संजीवनी बनता मध्यप्रदेश …
देश की राजनीति में मध्यप्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा रही है, है, और बनी रहेगी। चाहे बात सर्वोच्च पदों को सुशोभित करने की रही हो, या फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल दूसरे राज्य के नेताओं को राज्यसभा के जरिए सदस्य बनाकर पात्र बनाने की हो। संगठन के मामले में मध्यप्रदेश भाजपा का डंका देश में हर जगह बजता है। और राज्यसभा में जाने के पहले हकदार मध्यप्रदेश के भाजपा कार्यकर्ता ही होते हैं। पर जब-जब देश को जरूरत पड़ी, तब-तब मध्यप्रदेश के कार्यकर्ताओं ने त्याग किया और राज्यसभा में प्रदेश के बाहर के नेताओं को ससम्मान जगह दिलवाई है। दूसरे राज्यों में भाजपा मजबूत हो सके, उसमें मध्यप्रदेश के हकदार भाजपा कार्यकर्ताओं का चाहा-अनचाहा त्याग मायने रखता है। वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो तमिलनाडु के भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मुरुगन मध्यप्रदेश से ही राज्यसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और अब केरल के जॉर्ज कुरियन को मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेजा जा रहा है। कुरियन भी केंद्रीय मंत्री हैं। दरअसल निवर्तमान राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुना से लोकसभा सांसद बनने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी। अब बाकी बचे दो साल कुरियन को यह अवसर मिल रहा है। हालांकि कयास लगाए जा रहे थे कि गुना से लोकसभा सांसद रहे केपी यादव इस सीट से दोबारा टिकट न मिलने की वजह से उपकृत किए जा सकते हैं। और उपचुनाव के जरिए वह अंधकार को दूर भगा कर ज्योतिर्मय हो सकते हैं। पर दावेदारों की सूची लंबी थी, और अब सबको ही निराशा हाथ लगी है। आशा का दीपक अब भी धैर्य और त्याग के इर्द-गिर्द टिमटिमा रहा है।
मध्यप्रदेश छह वर्ष की अवधि के लिए 11 सदस्यों का चुनाव राज्यसभा के लिए करता है और ये सदस्य मध्य प्रदेश के राज्य विधायकों द्वारा एकल संक्रमणीय मतों का उपयोग करके अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। सदस्य छह वर्ष की अवधि के लिए बैठते हैं, जिनमें से एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं। इससे पहले 1952 से मध्य प्रदेश से 12 सीटें, मध्य भारत से 6 सीटें, विंध्य प्रदेश राज्य से 4 सीटें और भोपाल राज्य से 1 सीट राज्यसभा के लिए थी। संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 के बाद मध्य प्रदेश से 16 सीटें रह गईं। मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के बाद 15 नवंबर 2000 से मध्य प्रदेश राज्य से छत्तीसगढ़ राज्य को 5 सीटें आवंटित की गईं, जिससे इसकी सीटें 16 से घटकर 11 रह गईं।
तो अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफा से रिक्त हुई राज्यसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में कार्यकाल पूरा होने तक के दो साल के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री जार्ज कुरियन मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होंगे। जॉर्ज कुरियन केरल से आते हैं। जॉर्ज कुरियन का जन्म केरल के एट्टुमानूर के नम्बियाकुलम में हुआ था। उनकी शिक्षा कोट्टायम जिले में हुई। वह सीरो-मलाबार कैथोलिक चर्च के सदस्य हैं। जॉर्ज कुरियन ने कानून में स्नातक और मास्टर ऑफ आर्ट्स में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत भी करते हैं। वर्तमान में वह मोदी सरकार में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। 9 जून 2024 को उन्होंने एनडीए सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। जॉर्ज कुरियन भारतीय जनता पार्टी के लंबे समय से सदस्य हैं और 1980 में पार्टी की स्थापना के समय से ही पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष और रेल राज्य मंत्री ओ. राजगोपाल के विशेष कार्य अधिकारी के रूप में भी सेवा दी है। राजनीतिक जीवन में, जॉर्ज कुरियन ने बीजेपी के विभिन्न पदों पर कार्य किया है, जैसे कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य। वह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष बनने वाले पहले मलयाली हैं।
तो मध्यप्रदेश ने प्रदेश के बाहर के नामचीन नेताओं को राज्यसभा भेजा है। इनमें एमजे अकबर, एल.गणेशन, प्रकाश जावड़ेकर, नजमा हेपतुल्ला, चंदन मित्रा, सुषमा स्वराज, एस. थिरुनावुक्कारासर, लालकृष्ण आडवाणी, भैंरो सिंह शेखावत, ओ.राजगोपाल आदि नाम शामिल हैं। अब इस केंद्र सरकार में एल. मुरुगन के बाद जार्ज कुरियन को राज्यसभा भेजकर मध्यप्रदेश इनके लिए और भाजपा के लिए संजीवनी का काम ही कर रहा है। मध्यप्रदेश बाहरी नेताओं के लिए संजीवनी बनने का सिलसिला हमेशा जारी रखेगा…।