आवारा स्ट्रीट डॉग्स के इंसानों को काटने की बढ़ती घटनाओं से चिंतित सरकार- 6 IAS बनाएंगे योजना

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आवारा स्ट्रीट डॉग्स के इंसानों को काटने की बढ़ती घटनाओं से चिंतित सरकार- 6 IAS बनाएंगे योजना

MP में कुत्तों की आबादी प्रबंधन के लिए बनेगी जिलावार योजना

भोपाल. पिछले एक साल में मध्यप्रदेश में आवारा कुत्तों के शिशुओं, बच्चों, महिलाओं और वृद्धों को काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी है। इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए अब राज्य सरकार प्रदेश के सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों की आबादी प्रबंधन के लिए एक व्यापक जिलावार योजना विकसित करने जा रही है। इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई सहित 6 IAS अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भारत सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण नियम 2023 बनाए है। इन नियमों के प्रावधानों के तहत प्रदेश में आवारा पशुओं की आबादी पर नियंत्रण के लिए शहरी क्षेत्रों में नगरीय विकास एवं आवास विभाग, ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, इन आवारा पशुओं के काटने से होंने वाले रैबीज रोग पर नियंत्रण के उपाय करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और राज्य पशु कल्याण बोर्ड, राज्य पशु चिकित्सा परिषद, भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड, भारतीय पशु चिकित्सा संगठन के स्टेट चैप्टर को राज्य स्तरीय योजना के क्रियान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी सौपी गई है।

प्रदेश में कुत्तों की आबादी पर नियंत्रण के लिए ठोस कार्ययोजना का क्रियान्वयन नहीं होंने से इनकी आबादी निरंतर बढ़ रही है। इनकी आबादी के हिसाब से इनके खान-पान का प्रबंध नहीं हो पाने से ये आवारा कुत्ते खूंखार हो रहे है। ये आने-जाने वालों के पीछे दौड़ते है और लोगों को काटते है। इस सब पर रोक लगाने के लिए प्रदेश के छह आईएएस अधिकारियों को प्रदेशभर के लिए जिलावार व्यापक कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी सौपी गई है।

इस तरह करेंगे काम-

पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार स्थानीय प्राधिकरण स्तरों पर पशु जन्म नियंत्रण निगरानी समितियों की स्थापना करेंगे। राज्य भर में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों की आबादी प्रबंधन के लिए एक व्यापक जिलावार योजना बनाएंगे। जिला और राज्य योजना के अनुसार पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम को चलाने के लिए भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त अपेक्षित प्रशिक्षण और अनुभव रखने वाली पशु जन्म नियंत्रण कार्यान्वयन एजेंसियों को सूचीबद्ध किया जाएगा। इसमें राज्य का पशुपालन विभाग शामिल हो सकता है जो भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के परामर्श से और तकनीकी मार्गदर्शन में काम करेगा। निकायों के अधिकारी पशुपालन विभाग के चिकित्सकों की मदद से गांव और शहर में आवारा पशुओं को पकड़कर उनकी वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नसबंदी कराएंगें और उनके कान पर टेग लगाकर उन्हें वापस उसी स्थान पर छोड़ेंगे। स्थानीय निकाय और रहवासी कल्याण समितियों की मदद से आवारा पशुओं के खान-पान का प्रबंध किया जाएगा। कुत्तों का रैबीज टीकाकरण भी किया जाएगा और शहरों को रैबीज फ्री बनाने की दिशा में कार्यवाही की जाएगी।

ये सुविधाएं विकसित होंगी-

पूरी तरह से सुसज्जित पशु जन्म नियंत्रण सुविधाएं, एंबूलेंस और उपकरण के साथ्ज्ञ परिसद बनाए जाएंगे।

पशुओं के प्रति क्रूरता की शिकायतों की भी सुनवाई होगी-

यदि कहीं पशुओं के प्रति क्रूरता और पशु जन्म नियंत्रण नियमों के उल्लंघन के संबंध में किसी भी प्रकार की शिकायत मिलती है तो उसके निरीक्षण और उस पर उचित कार्यवाही यह अफसर करेंगे। हर तीन माह में एक बार ये सभी बैठक करेंगे।

ये अफसर बनाएंगे कार्ययोजना-

नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशसन विभाग के आयुक्त, राज्य के दो नगर निगमों के आयुक्तों के अलावा राज्य पशु कल्याण बोर्ड के दो प्रतिनिधि और प्रभारी अधिकारी, राज्य पशु चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष,भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के दो प्रतिनिधि, भारतीय पशु चिकित्सा संगठन के स्टेट चैप्टर के प्रतिनिधि।