Kolkata Rape-Murder Case: सबको लगता है कि रेप एक सेक्सुअल एक्ट है -लेकिन, यह एक पावर एक्ट भी  है….!

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Kolkata Rape-Murder Case:सबको लगता है कि रेप एक सेक्सुअल एक्ट है -लेकिन, यह एक पावर एक्ट भी  है….!

-निधि नित्या  की विशेष रिपोर्ट 

 प्रसंग; Kolkata Rape-Murder Case

   रेप पुरुष का पावर ऐक्शन है स्त्री को उसकी जगह दिखाने का। समाज में आज भी लड़कियों को उनकी आपियरिंस पर और उनकी सोच पर टोका जाता है। तुमको ऐसा दिखना चाहिए से लेकर तुमको ऐसा सोचना चाहिए तक लड़कियों को हर उम्र में बताकर कंट्रोल किया जाता है। इसके सबके बाद भी लड़कियां टॉप पर आ जाती हैं। वो स्कॉलर्स बन जाती हैं ,बोल्ड हो जाती हैं और अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मसम्मान से जीना चाहती हैं। फिर भी पितृसत्तात्मक सोच लगातार उनको उनकी जगह दिखाने पर आमादा रहती है। उनको सेकेंडरी ट्रीटमेंट हर जगह दिया जाता है। वर्किंग प्लेस से लेकर घरों तक उनको उनकी जगह दिखाई जाती है।

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समस्या लड़कियों का आगे बढ़ना नही बल्कि पेट्रीअर्की यानी पितृसत्ता के पावर का कम हो जाना है। लड़कियों के मामलेनभी में घर ,परिवार, स्कूल, कॉलेज से लेकर समाज और ऑफिस तक लोगों का इगो हजार गुना बढ़ा रहता है। और उसी इगो की संतुष्टि के लिए रेप पावर ऐक्शन बनकर सामने आता है। वो ऐसे नही जीत पाते तो वैसे जीतने पर आमदा हो जाते हैं।

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इसलिए मत सोचिए कि रेप एक सेक्सुअल एक्शन है ये एक पावर ऐक्शन भी है । लड़कियां दुनिया के हर कोने में तब असुरक्षित हैं जब तक दुनिया के कोने कोने में असंतुलित सोच वाले , इगोईस्ट , पितृसत्तात्मक सोच में पले बढ़े लड़के मौजूद हैं। समस्या उनके वैसा होने में नही बल्कि समस्या उनको पितृसत्तात्मक सोच के साथ बड़ा करने वालों की परवरिश में हैं।Kolkata doctor rape murder case assuced comes home and slept washed clothes - वारदात के बाद घर जाकर सोया कोलकाता का दरिंदा, जूते पर मिला खून; प्रिंसिपल का इस्तीफा, पश्चिम ...

इसमें वो तमाम स्त्रियां भी बराबर की हिस्सेदार हैं जिनको घर के अंदर ही लगता है कि बहुएं या बेटियां घर के लड़कों के आगे चुप रह जाती तो क्या हो जाता । उनको बता दूं कि इससे ये हो जाता है कि लड़के का इगो हजार गुना बढ़ जाता है और लड़कियों को बहुओं को चुप कराकर रखना उसे अपना पावर कंट्रोल और बहुत जरूरी एक्शन लगने लगता है । उसे लड़कियों पर , बहुओं पर कंट्रोल में रखना बिल्कुल सामान्य लगने लगता है । और एक वक़्त के बाद वो आपको चुप कराने लग जाता है । ये दोष है आपकी परवरिश का। कटघरे में अकेला पुरूष नहीं खड़ा है उसके साथ वो तमाम स्त्रियां भी खड़ी हैं जो पवार अपने लड़कों के हाथ में देखना चाहती हैं जिनको बेटे के बराबर की बहू और बेटी के बराबर बेटा, आंखों में गड़ता है।

जरूरत लड़कियों को उनकी जगह बताकर उनको कन्ट्रोल करने की नहीं बल्कि लड़कों को उनकी लिमिट सिखाकर , इंसान बनाने की है। अपनी लड़कियों को संस्कार के नाम पर कैद करने की बजाय अपने लड़कों को सिखाइए कि स्त्रियों के साथ कैसे जिया जाता है और कैसा व्यवहार किया जाता है।
” अपने पुत्रों को इंसान बनाइए , पावर हाउस नहीं ..”

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–निधि नित्या

भारत की १०० सशक्त महिलाओं में शामिल होकरराष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित , वोकेशनल ट्रेनर,मोटिवेशन और पॉजिटिव थिंकिंग स्पीकर .
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