District Incharge Ministers: जिला प्रभारी मंत्रियों के नाम लगभग तय,कभी भी हो सकती है घोषणा,Dy CM और वरिष्ठ मंत्रियों को मिलेगा 2- 2 जिलों का प्रभार

दिल्ली से लेकर भोपाल तक चला मंथन

816

District Incharge Ministers: जिला प्रभारी मंत्रियों के नाम लगभग तय,कभी भी हो सकती है घोषणा,Dy CM और वरिष्ठ मंत्रियों को मिलेगा 2- 2 जिलों का प्रभार

भोपाल: पिछले आठ महीनों से जिलों के प्रभार मिलने का इंतजार कर रहे डॉ. मोहन यादव कैबिनेट के मंत्रियों का इंतजार जल्द खत्म होने जा रहा है। उन्हें जल्द ही प्रभार दे दिया जाएगा।
दरअसल किस मंत्री को किस जिले का प्रभार दिया जाए,इस पर सत्ता और संगठन के बीच लंबा मंथन चला। बीच में यह भी हुआ कि उप मुख्यमंत्रियों को जिलों के प्रभार से मुक्त रखा जाए या नहीं। इस पर भी बहुत विचार हुआ। अब यह तय हो चुका है, उप मुख्यमंत्रियों और प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों को बड़े शहरों का प्रभार दिया जाएगा।

सूत्रों की मानी जाए तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले का प्रभार डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा को दिया जा सकता है। उज्जैन के साथ ही उन्हें एक और जिले का प्रभार भी मिल सकता है। वहीं उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल को इंदौर या जबलपुर में से किसी एक जिले का प्रभारी बनाया जा सकता है। वहीं नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और राव उदय प्रताप सिंह को भी बड़े जिलों का प्रभारी बनाया जा सकता है। इन बड़े शहरों में भोपाल, रीवा, ग्वालियर, सागर, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन शामिल हैं। कैलाश विजयवर्गीय को भोपाल जिले का प्रभारी मंत्री बनाया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्रियों के क्षेत्र का रखा जाएगा ध्यान
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोक सभा क्षेत्र में आने वाले जिलों का प्रभार किसे दिया जाए, इस पर विशेष रूप से विचार किया गया। अशोक नगर, गुना और शिवपुरी जिले में से दो जिलों का प्रभार सिंधिया समर्थक मंत्रियों को ही दिया जाएगा। वहीं विदिशा, रायसेन और सीहोर में भी शिवराज सिंह चौहान की पसंद अनुसार ही मंत्रियों को प्रभार दिया जाएगा।

दिल्ली से लेकर भोपाल तक चला मंथन
पिछले महीने दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय संगठन और मुख्यमंत्री के बीच में बैठक हुई थी। जिसमें यह तय हो गया था कि अब जल्द ही मंत्रियों को जिलों का प्रभार दे दिया जाए। इसके बाद इस पर फार्मूला तय किया गया कि उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ मंत्रियों को बड़े जिले दिए जाएं। इसमें एक जिले को लेकर एक बड़े नेता की आपत्ति भी सामने आई थी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश संगठन के साथ मिलकर इस आपत्ति का भी निराकरण कर लिया और इसका हल निकाल दिया।