सरकार फिर 14 साल के लिए खुले बाजार से लेगी ढाई हजार करोड़ रुपए का कर्ज,27 अगस्त को बुलाए प्रस्ताव 

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सरकार फिर 14 साल के लिए खुले बाजार से लेगी ढाई हजार करोड़ रुपए का कर्ज,27 अगस्त को बुलाए प्रस्ताव 

 

भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार एक बार फिर 14 वर्ष के लिए खुले बाजार से ढाई हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है।

राज्य सरकार यह कर्ज रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के कोर बैंकिंग साल्यूशन ई कुबेर सिस्टम के जरिए लेगी। कर्ज के लिए देशभर की वित्तीय संस्थाओं से 27 अगस्त को प्रस्ताव बुलाए गए है। इस दिन सुबह साढ़े दस से साढ़े ग्यारह बजे के बीच ई कुबेर सिस्टम पर प्रस्ताव भेजे जा सकेंगे। इन्हें खोला जाएगा और जो सर्वोत्तम प्रस्ताव आएगा जो राज्य सरकार को सबसे कम दरों पर और सरकार की शर्तो पर उससे राज्य सरकार 28 अगस्त को ढाई हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। इस कर्ज की अदायगी 28 अगस्त 2038 को की जाएगी।

 *_3 लाख 75 हजार करोड़ का सरकार पर कर्ज-_* 

मध्यप्रदेश सरकार पर इस समय 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ रुपए का कर्ज है। बाजार से सरकार ने 2 लाख 34 हजार 812 करोड़ रुपए का कर्ज ले रखा है। पावर बांड सहित अन्य बांडों के जरिए 5 हजार 888 करोड़ रुपए का कर्ज सरकार ने लिया है। वित्तीय संस्थाओं से ऋण के रुप में 15 हजार 248 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इसके अलावा केन्द्र सरकार से द्यण और एडवांस के रुप में 62 हजार 12 करोड़ रुपए लिए है। अन्य दायित्व 19 हजार 195 करोड़ और राष्ट्रीय बचत योजना फंड से 38 हजार 421 करोड़ रुपए की राशि ले रखी है। इस तरह कुल 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ रुपए का कर्ज सरकार पर पहले से ही है। सरकार पर लगातार कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। लाड़ली बहना योजना, साढ़े चार सौ रुपए में रसोई गैस सिलेंंडर योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, किसान सम्मान निधि, सीएम कन्यादान, सीएम कन्या विवाह योजना में सरकार आमजनता को मुफ्त रुपए बांट रही है। इसके अलावा रियायती दरों पर बिजली आमजन और किसानों को दी जा रही है। बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी सरकार उठा रही है। बच्चियों को सायकल, पुस्तकें भी दी जा रही है। मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के तहत इंजीनियरिंग, चिकित्सा, विधि, एमबीए और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने पर उनकी पढ़ाई का खर्च राज्य सरकार वहन करती है। इसलिए देनदारी लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा बारिश में उखड़ी सड़कों की मरम्मत, भोपाल इंदौर में मेट्रो निर्माण और अन्य कामों पर खर्च आ रहा है जिसका प्रबंध करने के लिए सरकार कर्ज ले रही है।