लाड़ली बहनों का प्रेम देख भावुक हुए एक-नाथ, थामा भाईयों का हाथ…

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लाड़ली बहनों का प्रेम देख भावुक हुए एक-नाथ, थामा भाईयों का हाथ…

मध्यप्रदेश का ‘लाड़ली बहना’ सुरक्षा कवच अब रूप बदलकर महाराष्ट्र में कदम रख चुका है। अब महाराष्ट्र में यह नारा तो नहीं लग सकता है कि ‘महाराष्ट्र के मन में मोदी’, क्योंकि ‘महाराष्ट्र के मन में तो शिवाजी’ ही बसे हैं। पर यह बात जरूर है कि ‘मोदी के मन में महाराष्ट्र’ वाली बात तो की ही जा सकती है। वैसे भी इस बार मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बहुत कुछ समानता है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरी थी और भाजपा सरकार बनी थी। तो महाराष्ट्र में कांग्रेस-उद्धव शिवसेना सरकार गिरी थी और भाजपा-एकनाथ शिवसेना सरकार बनी थी। ‘लाड़ली बहना योजना’ से पहले मध्यप्रदेश में बदलाव की बयार बहुत तेज चल रही थी, तो ‘लाड़ली बहना’ के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली बंपर जीत को बहनों का लाड़ ही माना जा रहा है। लाड़ली बहनें सुरक्षा कवच बनकर भाजपा की सारी बला टालने में प्रभावी बनीं, तो पूरे देश की निगाहें मध्यप्रदेश पर टिक गईं थीं। ऐसे में मध्यप्रदेश के ‘लाड़ली बहना’ के प्रेम को देख महाराष्ट्र के ‘एक-नाथ’ का भावुक होना स्वाभाविक था। ‘एक-नाथ’ ने अब भाईयों का हाथ थामकर महाराष्ट्र में बदलाव की दीवार को भेदने की कवायद को झुठलाने की ठान ली है। हालांकि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की माटी और मानुष में बहुत अंतर है। ‘एक-नाथ’ के प्रयास और महाराष्ट्र के माटी-मानुष का प्रभाव तो वहां के चुनाव परिणाम ही बताएंगे। पर ‘लाड़ला भाई योजना’ से भाजपा-एकनाथ शिवसेना वापसी की उम्मीद तो कर ही सकती है।

 

महाराष्ट्र सरकार ने चुनाव से कुछ महीने पहले यह घोषणा कर कई वर्गों को साधने की कोशिश की है। युवा सधेगा, तो पूरा परिवार सधेगा। बात बस इतनी ही है कि इसका क्रियान्वयन कितना तेजी से होता है। महाराष्ट्र में विपक्ष युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे को बीते लंबे समय से उठाता रहा है। ऐसे में एकनाथ शिंदे सरकार ने युवाओं के लिए आर्थिक मदद का ऐलान कर विपक्ष को मौन कर अपना हित साधने की कोशिश की है। इस योजना के तहत सरकार राज्य के युवाओं को उन कारखानों में अप्रेंटिसशिप करने के लिए वजीफा देगी, जहां पर वह काम करेंगे। महाराष्ट्र के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी सरकार ने ऐसी योजना पेश कर बेरोजगारी का समाधान ढूढने का प्रयास किया है। कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में बेरोजगार युवाओं का मुद्दा उठाया था। उन्होंने विधानसभा सत्र के बाद मीडिया से कहा था कि मैं मध्य प्रदेश की लाडली योजना की तरह ही महाराष्ट्र के युवाओं के लिए लड़कों के लिए योजना लाने की मांग करता हूं। आज लड़की और लड़कों में कोई फर्क नहीं है। ऐसे में हमें लड़कों और लड़कियों को एक समान ऐसी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।

 

तो एक-नाथ का लाड़ भाईयों पर बरस गया है। महाराष्ट्र सरकार ने ग्रेजुएशन कर चुके छात्रों को हर महीने 10 हजार रुपये देने का ऐलान किया है, जो छात्र डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें हर महीने 8 हजार रुपये दिए जाएंगे। तो ‘लाड़ला भाई’ के नाम से खास योजना के तहत 12वीं पास करने वाले छात्रों को हर महीने छह हजार रुपये दिए जाएंगे। अब इस पर कितना बजट खर्च होगा, सरकार पैसे कहां से लाएगी, ‘महाराष्ट्र सरकार’ पर कितना कर्ज है और चुनाव जीतने के लिए प्रलोभन देना, जैसे सवालों के जवाब विपक्ष ढूढता रहे। ऐसे सवालों का अब सत्ता और मतदाता की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मध्यप्रदेश की ‘लाड़ली बहना योजना’ को भी पहले कई किंतु-परंतु का सामना करना पड़ा था, पर विधानसभा में बड़ी जीत के बाद लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा ने जता दिया है कि बहनों का लाड़ छप्पर फाड़ कर मिलना प्रमाण है कि मतदाताओं को बस यही चाहिए। अब एक-नाथ भी मध्यप्रदेश में लाड़ली बहनों के भाजपा को मिले प्रेम को देखकर इतने भावुक हुए हैं कि महाराष्ट्र के भाईयों का लाड़ पाकर चुनावी वैतरिणी पार करने की उम्मीद उन्होंने जगा ली है। पर फिर वही बात कि मध्यप्रदेश का फार्मूला महाराष्ट्र में बदले हुए स्वरूप में भी उतना ही कारगर है, यह आने वाला समय बताए

गा…।