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प्रेमचंद जयंती पर कहानी पाठ :’कहानीकारों को अपने समय की घटनाओं ,समस्याओं ,आवश्यकताओं पर कहानी लिखना चाहिए’-अभिनेता राजीव वर्मा
भोपाल:मध्यप्रदेश शासकीय कर्मचारी -अधिकारी एकता रंगमंच भोपाल द्वारा कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष में विगत 20 वर्षों से कथा एवं नाटक का आयोजन किया जाता रहा है .इस वर्ष यह 21 वां आयोजन हिंदी भवन के महादेवी कक्ष में सुप्रसिद्ध साहित्यकार , पूर्व अपर मुख्य सचिव श्री अशोक शाह की अध्यक्षता एवं सुप्रसिद्ध अभिनेता रंगकर्मी श्री राजीव वर्मा के मुख्यआतिथ्य में आयोजित किया गया .कार्यक्रम संयोजक वरिष्ठ कथाकार उर्मिला शिरीष में सर्व प्रथम मुंशी प्रेमचंद की मानवीय भावनाओं और संवेदना से भरी कहानी “मन्त्र” का पाठ किया .
संस्था के पदाधिकारियों ने अतिथियों का स्वागत किया .
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अशोक शाह ने अपने संबोधन में कहानियों पर चर्चा करते हुए कहा कि गिरीश थत्ते की कहानी प्रेम है .प्रेम की जरूरत जीवन में सभी को होती है .पकंज सुबीर की कहानी वाली “ओरतों की दुनिया ‘ दिखाई नहीं देती ,समाज में ज्यादातर बंटवारे की वजह महिलाएं ही होती है ,लेकिन हम इस कहानी वाली “ओरतों की दुनिया “की उम्मीद करें आनेवाले समय में जिससे कड़वा करेला भी मीठा लगे .
उन्होंने स्वाति तिवारी की कहानी पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा की बेहद मार्मिक कहानी .उस भयावह समय की त्रासद पीड़ा की विवरणात्मक कहानी “कोई परिचित ‘.इस कहानी के माध्यम से हम सब अपने कोई परिचित को पहचाने .कोई परिचित हम किसे कहेंगे ?प्रेमचन्द जी कथा साहित्य की प्रासंगित पर भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की .
कथा सम्राट प्रेमचंद के कथासाहित्य में महत्वपूर्ण योगदान पर बोलते हुए उन्होंने उनके पात्रों को याद करते हुए उनकी सामाजिक प्रासंगिकता पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी .
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राजीव वर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि कहानीकारों को अपने समय की घटनाओं ,समस्याओं ,आवश्यकताओं पर कहानी लिखना चाहिए .कहानियाँ बहुत अच्छी और लिखी जा रही हैं लेकिन उसकी तुलना में हिंदी में आज भी नाटकों का अभाव है ,जिसके लिए हमें अन्य भाषाओं की और जाना पड़ता है .साहित्यकारों को नाटक भी लिखना चाहिए .आज पढ़ी गई सभी कहानियां बहुत अच्छी हैं .पंकज सुबीर की कहानी में नाट्य तत्व दिखाई दिए . साहित्यकार स्वाति तिवारी की लम्बी कहानी उस दर्दनाक समय ,उन परिस्थितियों की याद दिलाती बेहद मार्मिक कहानी है जब चिताएं चार कन्धों से भी वंचित रह गई .इस कहानी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम सब ने अपने मित्र ,परिजन इसी तरह की स्थितियों में खोये हैं .उन्होंने कोरोना से दिवंगत हुए अपने मित्रों को नाम लेकर याद किया .
इस अवसर पर देश के चर्चित कथाकारों ने अपनी स्वरचित कहानियों का भी पाठ किया . संस्थागत परंपरा अनुसार हिंदी और उर्दू के कथाकारों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की .स्वरचित कहानियों में कथाकार गिरीश थत्ते ने अपनी छोटी कहानी “प्रेम ” ,उर्दू कहानीकार सुल्ताना हिजाब ने अपनी उर्दू कहानी रुक्सत का पाठ किया .हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक, शायर व् साहित्यकार पंकज सुबीर ने अपनी कहानी “ओरतों की दुनिया” का पाठ किया ,वरिष्ठ साहित्यकार डॉ .स्वाति तिवारी ने अपनी कोरोना काल की पीड़ा और भयावह सामाजिक स्थिति में काम कर रहे वालेंटियर ,डाक्टर्स और शवदाह गृह के कर्मचारियों की स्थितियों का दस्तावेज करते अपनी चर्चित मार्मिक कहानी “कोई परिचित’ का पाठ किया.
युवा कहानीकार इंदिरा दांगी ने ग्रामीण परिवेश पर आधारित सेव गर्ल चाइल्ड थीम पर केन्द्रित कहानी “हिसाब बराबर ‘का भाव पूर्ण पाठ किया .वरिष्ठ साहित्यकार डॉ .स्वाति तिवारी ने अपनी कोरोना काल की पीड़ा और भयावह सामाजिक स्थिति में काम कर रहे वालेंटियर ,डाक्टर्स और शवदाह गृह के कर्मचारियों की स्थितियों का दस्तावेज करते अपनी चर्चित मार्मिक कहानी “कोई परिचित’ का पाठ किया .इस अवसर पर प्रेमचन्द की रचना एवं सुमित द्विवेदी द्वारा निर्देशित नाटक ‘बाबाजी का भोग ‘ मंचन भी किया गया . एकल नाट्य प्रस्तुति में चार किरदारों का रोल अकेले रंग कर्मी भानू प्रकाश तिवारी ने किया
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुआ .दिवंगत साहित्यप्रेमी डॉ.शिरीष शर्मा को दो मिनिट का मौन रख कर श्रद्धांजलिदी गई .कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार उर्मिला शिरीष ने किया .आभार उप सचिव पंकज शर्मा ने व्यक्त किया .इस अवसर पर बड़ी संख्भोया में पाल के साहित्य और रंगमंच अनुरागी श्रोता और दर्शक उपस्थित थे .