Krishna: विष्णु के 24 अवतारों में कृष्ण सबसे अधिक लोकप्रिय क्यों?
विष्णु के चौबीस अवतारों में कृष्ण सबसे अधिक लोकप्रिय क्यों हैं ? केवल इसलिये नही क्योंकि वे इस धरती पर अब तक आये सारे पुरूषों में सबसे बेहतर हैं। सम्पूर्ण पुरूष हैं। वे इसलिये सभी के पसंद है क्योंकि वे सबसे अधिक मानवीय देवता है। सभी को अपने जैसे लगते हैं। उनमें खुद को तलाशा जाना आसान है।
वे मर्यादा पुरुषोत्तम होने का दावा नहीं करते। कृष्ण परिस्थितियों के अनुसार निर्णय करने में सक्षम हैं। विविधताओं का स्वागत करने वाले कृष्ण ने जीवन के सारे रंग देखे। वे ही है जो प्रेम करना सिखाते हैं हमें। वे प्रेमी है ,ऐसे प्रेमी जो निर्लिप्त होना भी जानता है। वे योद्धा भी है और विचारक भी। कृष्ण राजा है फिर भी उन्हें कष्ट के समय सखा भाव से पुकारा जा सकता है। मित्र तो है ही वे अपने कर्तव्यों के पालन को लेकर अडिग हैं।
आगे बढ़ना स्वभाव में है उनके। वो पीछे मुड़कर नहीं देखते। चुनौतियों का सामना दृष्टा भाव से करते है। राह में आने वाली सारी बाधाओं को हटाने में सक्षम है। और ऐसा करते वक्त रण छोड़ देने या महाभारत करने जैसी नीति निर्धारण भी खुद ही करते है।
हरफ़नमौला कृष्ण का सबसे पहला जिक्र मिलता है , छठी शताब्दी ईसापूर्व में ‘छंदोग्य उपनिषद’ में ,इसमें उन्हें एक साधु और उपदेशक बताया गया है. साथ ही इसमें उनका देवकीपुत्र के रूप में भी ज़िक्र है। चौथी शताब्दी ईसापूर्व में पाणिनि ने ने संस्कृत व्याकरण का ग्रंथ लिखा अष्टाध्यायी ,इसमें उन्होंने कृष्ण को सबसे पहले देवता कह कर प्रस्तुत किया। मौर्य राजदरबार में यूनान के दूत रहे मेगस्थनीज की किताब ‘इंडिका’ में बताया गया है कि किस तरह शूरसेनी यादवों ने मथुरा में कृष्ण को देवता की तरह पूजना शुरू किया ! ईसा पूर्व चौथी शताब्दी बीतते बीतते जनमानस कृष्ण को बतौर देवता विष्णु का अवतार स्वीकार कर चुका था।
उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि रसखान ,अमीर खुसरो ,आलम शेख़ जैसे मुस्लिम नामावरो ने उनके लिये कवित्त रचे ,वाजिदअली शाह जैसे शासक उनके लिये नाचे ,ये सब इसलिये हुआ क्योंकि वे प्रेम ,शांति ,समन्वय और प्रसन्नता का संदेश देते है ! वे बैचैन नदी जैसी इस दुनिया में समरसता के पुल है।
कृष्ण ,सकारात्मकता,उत्साह ,आशावादिता आकांक्षाओ और उम्मीदों के देवता है। वे इस बात के प्रेरक है कि बेहतर होने की सच्ची ,प्राणप्रण से की गई कोशिशो से ऊँचाइयाँ हासिल की जा सकती है। कृष्ण इस बात की तस्दीक़ है कि नामुमकिन कुछ भी नही। और बस इन्हीं सब वजहों से कभी वृंदावन की गलियों में खेलने वाले कृष्ण ,मनुष्य से देवता होकर हम सभी के मन पर क़ाबिज़ है।
आप सभी को इस साँवले ,सलोने ,लोकलुभावन का जन्मदिन मुबारक हो !
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