Injustice to Real Disabled : इस दिव्यांग ने 4 बार UPSC क्लियर की, फिर भी उन्हें कोटे से कोई नौकरी नहीं मिली! 

आरक्षण कोटे की पेचीदगियों की वजह से आईएएस नहीं बन सके, अब ISRO में वैज्ञानिक!

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Injustice to Real Disabled : इस दिव्यांग ने 4 बार UPSC क्लियर की, फिर भी उन्हें कोटे से कोई नौकरी नहीं मिली! 

New Delhi : महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेड़कर के मामले ने UPSC में दिव्यांग कोटे के मुद्दे को जमकर हवा दी। क्योंकि, पूजा खेड़कर की दिव्यांगता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि वे दिव्यांग हैं ही नहीं। उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र जरिए इस आरक्षण का फ़ायदा लिया है। ऐसे में उन वास्तविक दिव्यांगों को भी सामने लाया जा रहा है, जो वास्तव में दिव्यांग हैं, पर कोटे की पैचीदगियों की वजह से आईएएस नहीं बन सके। ऐसे ही एक दिव्यांग कार्तिक कंसल भी हैं, जिन्होंने 4 बार यूपीएससी क्लियर की और वे दिव्यांग कोटे की पात्रता पूरी करते थे, पर उनका सिलेक्शन नहीं हुआ।

देश के एक बड़े टीवी चैनल ने कार्तिक कंसल की सारी कोशिशों  रखा है, जो उन्होंने आईएएस बनने के लिए की थी। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी से जूझ रहे कार्तिक कंसल ने चार बार UPSC परीक्षा पास की। इसके बावजूद उन्हें किसी सरकारी सर्विस में शामिल नहीं किया गया। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर पर दिव्यांग कोटे का गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं।

ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर वाले विवाद में यूपीएससी परीक्षा में डिसेबिलिटी कोटा काफी चर्चा में आया। इस बीच सोशल मीडिया पर आईआईटी रुड़की ग्रेजुएट कार्तिक कंसल की मार्कशीट वायरल हो रही है। उन्होंने एक या दो नहीं, बल्कि चार बार यूपीएससी की परीक्षा क्लियर की। लेकिन, दिव्यांग होने की वजह से कभी उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया। हालांकि, कार्तिक अन्य सिविल सर्विस के लिए दिव्यांग पात्रता को पूरी करते हैं। फिर भी उनके सिलेक्शन को निरस्त कर दिया। फिलहाल वे इसरो में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं। इनका सेलेक्शन अखिल भारतीय केंद्रीय भर्ती के माध्यम से हुआ था।

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14 साल की उम्र से कार्तिक व्हीलचेयर पर हैं, उन्हें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी है। उन्होंने चार बार यूपीएससी की परीक्षा पास की। फिर भी वे इस सरकारी सर्विस में सिलेक्ट नहीं हो पाए। 2019 में उन्होंने यूपीएससी में 813 रैंक हासिल की थी। इसके बाद 2021 में 271, 2022 में उनकी रैंक 784 और और 2023 में उन्हें 829 रैंक आई। 2021 में, जब उनकी रैंक 271 थी, तो बिना दिव्यांग कोटे के भी उन्हें IAS मिलना चाहिए था। क्योंकि, उस साल 272 और 273 रैंक वालों को आईएएस मिला था। हालांकि, 2021 में IAS के लिए योग्य फंक्शनल क्लासिफिकेशन में शामिल कंडीशन लिस्ट में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को शामिल नहीं कि किया गया था।

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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को भारतीय राजस्व सेवा (इनकम टैक्स) ग्रुप ‘ए’ और भारतीय राजस्व सेवा (कस्टम और एक्साइज) के लिए लिस्ट में शामिल किया गया है। 2019 में जब कार्तिक कंसल को 813 रैंक मिली, तो उन्हें आसानी से एक सर्विस आवंटित की जा सकती थी। क्योंकि, उस समय लोकोमोटर डिसेबिलिटी के लिए 15 पद खाली थे और सिर्फ 14 ही भरे गए थे। बचा हुआ एक पद कार्तिक को मिल सकता था लेकिन उन्हें नहीं दिया गया।

मेडिकल बोर्ड ने क्या कहा

CSE में PwBD आरक्षण के अलावा, मेडिकल बोर्ड का प्रमाण और देखने और लिखने की क्षमता भी चेक की जाती है। कार्तिक के विकलांगता प्रमाणपत्र में शुरू में कहा गया था कि उन्हें 60% विकलांगता है और ‘एम्स’ के मेडिकल बोर्ड ने कार्तिक की 90% मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बताई थी। इसमें यह शामिल था कि कार्तिक देखने, सुनने, बोलने, संवाद करने, पढ़ने और लिखने में समर्थ हैं। ऐसे में इस कैटेगरी में वे IRS के लिए चुने जा सकते थे।

‘एम्स’ ने रिपोर्ट में बताया था कि कार्तिक की मांसपेशियों में दिक्कत हैं, जिससे वे अपने पैरों का और हाथों का अच्छी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाते। लेकिन, व्हीलचेयर चलाना या उंगलियों ने कोई भी मूवमेंट करने में कार्तिक को कोई परेशानी नहीं होगी। सभी शारीरिक मानदंडों को पूरा करने के बावजूद केंद्रीय शिकायत निवारण पोर्टल ने कहा ‘आपके पद के अनुसार आपके लिए कोई मिलान वाली सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं।’

रिटायर IAS ने कार्तिक का पक्ष लिया 

हिमाचल प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस ने बातचीत के दौरान कहा कि अगर आईएएस के लिए सेरेब्रल पाल्सी की अनुमति है, तो मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की क्यों नहीं? कार्तिक ने 14 साल की उम्र से अपने हाथों से लिखना सीखा है, वो एक फाइटर है। उसने बचपन से ही खुद को तैयार किया है। ‘एम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्तिक को आईआरएस, इनकम टैक्स आदि में भर्ती किया जा सकता था, पर नहीं किया गया।