Puja Khedkar Issue : केंद्र सरकार ने पूजा खेड़कर के माता-पिता के तलाक को लेकर जानकारी मांगी!

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Puja Khedkar Issue : केंद्र सरकार ने पूजा खेड़कर के माता-पिता के तलाक को लेकर जानकारी मांगी!

New Delhi : केंद्र सरकार ने पुणे पुलिस को आदेश दिया है कि ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के माता-पिता के मैरिटल स्टेटस की जानकारी दें। पूजा पर आरोप है कि उन्होंने पेरेंट्स के तलाक का दावा करके यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर का फायदा लिया। विवादों में घिरीं पूजा खेडकर के मामले में यह एक नया मोड़ है।
मीडिया रिपोर्ट में पुणे पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने यह जानकारी मांगी है क्या ट्रेनी आईएएस के पिता मनोरमा और दिलीप खेडकर का तलाक हो गया है? ऐसे में सवाल है कि क्या है ओबीसी आरक्षण का नियम और क्या माता-पिता के तलाक से यूपीएससी की परीक्षा में बैठने वाले कैंडिडेट को फायदा मिलता है?

ओबीसी आरक्षण का नियम और यूपीएससी
पूजा पर आरोप है कि उन्होंने पेरेंट्स के तलाक का दावा करके यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर का फायदा लिया। इसलिए सबसे पहले उस नियम को ही जान लेते हैं। इस पर पूर्व सिविल सेवक और शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं कि नियम कहता है कि अगर किसी के माता या पिता आईएएस हैं, तो उसे आरक्षण नहीं मिलता। क्योंकि, वो क्लास वन जॉब है और उनकी इनकम 8 लाख से ज्यादा होती है।

ओबीसी आरक्षण का फायदा उन्हें मिलता है जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख से कम है। हालांकि, कृषि से होने वाली कमाई की गिनती इसमें नहीं की जाती है। वहीं, माता-पिता ग्रुप सी या डी में हैं तो 8 लाख होने पर आरक्षण मिलेगा।

ओबीसी-ईडब्ल्यूएस आरक्षण में कई पेंच हैं। उन्होंने एक मामले से इस तरह बताया। मान लीजिए किसी स्टूडेंट को यूपीएससी परीक्षा देनी है। उसके पिता आईएएस हैं. वो ओबीसी आरक्षण का फायदा भी लेना चाहता है, तो पिता नौकरी से रिजाइन कर सकते हैं और अपनी सारी सम्पत्ति बेटे को गिफ्ट के तौर पर दे देते हैं तो न तो पिता की क्लास वन यानी ए ग्रुप की नौकरी का पेच फंसेगा और न 8 लाख से अधिक सम्पत्ति का मामला फंंसेगा। इस तरह बच्चे को आरक्षण का लाभ मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आयोग माता-पिता की आय देखता है न की अभ्यर्थी की।

पेरेंट्स के तलाक से स्टूडेंट को राहत क्यों
यूपीएसी में तलाक को लेकर आरक्षण पाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसकी परीक्षा में सिर्फ एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस वर्ग और दिव्यांगों को उम्र में 5 साल की राहत मिलती है। हालांकि, तलाक के मामले में माता-पिता के अलग होने पर कैंडिडेट माता के साथ रहता है और सालाना आय 8 लाख से कम है तो वह ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर का फायदा उठा सकता है।

पूजा खेडकर के मामले में संभवत: इसी बात को मुद्दा को बनाया गया है। जिसे लेकर केंद्र ने पुणे पुलिस से जानकारी मांगी है। हालांकि, रिपोर्ट पूरी सामने आने के बाद इससे जुड़ी कई बातें स्पष्ट हो पाएंगी। सिर्फ यही नहीं, पूजा खेडकर पर विकलांगता सर्टिफिकेट, नाम, पता और कई तरह की जानकारियों में फर्जीवाड़ा करने का आरोप है. इसको लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई।