सरकारी अफ़सर और यारबाज चूहे 

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सरकारी अफ़सर और यारबाज चूहे 

सरकारी अफ़सरों के भी दोस्त होते हैं ? होते हैं ना।उसकी कुर्सी।तरह तरह के एक्ट।नियम।आदेश।उसकी कलम।उसका फोन।उसके भेदिए।ये सब उसकी उसके शत्रुओं से रक्षा करते हैं या जब वो किसी को निपटाना चाहता है तो उसके साथ खड़े रहते हैं।अब इस लिस्ट में चूहों को भी शामिल कर लीजिए।सरकारी आदमी चूहों की बहुत इज़्ज़त करता है।करना भी चाहिए। जब किसी आफ़त मे उसके दूसरे मददगार फेल हो जाते है तब वो चूहों की तरफ देखता है और चूहे दोस्ती निबाहने से कभी पीछे नही हटते।

पाकिस्तान से मिली खबर तो सुन ही चुके होंगे आप। वहाँ की संसद में चूहों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है।ये चूहे सीनेट और नेशनल असेंबली की कई जरूरी और गोपनीय फाइलों को कुतर कर बर्बाद कर चुके हैं।जनता को बताया गया है कि इन चूहों से निपट लिया जाएगा। बिल्लियाँ खरीदी जाएँगी और इसके लिए बारह लाख का बजट मंज़ूर किया गया है।

चूहे कभी नही निपटते। चूहे पूरी इज़्ज़त के साथ पाले जाते हैं सरकारी दफ़्तरों में। वो मददगार हैं।चूहों का फ़ाईलें खा जाना साफ बताता है कि वो वहाँ के अफ़सरों के जिगरी हैं।सरकारी बंदे फ़ाईलें करना नही चाहते।तब करते है जब पूरी तरह से मुतमईन हो जाएँ।की गई फ़ाईलें डराती है उन्हें।और सरकारी आदमी तभी निश्चिंत हो पाता है जब वो फ़ाईलें इस दुनिया मे ना रहे।चूहे निपट चुकी फ़ाईलों से जान छुड़ाते है सरकारी अफ़सरों की।इसलिए वो उनसे दोस्ती बनाए रखते हैं।

हमारे हिंदुस्तानी चूहे भी इस मामले मे कम वफ़ादार नही।ये भी दोस्ती निभाने मे मिसाल।शोले के जय टाईप के दोस्त।खुद भले मर जाए पर दोस्त पर आँच न आने दे।बिहार मे नशाबंदी है।कुछ साल पहले जब एक खडूस टाईप के अफसर ने वहाँ के थानों में जप्त कर रखी हुई शराब की बोतलें गिनने की सोची तो उसे थानेदारों ने बताया कि नौ लाख लीटर शराब चूहे पी चुके और अब उनके पास दिखाने बताने के लिए भी शराब नही है।जाँच पड़ताल करने वाला अफ़सर अब चूहों से क्या पूछता। सो बात आई गई हो गई।बिहार मे ही कुछ बांध टूटे।गाँव डूबे।जब इसे लेकर सवाल हुए तो पुल बनाने वाले अफ़सरों ने चूहों को आगे किया। यारबाज चूहों ने बाँध को खोखला करने और पुल टूटने की ज़िम्मेदारी फ़ौरन मंज़ूर की।और अपने सरकारी दोस्तों की नौकरी बचा ली।

सोचिए आप।चूहे न होंगे तो सरकारी अफ़सर क्या करेंगे? कैसे नौकरी कर सकेंगे? कैसे सो पाएँगे चैन से? कैसे नए बजट मंज़ूर होंगे? सरकारी दफ़्तरों के होते चूहों का होना जरूरी है और यह भी जान लीजिए।आप लाख बिल्लियाँ पाल लें।चूहे थे। चूहे हैं और चूहे बने रहेंगे।