प्रदेश का हर नागरिक सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का हकदार बने…

203

प्रदेश का हर नागरिक सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का हकदार बने…

उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का कहना है कि राज्य सरकार का प्रयास है कि हर नागरिक को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का प्रदाय हों। यह उम्मीद उन्होंने तब जताई है, जब हमीदिया चिकित्सालय ने सबसे अधिक बेड संख्या में 5 वर्ष की एनएबीएच मान्यता प्राप्त कर कीर्तिमान रच दिया। उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बधाई संग यह उद्गार व्यक्त किए हैं। सामान्य तौर पर यही देखा जाता है कि इस तरह की आदर्श बातें विशेष अवसरों पर होती रहती हैं, पर लक्ष्य हासिल नहीं हो पाता। फिर नई सरकार बनती है और फिर नए स्वास्थ्य मंत्री इसी तरह की आदर्श बातें कर लोगों की उम्मीदों को हवा देना शुरू कर देते हैं। पर ईश्वर करे कि इस बार प्रयास सफल हो जाए ताकि प्रदेश का हर नागरिक सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का हकदार बन सके। और डॉक्टर मरीज की नजरों में भगवान और सरकारी अस्पताल दिव्य स्थान बन जाएं।

तो पहले बात हमीदिया चिकित्सालय की उपलब्धि की। हमीदिया चिकित्सालय भोपाल को 5 वर्षों के लिए एनएबीएच मान्यता प्राप्त करने पर राज्य सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल और टीम हमीदिया चिकित्सालय को बधाई। यह गर्व की बात है कि हमीदिया चिकित्सालय देश में सबसे अधिक बेड संख्या में एनएबीएच मान्यता करने वाले शासकीय चिकित्सकीय संस्थानों में शीर्ष पर है। हमीदिया चिकित्सालय भोपाल में 1 हज़ार 820 बिस्तरों की सुविधा है। भारत के किसी भी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों जैसे एम्स, पीजीआई जैसे संस्थानों में भी इतनी बिस्तर संख्या पर एनएबीएच की पूर्णकालिक मान्यता 5 वर्ष नहीं है। उत्कृष्ट सेवाओं के प्रदाय और व्यवस्था पर 2024 से 2028 तक की अवधि के लिए एनएबीएच प्रमाणन किया गया है। तो वाकई यह प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे की बड़ी उपलब्धि है।

पर स्वास्थ्य सेवाओं का दूसरा पक्ष यह भी है कि स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद खराब हैं। महिलाओं बच्चों की स्थिति चिंताजनक है। इंदौर हाईकोर्ट ने इस संबंध में मध्यप्रदेश सरकार से एक माह पहले ही जवाब मांगा था। मध्यप्रदेश में बदहाल ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति दुपल्ला वेंटकरमन्ना की युगल पीठ ने मध्यप्रदेश शासन से 19 जुलाई 2024 को जवाब तलब किया था। यह याचिका गांधीवादी विचारक और लेखक चिन्मय मिश्र द्वारा दायर की गई थी। न्यायालय ने इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए मध्यप्रदेश शासन को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए कहा था।

याचिका में बताया गया था कि भारत में जहां शिशु मृत्यु दर 32 प्रति 1000 है, वहीं मध्यप्रदेश में यह 48 प्रति 1000 है।राष्ट्रीय स्तर पर मातृ मृत्यु दर 113 प्रति 100,000 है, जबकि मध्यप्रदेश में यह 173 प्रति 100,000 है। केवल 55% ग्रामीण महिलाओं को ही प्रसव पूर्व 4 बार जांच की सुविधा मिल पाती है, जो कि आवश्यक है। केवल 30% महिलाओं को ही प्रसव के समय आयरन फोलिक एसिड दिया जाता है, बाकी 70% महिलाएं इससे वंचित रह जाती हैं। केवल 42% महिलाएं ही जन्म के 1 घंटे के अंदर अपने बच्चे को स्तनपान करवाती हैं। मध्यप्रदेश में 58% से अधिक महिलाएं एनीमिया यानि खून की कमी से ग्रस्त हैं। इन सबके अलावा, याचिका में ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों, स्वास्थ्य केंद्रों और दवाओं की कमी का भी उल्लेख किया गया है।

याचिका का आधार मध्यप्रदेश का नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 है। इसकी अपेक्षाओं के अनुसार मध्यप्रदेश में एक भी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर या सब सेंटर नहीं है। जबकि यही ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की नींव हैं। भारत शासन के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के अनुसार यह सेंटर कार्यरत नहीं हैं। यहां न तो उपयुक्त सुविधाएं हैं और न ही डॉक्टर तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मी। इस सर्वे के अनुसार मध्यप्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं में कमियों का भंडार है। यदि सर्वे में सत्यता है तो स्वास्थ्य सेवाएं, सर्वोत्तम स्थिति से कोसों दूर हैं।

हमारा उद्देश्य कमियों की तरफ ध्यान आकर्षित करना नहीं है। हमारी चाहत यही है कि उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य-चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ल और राज्य सरकार के मुखिया डॉ. मोहन यादव का प्रयास सफल हो और मध्यप्रदेश के हर नागरिक को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का प्रदाय संभव हो सके…।