ट्रेन की चपेट में आकर फिर हुई एक बाघ की मौत,दो शावक हुए घायल,टाइगर स्टेट एमपी बना बाघों हेतु मौत का घर                         

*देश भर में,2024 में हुई बाघों की 75 मौत में से 23 सिर्फ मध्यप्रदेश में*

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ट्रेन की चपेट में आकर फिर हुई एक बाघ की मौत,दो शावक हुए घायल,टाइगर स्टेट एमपी बना बाघों हेतु मौत का घर                         

*संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट*

बुधनी। बाघों का प्रदेश कहलाने वाला मध्यप्रदेश अब बाघों के लिए मौत का घर बनता जा रहा है। प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा । इस साल 2024 में भी पूर्व वर्ष की तरह ही मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए दिन बाघों की मौत की खबरें सामने आती रही हैं। ऐसे में अब प्रदेश सरकार पर बाघों की सुरक्षा में विफल रहने के आरोप लगने लगे हैं। आज सोमवार को नर्मदापुरम के समीप,दशकों से सीहोर जिले के केंद्रीय कृषि मंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र रहे बुधनी के मिडघाट एरिया में ट्रेन की चपेट में आने से एक बाघ की मौत हो गई और उसके दो शावक गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर घायल बाघों का इलाज प्रारंभ कराने और मामले की जांच का कार्य प्रारंभ कर दिया है। यह घटना मिडघाट की पहाड़ी के पास स्थित नाले के समीपस्थ की बताई जा रही है। जहां आज सोमवार को टाइगर का शव पड़ा मिला। हालांकि यह हादसा किस ट्रेन से हुआ है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। वन विभाग की टीम इस इसकी जांच भी कर रही है।

 

ज्ञात रहे कि रविवार को ही राजधानी भोपाल से 35 किलोमीटर दूर चिकलोद रेंज में एक टाइगर का कंकाल रूपी शव मिला था जो कि 12 दिन पुराना था। जिसे वन अधिकारियों ने शिकार की घटना बताया था। इस मामले की जानकारी मिलते ही सीसीएफ, डीएफो सहित 100 से ज्यादा वन विभाग के कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंचे थे। मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई थी। बाघ का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया था। जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद बाघ की मौत का असल कारण ज्ञात हो सकेगा।

 

सोमवार को औबेदुल्लागंज पुलिस के अनुसार बाघ को तलाश किया जा रहा था. वन विभाग के अधिकारियों को इस बार भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का इंतजार है.

आज की इस घटना से भी अधिकारी हैरान हैं। माना जा रहा है कि शावकों के साथ बाघ जंगल से निकलकर घूम रहा होगा। तभी रेलवे ट्रैक पार करते समय हादसे का शिकार हो गया। एक के बाद एक हो रही बाघों की मौत से मध्य प्रदेश में बाघों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। क्योंकि अब टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश बाघों की मौत के मामले में देश में पहले पायदान पर जो पहुंच गया है। घायल शावकों के इलाज के लिए राजधानी भोपाल से चिकित्सकों की एक टीम पहुंची है। जिसने तुरंत शावकों का इलाज करना प्रारंभ भी कर दिया। प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार दोनों शावक गंभीर रूप से घायल हैं और खबर बनने तक उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, हादसा सोमवार की सुबह करीब 12 बजे बुधनी के मिडघाट एरिया में हुआ। वहां एक बाघ का शव मिला। इसकी कुछ दूरी पर ही दो शावक भी गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिले। इनकी हालत देखकर माना जा रहा है कि तीनों ट्रेन की चपेट में आए होंगे। वन विभाग की टीम द्वारा इनका रेस्क्यू किया गया । घायल शावकों की उम्र करीब एक साल की बताई जा रही है।

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ज्ञात रहे कि वर्ष 2022 में जब बाघों की गणना हुई थी तो मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 785 बाघ पाए गए थे। जो कि देश के किसी भी प्रदेश की तुलना में सबसे अधिक थे। ज्ञात रहे कि एमपी को 2018 के बाद लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था। 2018 में हुई गणना से एमपी में 259 बाघ बढ़ गए थे और इनकी संख्या 526 थी। वहीं पूरे देश की बात करें तो नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के अनुसार 2018 में जहां देश में 2967 बाघ थे जो कि 2022 में बढ़कर 3682 हो गए। पर अभी कुछ दिन पूर्व जारी हुई एनटीसीए की रिपोर्ट में बाघों की मौत को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं वे परेशान करने वाले हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में इस वर्ष के जून माह तक 75 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से 12 तो सिर्फ मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही हुई हैं। वहीं पूरे मध्यप्रदेश की बात करें तोबेब तक इस साल में मौत का यह आंकड़ा 23 की संख्या को स्पर्श कर रहा है। इस तरह बाघों की संख्या में नंबर वन मध्यप्रदेश अब उनकी मौतों के मामले में भी पहली पायदान पर आ गया है। यह संख्या सरकार के उन दावों की पोल खोलती है जो वह बाघों के संरक्षण को लेकर कहती रही है। 2024 के अभी मात्र 6 माह बीते हैं और बाघों की मौत का आंकड़ा 2021,22,23 की तुलना में काफी अधिक हो गया है। ज्ञात रहे कि 2021 में देश भर में बाघों की कुल 127 मौतें हुई थीं जिनमें से लगभग एक तिहाई 41 एमपी में हुई थीं। वहीं 2022 में देश भर में हुई 122 मौतों में एमपी का फिगर 34 था। वहीं पिछले वर्ष 2023 में देश भर में हुई बाघों की कुल 181 मौतों में एमपी में मौत को गले लगाने वाले बाघों की संख्या 43 थी। एक वन अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधनी रेलवे स्टेशन के पास तीसरी रेलवे लाइन पर यह हादसा हुआ है। घटना की सूचना मिलने पर फॉरेस्ट की टीम, रेंजर आनन-फानन में मौके पहुंच गए थे। भोपाल से वन विभाग ने एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम को उपचार के लिए बुला लिया गया था। वन विभाग की टीम ने मृत बाघ के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, वहीं गंभीर रूप से घायल दो शावकों का यह रिपोर्ट पोस्ट करने तक डॉक्टर्स द्वारा इलाज किया जा रहा है। एक वन अधिकारी ने बताया कि ट्रेन से टकराकर अब तक कई वन्य जीव मौत के आगोश में समा चुके हैं। जिसे देखते हुए पूर्व में ट्रेन ट्रैक किनारे फेंसिंग लगाने के निर्देश केंद्र सरकार ने वन विभाग को दिए थे।पर आज तक पटरियों एवं जंगल के बीच में जालीदार फेंसिंग लगाने का कार्य नहीं हो सका है। इसके कारण आए दिन वन्य प्राणियों के साथ दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

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रेलवे लाइन पड़ने वाले वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में जानवरों की सुरक्षा के लिहाज से केंद्र सरकार ने ट्रेन के ट्रैक किनारे फेंसिंग लगाने का फैसला किया था. लेकिन, यह काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है. यहां पर रेलवे ट्रैक जंगल से गुजरते हैं लेकिन फेंसिंग नहीं है. जिस कारण जंगली जानवर कई बार ट्रैक पर आ जाते हैं और ट्रेन की चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है.एमपी में विगत 6 माह में 23 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से बीते 6 महीने में अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही 12 बाघ दम तोड़ चुके हैं। वहीं साल 2012 से 2022 के मध्य के 10 वर्षों में एमपी में 65 बाघों की मौत हो चुकी है। इन बाघों की मौत आपसी संघर्ष से नही बल्कि वन विभाग के स्थानीय स्टाफ की लापरवाही और शिकारियों से उनकी मिलीभगत से भी हो रही है।