MP में 81 हजार KM सड़कें लेकिन लोकपथ एप पर 37 दिन में गढ्ढों की केवल 1930 शिकायतें!

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MP में 81 हजार KM सड़कें लेकिन लोकपथ एप पर 37 दिन में गढ्ढों की केवल 1930 शिकायतें!

भोपाल. बारिश से प्रदेशभर की शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों सहित राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग पर काफी गढ्ढे हो गए है। गढ्ढों को तेज गति से सुधारने लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह की पहल पर लोक निर्माण विभाग ने लोकपथ मोबाइल एप भी शुरु किया लेकिन आम जनता इसपर शिकायत करने में रुचि नहीं ले रही है।

प्रदेश में विभाग की 81 हजार किलोमीटर लंबी सड़के है और लोकपथ एप के शुरु होंने के 37 दिन में पूरे प्रदेश से गढ्ढों को लेकर सिर्फ 1930 शिकायतें ही प्राप्त हुई है और विभाग इनमें से 1806 शिकायतों का निराकरण कर चुका है। सात दिन से अधिक समय से लंबित शिकायतों की संख्या केवल 15 ही है।

लोकपथ एप पर लोक निर्माण विभाग को लोक लोक निर्माण विभाग बीआर में सर्वाधिक 1289 शिकायतें प्राप्त हुई। इनमें सबसे अधिक तेजी से गढ्ढों को भरने में इंदौर जिला अव्वल रहा वहीं बैतूल जिला शिकायतों के निपटारे में सबसे फिसड्डी रहा है। एमपीआरडीसी की सड़कों की कुल 532 शिकायतें विभाग को मिली है।इनमें से 475 का निराकरण हो चुका है। इन सड़कों की मरम्मत करने में धार जिला सबसे फिसड्डी रहा है वहीं बालाघाट तेजी से शिकायतें निराकृत कर पहले स्थान पर रहा है। लोक निर्माण एनएच की सड़कों की केवल 109 शिकायतें विभाग को मिली है इनमें से 96 का निराकरण हो चुका है। केवल तेरह शिकायतें लंबित है। एनएच की शिकायतों को तेजी से निराकृत करने में भोपाल अव्वल रहा है वहीं दमोह इस मामले में फिसड्डी रहा है।

विभाग ने 2 जुलाई को लोकपथ एप की लांचिग की थी। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के पास 81 हजार किलोमीटर सड़कों का नेटवर्क है। इसमें से 9 हजार 315 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, 12 हजार 568 किलोमीटर स्टैट हाईवे, 25 हजार 420 किलोमीटर मुख्य जिला मार्ग तथा 33 हजार 697 किलोमीटर की ग्रामीण सड़कें है। विभाग ने प्रत्येक मार्ग पर सब इंजीनियर, एसडीओ और ईई स्तर के अधिकारियों को मार्गवार जिम्मेदारी सौपी है और ये अफसर इन सड़कों पर निरंतर निगरानी कर रहे है लेकिन प्रदेश में 81 हजार किलोमीटर की सड़कों पर केवल 1930 शिकायतें ही मिली है। भोपाल शहर में सड़कों पर केवल तीन प्रतिशत सड़कों में गढ्ढे मिले थे जिनमें अधिकांश में मरम्मत पूरी कर दी गई है।

विभाग शहरी मार्गो को बार बार क्षतिग्रस्त होंने से बचाने के लिए व्हाईट टॉपिंग से कांक्रीट की पतली लेयर डालकर उन्नयन करना चाहता है ताकि बारिश में पर्याप्त जल निकासी के अभाव में भी सड़कें सुरक्षित रह सके।