर खरीददार को दिया जाता है। जिसका बाकायदा शुल्क लिया जाता है। वकील की सर्च रिपोर्ट मिलने के बाद ही क्रेता-विक्रेता दोनों लिखित अनुबंध करते हैं।
यदि सर्च रिपोर्ट में सर्चिंग वकील विक्रय हेतु प्रस्तावित संपत्ति को विवादित घोषित कर दे तो कोई भी गरीब भोला अनपढ़ उस संपत्ति को खरीदने की हिम्मत नहीं करेगा। बिचोलिए और संपत्ति मालिक वकील से सांठगांठ करके कभी कभी विवादित संपत्ति को भी अविवादित बताकर बैचने की राह आसान कर देते हैं।
इसी प्रकार रजिस्ट्रार कार्यालय को रजिस्ट्री करने के पहले वहां बिक्रीनामा सहित बिक्री हेतु प्रस्तावित संपत्ति के संबंध में हर कानूनी पहलुओं पर परीक्षण किया जाता है। कानूनी दृष्टि से विक्रय योग्य होने पर ही संबंधित संपत्ति की रजिस्ट्री स्वयं रजिस्ट्रार द्वारा अपने हस्ताक्षर से की जाती है। बाकायदा शासन द्वारा निर्धारित शुल्क की रसीद काटकर दी जाती है।

Indore News: इंदौर की 60 अवैध कालोनियों के वैध होने का रास्ता हुआ आसान, आइडीए ने सूची शासन को भेजी - Indore News The way of legalization of 60 illegal colonies of
इंदौर में संपत्ति के भाव बहुत पहले से भी आसमान छू रहे हैं।भारी भरकम राशि शासन के राजकीय कोष में जमा करवाने के बाद भी गरीब ठगी का शिकार होने से नहीं बच पाता है। जबकि अवैध कालोनियों पर शुल्क लेकर रजिस्ट्री करने वाली शासकीय संस्था गरीबों को ठगी का शिकार करवाने में बराबरी की जवाबदार है। इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी आजतक देश की छोटी अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसी ने भी रजिस्ट्रार को उत्तरदायी नहीं बनाया है। किसी कोर्ट ने बसुले गये कोई भी शुल्क का एक पैसा भी वापस लौटाने के आदेश नहीं दिये हैं।
भारी भरकम सरकारी अमला भ्रष्टाचार और निकम्मे पन का शिकार होकर अवैध कालोनियों को जानबुझकर अनदेखा करते रहते हैं। यदि समय रहते अतिक्रमण की उत्तरदायी संस्थाएं अपने निर्धारित कर्तव्य का इमानदारी से निर्वहन करें तो अवैध कालोनी तथा अवैध निर्माण संभव ही नहीं है।

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यदि ऐसा होगा तो निश्चित ही भविष्य में अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर रोकथाम लगेगी।
हमारी सरकारों को भी संवेदनशील होने की जरूरत है। अपराधी माफियाओं के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलने पर आम आदमी हमेशा स्वागत ही करता है।लेकिन दो जून की रोटी में जीवन और जवानी खपाने वाले मेहनत कश इमानदार लोगों के परिवारों पर संवेदनशील होना समय की मांग है। ग़रीब को न्याय मिलना प्राथमिकता में आना जरूरी है। न्याय पाना आज के समय में सबसे मंहगा जोखिम है।
धनाढ्य लोग भारी भरकम फीस देकर वकीलों की लंबी चोड़ी फौज खड़ी कर देते हैं। सस्ता संपत्ति खरीदने में ठगाया गरीब मंहगे वकील नहीं कर पाता।वह बैचारा तो तारीख पर भी नहीं जा पाता। बहुत सारे केस तो इसी कारण एक तरफा फैसले के शिकार हो जाते हैं।
कुल मिलाकर सरकार और न्यायपालिका दोनों को ऐसे मामलों में संवेदनशील होना चाहिए।
विश्वास है हमारे सभी संबद्ध संस्थान अपने अपने निर्धारित दायित्व का पूरी इमानदारी से मानवाधिकार की रक्षा करने में सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करेंगे।
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