Kissa-A-IAS: Special IAS : अपने नाम के अनुरूप कुछ ‘विशेष’
भारतीय प्रशासनिक सेवा में 2008 बैच के अधिकारी विशेष गढ़पाले की छवि एक तेज-तर्रार अधिकारी की रही है। वे नवाचारों और परिणाम देने वाले अधिकारी के रूप में भी जाने जाते हैं। जीवन के प्रति भी उनका नजरिया अलग है। वे मानते हैं कि जिंदगी की तमाम जिम्मेदारियों में 100% प्रतिशत नंबर लाने वाले ही सफल नहीं हैं, 33% प्रतिशत वाले भी उतने ही बेहतर हैं। क्योंकि, उन्होंने पास होने की कोशिश की और असफलता की लाइन को पार किया। वे मानते हैं कि अगर आपको कुछ अच्छा हासिल करना है, तो सबकी सुनो, क्योंकि एक अच्छा श्रोता ही समस्याओं का समाधान ढूंढ पाता है। वे टीम भावना पर विश्वास करते हैं तथा सभी के विचार सुनकर ही निर्णय लेते हैं परन्तु निर्णय लेने के बाद उसे अमल पर लाने के लिए पूरी क्षमता से कार्य करते हैं।
वे अपने आपको बेहद संवेदनशील मानते हैं। वे अपने आसपास बेहतर जिंदगी देखना चाहते हैं। विशेष का मानना है कि कलेक्टर ऐसा व्यक्ति है, जो अपने शहर में सब कुछ करता है। उसके पास वो सारे अधिकार है, जो एक शहर को बेहतर बना सकते हैं। उसे साफ-सुथरा बना सकते हैं, वह करप्शन पर कंट्रोल कर सकता है, जनता के दुख-दर्द और उनकी समस्याओं का समाधान करने की ताकत रखता है, अधिकार रखता है। बस तभी से वे भी कलेक्टर बनने का सपना देखने लगे। हालांकि, उस वक्त उनका रास्ता कुछ अलग था।
मूलत: बालाघाट के रहने वाले विशेष गढ़पाले की स्कूली शिक्षा कई जगह हुई। उनके पिता स्व आईडी गढ़पाले स्टेट बैंक आफ इंडिया में थे। उनका ट्रांसफर होता, तो स्कूल बदल जाता। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) से कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया। उसी दौरान अहमदाबाद की एक इंस्टीट्यूट से कम्प्यूटर ग्राफिक्स का कोर्स भी किया। उन्होंने एक गेम डिजाइन किया, जो काफी पसंद किया गया। उस प्रोत्साहन ने ग्राफिक्स डिजाइनर बनने की ओर प्रेरित किया। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। उनके पिता लगातार उन्हें प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए प्रेरित करते थे। उनके बड़े भाई इच्छित गढ़पाले का चयन राज्य प्रशासनिक सेवा में हो गया। 2008 में प्रथम प्रयास में ही उनका यूपीएससी सिविल सेवा और एमपीपीएससी में एक साथ सिलेक्शन हुआ।
जिलों में पदस्थ होने के दौरान उन्होंने लीक से हटकर कई काम किए, जिन्हें सराहा गया। उन्होंने स्वप्रेरणा से पात्र हितग्राहियों को ढूंढ-ढूंढकर योजनाओं में लाभ दिलाया। आज भी जो काम नवाचार माने जाते हैं, वे उन्होंने दस साल पहले अपने ज़िलों में किए। नदी पुनर्जीवन, नवोदय स्कूल तथा सिविल सेवाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग, स्वसहायता समूहों को पॉल्ट्री, वनोपज उत्पाद आदि गतिविधियों से रोजगार से जोड़ना, मॉडल आंगनवाड़ी, आंगनवाड़ियों को प्री-नर्सरी में बदलना तथा उनका सिलेबस बनाकर पालन करना, स्कूलों में बेहतर शिक्षा के नवाचार, जेलों में कैदियों को रोजगार से जोड़ना, बच्चियों के लिए स्वच्छता उत्पादों का निर्माण और वितरण, इत्यादि।
सीधी जिले में पदस्थी के दौरान न सिर्फ उन्होंने ज़िले की कनेक्टिविटी पर कार्य किया। कई सुधार भी किए जिसमें एलडब्लयूई प्रभावित क्षेत्र में निःशुल्क कोचिंग, आर्मी की ट्रेनिंग, समूहों को रोजगार, सड़क मार्गों से जोड़ना तथा स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबधी काम किए। इससे आमजन का झुकाव शासन की तरफ हुआ। जब वे खंडवा में कलेक्टर के रूप में पदस्थ थे, उन्होंने कुपोषित बच्चों के लिए बहुत से काम किए। शिक्षा, स्वास्थ्य तथा कृषि में बेहतर कार्य के चलते, खंडवा जिला नीति आयोग की आकांक्षी ज़िलों की रैंकिंग में लगातार टॉप तीन ज़िलों में रहता था। इसके साथ उन्होंने गरीब बच्चों को परीक्षा की तैयारी कराने के लिए ‘भारत निर्माण कोचिंग’ की भी शुरुआत की थी। इस पहल का ये सकारात्मक नतीजा निकला कि सरकारी स्कूलों के करीब 21 बच्चे नवोदय स्कूल में सिलेक्ट हुए थे। उन्होंने नवोदय स्कूलों में सीएसआर से कई सुधार कराए। विशेष गढ़पाले ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में कमी से निजात पाने और सभी विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा देने और ऑडियो-वीडियो लर्निंग कॉन्सेप्ट पर भी बहुत काम किया।
उनका यह नवाचार भी प्रदेशभर में सराहा गया। उन्होंने स्कूलों के लैब को सुधारा तथा उन्हें बेहतर उपयोग कराया। खंडवा में उन्होंने पाठ्यपुस्तकें स्थानीय कोरकू भाषा में भी अनुवादित करवाई, जिससे क्षेत्र विशेष के लोगों का भी समावेशी शिक्षण हो। वे खंडवा में किसी भी सरकारी कार्यक्रम में स्वागत-सत्कार के दौरान फूलों की माला नहीं स्वीकारते थे। उसके स्थान पर बिस्किट से स्वागत स्वीकारते। जब काफी मात्रा में बिस्किट एकत्रित हो जाते तो उसे कुपोषित बच्चों में बांट देते थे। खंडवा जिले में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई मुद्दों पर काम किए।
नगर निगम भोपाल में रहते हुए गढ़पाले ने तत्समय ऐसे कई काम शुरू किए जिनको आज भी देखा जा सकता है। जैसे पार्कों का विकास, सिटी बस का संचालन, बड़े तालाब का केबल स्टे ब्रिज, कई स्थानों पर मल्टी लेवल पार्किंग्स, नए तथा पुराने भोपाल की सड़कों का चौड़ीकरण इत्यादि। इनका उल्लेख करने पर वे बड़ी विनम्रता से टाल जाते हैं। उन्होंने भानपुर खंती को बंद करने तथा हरियाली के काम भी शुरू किए जो उनके तबादले के बाद काफी देर से पूरा हो सका।
विशेष गढ़पाले को सरकार और नागरिकों के बीच दैनिक गतिविधियों के लिए अलग इंटरफेस के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए ‘प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार-2021’ से सम्मानित किया गया था। जब वे कटनी कलेक्टर थे तो अधिकारियों और कर्मचारियों पर नजर रखने के लिए ‘लोक सेवक ऐप’ बनवाया था। इस ऐप के माध्यम से ही अधिकारियों और कर्मचारियों को आने और जाने के समय की हाजिरी लगानी होती थी। उनके इस नवाचार को भी काफी सराहना मिली थी। लोक सेवकों की उपस्थिति एवं भ्रमण की रिपोर्टिंग के लिए बनाए गए इस ऐप में रोज की उपस्थिति एवं भ्रमण की सूचना दी जाती थी। ऐप खोलते ही लॉगिन पेज ओपन होता जिसमें लॉगिन आईडी और पासवर्ड डालकर फोटो क्लिक करना होगा। कैप्चर बटन क्लिक करते ही फोटो खिंच जाती और लॉगिन बटन क्लिक करते ही अटेंडेंस दर्ज होती। नीति आयोग ने भी उनके इस ऐप की सराहना की और कहा कि ‘लोक सेवक ऐप’ शासन में बेहतरी के साथ कल्याण, विकास नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने का सबसे अच्छा तरीका है। खंडवा जिला में उनके नदी पुनर्जीवन के बेहतर कार्यों को देखते हुए बाद में जिले को राष्ट्रीय जल अवार्ड भी मिला।
विशेष गढ़पाले की एक खासियत यह भी रही कि उन्होंने कभी कहीं कलेक्टर होने का रुआब नहीं दिखाया और न सुविधाओं का ज्यादा उपयोग किया। आमतौर पर IAS चमचमाती सरकारी लग्जरी कार की सवारी करते है। वे जहां भी जाते है लग्जरी कार साथ होती है। लेकिन, इन सबसे अलग विशेष गढ़पाले अलग ही IAS अधिकारी है। वे कई जिलों में अपनी सरकारी लग्जरी कार छोड़कर साइकिल से चलते रहे। कटनी जिले में पदस्थ यह अधिकारी साइकिल की सवारी करते रहे। इसके साथ ही वे पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य जागरूकता के लिए भी लोगों को प्रेरित करते थे। वे रोज अपने ऑफिस साइकिल चलाकर ही आते थे। जब वे पहली बार कलेक्ट्रेट में एक बैठक में पहुंचे तो मौजूद अधिकारी चौंक गए। सभी अधिकारी कलेक्टर के आने का इंतजार कर रहे थे। उनकी नजरें कलेक्टर की कार का इंतजार कर रही थी। लेकिन, कलेक्टर साइकिल चलाकर आते दिखे, तो सभी हैरान रह गए। दूर से देखने पर तो कुछ लोग कलेक्टर को पहचान भी नहीं पाए। जब वे सामने आए तो उनके इस नए रूप को देखकर मातहत अधिकारी चौंक गए। बैठक खत्म होने के बाद भी साइकिल से ही रवाना हुए। इसके साथ ही उन्होंने साइकिल पर सवार होकर शहर का भ्रमण किया।
मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी में रहते हुए भी उन्होंने कंपनी को घाटे से उबरने के अथक प्रयास किए और कंपनी के राजस्व संग्रहण तथा नवाचारों से मील के नए पत्थर स्थापित किए। वे मध्य प्रदेश का पहला व्हाट्सअप चैटबॉट लाए, जिससे उपभोक्ताओं को कई सुविधाएं व्हाट्सअप पर मिलने लगी। जब प्रदेश के अन्य विभाग चैटबॉट पर आए तो गढ़पाले ने बिजली कंपनी के कॉल सेंटर में एआई वॉइस बॉट चालू कर दिया, जिससे कॉल सेंटर की क्षमता बढ़ गई। उनके विजिलेंस मॉनिटरिंग के सॉफ्टवेयर से न सिर्फ राजस्व बढ़ा, बल्कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा भी गया।
विशेष गढ़पाले जिन विभागों में भी रहे, वहां उन्होंने नए प्रयोग किए। रेशम विभाग के अपने सीमित कार्यकाल में भी उन्होंने प्रदेश की सबसे पहली रेशम मंडी बनाकर किसानों को तीन गुना तक फायदा पहुंचाया।
2012 में उनकी शादी रश्मि से हुई, जो बैंक मैनेजर है। दोनों अपने-अपने काम में व्यस्त रहते हैं। लेकिन, दोनों को इसका कोई मलाल नहीं। इसलिए कि दोनों ही अपनी नैतिक, पारिवारिक, सामाजिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को समझते हैं। उनकी एक 9 साल की पुत्री शिवोही है जो अपने सोशल मीडिया चैनल के माध्यम से पौराणिक कथाओं, गृह-नक्षत्रों तथा विज्ञान की जानकारी आज के बच्चों की शैली और भाषा में देती हैं।
विशेष गढ़पाले को खाने में सब कुछ पसंद है। लेकिन, पत्नी के हाथ के छोला-चावल उन्हें ख़ास तौर पर पसंद हैं। वे शुद्ध शाकाहारी है और उसमें भी उन्हें हरी सब्जियां ज्यादा भाती हैं। वे बाहर खाने से बचते हैं और घर का बना खाना ही खाते हैं। यहां तक कि किसी शादी या कार्यक्रम में भी घर से खाना खाकर जाते हैं। वे सामान्य तौर भी पार्टी, शादी अथवा अन्य समारोहों में नहीं जाते हैं।
विशेष गढ़पाले फ़िलहाल केंद्र सरकार में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में पदस्थ हैं, जहाँ उन्होंने अब तक के इतिहास में सबसे अधिक खाद्यान्न का परिदान करके वहां की कार्यप्रणालियों में भी सुधार किया।
सुरेश तिवारी
MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।