मंत्रियों के बंगलों को सजाने से लेकर 13 विभागों की कई योजनाओं के खर्च के लिए वित्त विभाग का अड़ंगा खत्म
भोपाल. राज्य सरकार प्रदेश के तेरह महकमों पर मेहरबान है। इन विभागों को अपनी विभिन्न योजनाओं में राशि खर्च करने के लिए अभी तक वित्त विभाग की अनुमति लेने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। यहीं नहीं कुछ अन्य विभागों की कई योजनाओं को भी वित्त के नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया है।
प्राप्त जानकारी अनुसार लोक निर्माण विभाग अब प्रदेश के मंत्रियों के बंगलों की साज-सज्जा और संधारण पर जितनी चाहे राशि खर्च कर सकेगा। उसे इसके लिए वित्त की अनुमति लेने की भी जरुरत नहीं होगी।
विभागों की योजनाओं पर राशि खर्च के लिए जिन तेरह विभागों को वित्त के नियंत्रण से मुक्त किया गया है उनमें वन, वाणिज्य कर, नर्मदा घाटी विकास,प्रवासी भारतीय, उच्च शिक्षा,आयुष, विमानन, पंचायत, पशुपालन, जेल, खाद्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामान्य प्रशासन और अन्य विभाग श्रेणी में आने वाले विभागों को मुक्त किया गया है। सबसे खास बात यह है कि अन्य विभागों की कई योजनाओं के खर्च पर नियंत्रण के लिए लगाया गया शिकंजा भी फायनेंस विभाग ने हटा लिया है।
इन विभागों को पूरी छूट-
वन विभाग में वन पर्यटन से आय के बराबर खर्चो का समायोजन और प्रतिकात्मक वन रोपण निधि पर ब्याज भुगतान के लिए अब उसे वित्त से अनुमति नहीं लेना होगा। करों से सर्वाधिक राजस्व संग्रहण करने वाले विभाग वाणिज्य कर को डिजिटल इंडिया भूमि रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम के लिए राशि खर्च करने अब वित्त विभाग के पास नहीं जाना होगा। नर्मदा घाटी विकास विभाग को एनवीडीए के बिजली बिल भुगतान के लिए वित्त की अनुमति नहीं लेनी होगी। प्रवासी भारतीय विभाग फ्रेंड्स आॅफ एमपी कॉनक्लेव के लिए राशि वित्त की अनुमति बिना कर सकेगा। उच्च शिक्षा विभाग सरकारी कॉलेजों में भवन निर्माण और प्रयोगशाला उन्नयन बिना वित्त की अनुमति के कर सकेगा। आयुष विभाग की देवारण्य योजना, आयुष मिशन और राज्य औषधीय पादप बोर्ड को अनुदान देने अब वित्त के पास फाइल नहीं जाएगी। प्रदेश में हवाई पट्टियों के विस्तार, निर्माण और भू अर्जन के लिए मुआवजा देने विमानन को अब वित्त से अनुमति नहीं लेना होगा। पंचायत विभाग को त्रिस्तरीय पुरस्कार देने और स्थानीय निकायों को मूलभूत सेवाओं हेतु एकमुश्त अनुदान देने वित्त की अनुमति जरुरी नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना भी वित्त के अनुमति के बिना चलेगी। जेल विभाग को बंदियों द्वारा सामग्री निर्माण हेतु एकमुश्त सहायता देने अब वित्त के पास प्रस्ताव नहीं भेजना पड़ेगा। खाद्य विभाग को मध्यप्रदेश खेल प्राधिकरण को अनुदान देने, खाद्य विभाग अब बिना वित्त की अनुमति लिए पैक्स एवं लैम्प्स समितियों के विक्रेताओं को मानदेय सहायता दे सकेगा।
प्रदेश में इलेक्ट्रानिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स की स्थापना के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और मिशन कर्मयोगी के संचालन के लिए जीएडी को अब वित्त के पास नहीं जाना होगा।
इनकी कई योजनाएं हुई वित्त के नियंत्रण से मुक्त-
प्रदेश के मंत्रियों के आवास की साज सज्जा एवं संधारण पर लोक निर्माण विभाग में हो रहे बेहिसाब खर्च के चलते पहले वित्त विभाग ने इसके लिए फायनेंस की अनुमति अनिवार्य कर दी थी अब इसे इससे मुक्त कर दिया गया है। याने मंत्रियों के बंगलों पर लोक निर्माण विभाग मनमर्जी से जितनी चाहे राशि खर्च कर सकेगा। स्वास्थ्य विभाग में कोविड उपचार, सिकल सेल, मध्यप्रदेश शांतिवाहन सेवा, मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता, स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य संस्थाओं के अनुरंक्षण, आशा कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए वित्त की अनुमति जरुरी नही है। इसी तरह कृषि विभाग में प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन हेतु प्रचार प्रसार योजना और खाद भंडारण पर ब्याज अनुदान योजना, कृषि अधोसंरचना निधि के संचालन, कृषि यंत्रीकरण के क्षेत्र में कौशल विकास कार्यक्रम, कृषि क्षेत्र में अधोसंरचना विकास, कृषक उत्पादनक संगठनों के गठन और संवर्धन के लिए राशि खर्च करने कृषि विभाग को वित्त की अनुमति लेने की जरुरत नहीं होगी। स्कूल शिक्षा विभाग को अब कलाओं से समृद्ध शिक्षा अनुगूंज के लिए वित्त की अनुमति जरुरी नहीं होगी। उच्च शिक्षा विभाग की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना भी फायनेंस की अनुमति से मुक्त रहेगी।उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग उद्यानिकी फसलोंत्तर प्रबंधन अंतर्गत एकीकृत शीत श्रृंखला की अधोसंरचना विकास की प्रोत्साहन योजना पर बिना वित्त विभाग की मंजूरी लिए राशि खर्च कर सकेगा। इसके अलावा भी कई विभागों की योजनाएं नियंत्रण मुक्त कर दी गई है।