दस हजार आदिवासियों ने एक स्वर में की आदिवासी आरक्षित विधानसभा क्षेत्र की मांग,धर्मांतरण का किया विरोध

विदेशी कंपनियों को जंगल जमीन देने के विरोध में राष्ट्रपति को सौंपेंगे ज्ञापन

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दस हजार आदिवासियों ने एक स्वर में की आदिवासी आरक्षित विधानसभा क्षेत्र की मांग,धर्मांतरण का किया विरोध

*संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की रपट*

इटारसी/केसला। विश्व आदिवासी दिवस पर इस बार केसला ब्लाक के सहेली खेल स्टेडियम से लेकर इटारसी के जयस्तंभ चौक तक आदिवासी चेतना,ऊर्जा चरम पर दिखाई दी। कुछ ऐसे राजनीतिक,सामाजिक संकल्प एक सुर में मुखरित हुए,जो अब तक कम ही देखा गया है। यूं तो केसला के सहेली स्टेडियम में मुख्य कार्यक्रम हुआ। पर इसके पूर्व एक विशाल रैली टांगना से जमानी, पुरानी इटारसी से केसला होते हुए सहेली खेल स्टेडियम पहुंची। केसला, काला आखर, सुखतबा के विभिन्न अंचलों से भी हजारों आदिवासी ग्रामीण रैली के रूप में खेल स्टेडियम पहुंचे। इस वर्ष उपस्थिति बढ़कर दस हजार के करीब पहुंच गई। स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखने को मिले।अलग-अलग ग्रामों से टोलियां पहुंची और आदिवासी रीति रिवाज, वेशभूषा संग, पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। सर्व आदिवासी समाज के एक स्वर में संकल्प रूपी जो कथन,घोषणाएं,मांगें सामने आए वे इस प्रकार थे। इनमें केसला ब्लाक में आदिवासी बहुत अधिक संख्या में होने से एक आदिवासी आरक्षित विधानसभा सीट की मांग की गई। जंगल जमीन बाहर की कंपनी को दिया जा रहा है जिस पर रोक लगाई जाए। पेसा एक्ट ब्लॉक में लागू है जिसका अधिकार पूरी तरह से ग्राम समिति को दिया जाए, बाहर से आने वाली देसी विदेशी कंपनियों को जंगल जमीन देना बंद किया जाए,आदिवासी संस्कृति की पारसी भाषा का स्कूल खोला जाए , कई बर्ष से ब्लॉक में धर्म परिवर्तन किया जा रहा है।

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अतः जो आदिवासी अपने देवी देवता,बड़ा देव को नहीं मान रहा है उस पर रोक लगाई जाए,जिन आदिवासी जमीनों पर कई लोगों ने कब्जा कर रखा है उनको वापस दी जाए, प्राकृतिक महुआ गुल्ली अचार का समर्थन मूल्य घोषित किया जाए, संविधान की मूल भावना को बचाने की बात भी कही जो धीरे-धीरे नष्ट होते जा रहा है। मध्य प्रदेश मैं 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस रूप में अवकाश घोषित किया जाए। यह बताया गया कि राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपति मुर्मू को ज्ञापन जाएगा। वन अधिकार कानून 2006 से लागू किया जाए, जिससे देश के गरीब आदिवासियों को अधिकार मिले। जिले में आदिवासियों पर झूठे वन अपराध खत्म किए जाए। जंगल और जमीन बाहरी कंपनियों को देने से रोकने के लिए राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया जाएगा। आदिवासियों की आजीविका के साधन प्राकृतिक महुआ, गुल्ली, अचार का समर्थन मूल्य मांगा गया।इसके पूर्व एक रैली ग्राम टांगना से जमानी, पुरानी इटारसी होकर केसला खेल स्टेडियम पहुंची। इसी तरह से केसला, काला आखर (Kala Akhar), सुखतवा (Sukhatwa) के आसपास, ग्रामीण अंचलों से भी रैलियां स्टेडियम पहुंची थी।

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ब्लॉक के सामने से स्टेडियम तक रैली के समय केसला पुलिस बल उपस्थित नहीं रहा। भारी वाहन का आना जाना लगा रहा। समिति के लोगों ने 2 किलोमीटर तक खुद मोर्चा संभाला। सम्पूर्ण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला पंचायत सदस्य सीमा कासदे, केसला जनपद अध्यक्ष गंगाराम कलमे, प्रदेश संयोजक दुर्गेश धुर्वे, कल्याण समिति केसला के अध्यक्ष ईशवरदास उईके, फगराम सेलुस्कर, आदिवासी तिलक सिंदूर समिति संरक्षक सुरेंद्र कुमार धुर्वे, अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद नागले, तारा वरकडे, विनोद वारिवा सहित,अन्य हजारों की संख्या में महिला पुरुष आदिवासी उपस्थित रहे।

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