Vande Bharat Train : 100 वंदे भारत बनाने का ऑर्डर कैंसिल, आखिर क्यों नाराज हुई सरकार!
New Delhi : सरकार की देश में सभी लंबे रूट पर वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना को झटका लगा। वंदे भारत ट्रेन बनाने का 30 हजार करोड़ का ठेका रद्द कर दिया। योजना के तहत 100 वंदे भारत ट्रेन बनाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, टेंडर पूरा होने से पहले ही भारतीय रेलवे ने इस कॉन्ट्रैक्ट को कैंसिल कर दिया। ऐसे में योजना को पूरा करने में निश्चित तौर पर देरी होगी। भारतीय रेलवे ने इस प्रक्रिया को फिर शुरू करने के लिए और समय मांगा है।
रेलवे की ओर से यह टेंडर रद्द किए जाने से वंदे भारत योजना तगड़ा झटका लगा। रेलवे ने 100 वंदे भारत ट्रेन बनाने का जो 30 हजार करोड़ रुपए में टेंडर निकाला था। इसके लिए तमाम कंपनियों ने दावेदारी पेश की और फ्रांस की कंपनी आल्सटम इंडिया के साथ बातचीत आखिरी चरण तक पहुंच गई थी। बाद में पैसों को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बनी और रेलवे ने फिलहाल इस टेंडर को वापस ले लिया।
इसलिए रद्द हुआ टेंडर
वंदे भारत बनाने के टेंडर पर बातचीत करने वाली कंपनी एल्सटम इंडिया के एमडी ओलिवर लुइसन के मुताबिक, टेंडर में ऑफर किए गए पैसों को लेकर दिक्कत थी। एल्युमीनियम बॉडी वाली वंदे भारत ट्रेन बनाने के लिए बातचीत चल रही थी। लेकिन, भारतीय रेलवे ने अपना टेंडर ही कैंसिल कर दिया। हम भविष्य में इस कीमत को कम करने पर विचार कर सकते थे, लेकिन रेलवे ने टेंडर ही कैंसिल कर दिया।
कितना दांव लगाया गया था
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि फ्रेंच की ओर से टेंडर प्राइस के लिए प्रति टेन 150.9 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। यह काफी ज्यादा कीमत थी और हमने 140 करोड़ तक लाने की बात कही। हालांकि, रेलवे के दबाव में एल्सटम ने 145 करोड़ पर डील फाइनल करने की बात भी कही थी। कंपनी ने इसे 30 हजार करोड़ में खत्म करने की बात कही थी और इसी कीमत में 100 वंदे भारत रेक्स बनाने का वादा किया था। इससे पहले वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का हर वैगन 120 करोड़ में बनाने का टेंडर फाइनल भी हो चुका है।
अब रेलवे को ज्यादा मौका
रेलवे के अधिकारी ने बताया कि इस टेंडर के कैंसिल हो जाने से रेलवे को अपनी कीमत का आकलन करने में मदद मिलेगी। साथ ही बिडिंग लगाने वाली कंपनियों को अपने प्रोजेक्ट और ऑफर को समझने का मौका भी मिलेगा। अगली बार हम ज्यादा कंपनियों को टेंडर में शामिल भी करेंगे, ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े तो लागत में कमी आए। इस बार तो सिर्फ दो ही बिडर शामिल हुए थे। टेंडर के तहत 13 हजार करोड़ रुपये रैक की डिलीवरी पर मिलने थे और 17 हजार करोड़ अगले 35 साल में उसके रखरखाव के लिए दिए जाएंगे।