Kolkata Doctor Rape and Murder Case : देश की लेखिकाओं के “सवाल स्त्री अस्मिता के”, मुझे जबाब चाहिए ?

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Kolkata Doctor Rape and Murder Case
चौथी किस्त

Kolkata Doctor Rape and Murder Case : देश की लेखिकाओं के “सवाल स्त्री अस्मिता के”, मुझे जबाब चाहिए ?

                  1.  इंसाफ़ का इंतज़ार और कब तक, मुझे जबाब चाहिए ?

डॉ रजनी भंडारी
ये तो सदियो से चल रहा था ,विगत कुछ सालो से मानो बाढ़ सी आ गई है और इस बाढ़ में जान माल का नुक़सान नहीं हुआ पूरी मानवता शर्मसार भी हुई,पीडित भी हुई और क्रोधित भी.जी हाँ मैं कलकत्ता के आर जी कार मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर के साथ हुए वीभत्स बलात्कार के बाद एक महिला के दिल और दिमाग़ की बात कर रही हूँ!

कभी उसे निर्भया वन कभी  टू और थ्री तो कभी अभया कहा गया , बस समय स्थान और दिनांक ही बदली कृत्य तो वही एक था – स्त्री को कुचलने का उसे प्रताड़ित करने का अपनी हवस शांत करने का मर्द की मर्दांगिनी साबित करने का बदले की आग को बुझाने का – उसके शरीर को नोचो खसोटो  और अंत में उसकी हत्या कर दो – मन वितृष्णा से भर उठता है .और हम सोचते है क्या इसीलिए स्त्री पुरुष को जन्मती है ?क्यों उसे शिक्षित कर उस पर अपने स्नेह की वर्षा करती है?

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क्या इसी नियति के लिए – क्यों शिक्षा संस्कार नहीं दे पा रही , क्यों आदमी अपनी हवस अपनी वासना का ग़ुलाम बनता है ? क्यों वह सिर्फ़ भक्षक और रक्षक में सिर्फ़ प्रथम भक्षक वाले भाव को ही दिलो दिमाग़ पर हावी होने देता है – क्या स्त्री यू ही शिकार होती रहेगी कभी राजनीति की और कभी कुनीति की?

क्यों नहीं एक महिला मुख्यमंत्री ने अपनी स्त्री भावना को सर्वोपरि रखा क्यों उसने अपनी कुर्सी और अपनी राजनीति को एक महिला डॉक्टर के सम्मान से कही ज़्यादा महत्व दिया!

ये सिलसिला चलता रहेगा और स्त्री ख़ुद के साथ हुई ना इंसाफ़ी और ख़ुदगर्ज़ी के लिए इंसाफ़ का इंतज़ार करती रहेगी
मुझे जबाब चाहिए ?

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डॉ रजनी भंडारी
सामाजिक कार्यकर्ता
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न्यू जर्सी

                             2. मेरे चंद सवाल हैं,मुझे जबाब चाहिए

जब से कोलकत्ता में महिला डॉक्टर से बलात्कार हुआ है  सब दूर पढ़ने में, सुनने में आ रहा है की नारी  उत्पीड़न के लिए ,नारी कब बनेगी वीरांगना?

लोग खूब बढ़ – चढ़कर इस पर बोल रहे हैं ,परिचर्चाओं में हिस्सा ले रहे हैं ,मैं  नेभी हिस्सा लिया, चर्चा की  व कविताएं लिखीं ।लेकिन फिर अपने आप से सवाल भी किया क्या नारी  वीरांगना नहीं बनी?

जबकि हम गए 30 – 35 साल में समाज में बदलाव देख रहे हैं जब नारियां नौकरी करने लगी या कहे परिवार का दायित्व संभालने घरों से बाहर निकली। आर्थिक रूप से वे संपन्न होने लगी।
अपने दायित्व व अपने निर्णय स्वयं लेने लगी। एकल परिवार बनने लगे तब हमारा ही समाज या कहे हम ,उस नारी को कोसने लगे। अजीब कशमकश है?
अब जब वह स्वयं सिद्धा हो गई है और जब उसने अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई है तो कुछ हेवानों  ने उस उठाई गई आवाज के विरुद्ध,  उसके साथ सामूहिक बलात्कार कर दिया। उसे कहां पता था उस षड्यंत्र का? उस प्लान का? पता होता तो वह अपने साथ हथियार न रखती या किसी को साथ ना रखती? वह भी सरकारी अस्पताल में? उन हैवानों ने तो उस उठी आवाज को हैवानियत और दरिंदगी के साथ कुचल दिया। खत्म कर दिया ।

जब वह निहत्थी हो । किन्हीं दोस्तों( कहने भर के), दुष्टों  के चक्रव्यूह में फंसीं हो, तो बचें कैसे? कैसे उस चक्रव्यूह से निकले?
वह तो तो  इन सब आपदाओं से बचने के लिए लाख कोशिशें कर रही थी अपने आप को उन राक्षसों से बचा रही थी और तों और 23-23  घंटे की ड्यूटी कर रही थी। वह उन हेवानों की काली करतूतों  को जान चुकी थी और उसीकी सजा भुगत रही थी।अपने आप को उन राक्षसों से बचा रही थी। पर उन कुछ चंद राक्षसों में एकता थी इसलिए वे तो एक होकर उसे गंदे घिनोंने कृत्य को कर बैठे।पर शायद उस वीरांगना के साथ कोई नहीं आया? अकेले कब तक लड़ती है?
क्या अपने को अभी भी लगता है कि उसने अन्य के खिलाफ आवाज नहीं उठाई? उठाई थी पर हम कभी साथ देने आगे नहीं आए फिर यह आवाज किसी भी क्षेत्र के लिए उठाई गई हो ।अगर  हम एक होते तो कदापि मुगलों से लेकर आज तक पर परतंत्र की बेड़ियां किसी तरह नहीं झेलते। चाहे वे बेड़ियां किसी के द्वारा भी पहनाई गई हो।जय चंदो को सिर उठाने की जगह न देते।
और इसीलिए सब का सबसे पहले एक होना जरूरी है, कोई आवाज उठे तो उसका साथ देना जरूरी है।
जरूर इसके लिए कुर्बानियां तो देनी पड़ेगी यह तय है और जो आवाज उठा रही है वे( बेचारी शब्द का प्रयोग नहीं करूंगी, मेरी दृष्टि में तो वह किसी झांसी वाली रानी की तरह ही है)तोअपनी कुर्बानियां दे रही है।इंसाफ़ का इंतज़ार करती रहेगी
मुझे जबाब चाहिए

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संध्या राणे


 

3.वह दुर्गा बनकर शस्त्र उठा सकती है, यह चेतावनी है , सम्हल जाओ पुरूषों !

सुषमा व्यास’राजनिधि

नारी जन्मदात्री है, उसी नारी पर बरसों से अत्याचार किये जा रहे हैं। वर्तमान में भारत देश में जहाँ नारी पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर देश की उन्नति में सहायक है वही ं देश में नारी की अस्मिता छीनी जा रही है।विभत्स हत्या और बलात्कार दिल दहला रहे हैं।अगर यह सब नहीं रूका तो कहीं ऐसा ना हो जो नारी कोमल कहलाती है वही दुर्गा बनकर शस्त्र उठा ले, यह चेतावनी है अभी भी सम्हल जाओ, नहीं तो जो नारी जन्म देती है वो संहार भी कर सकती है।कहीं ऐसा ना हो फिर से एक महाभारत लिखी जाये और वो नारी द्वारा ही लिखी जाये।
कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को चिकित्सक का शव मिला था, जिस पर गंभीर चोटों के निशान थे. इस घटना के खिलाफ देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी और इसके अगले दिन केंद्रीय एजेंसी ने जांच कोलकाता पुलिस से अपने हाथ में ले ली. इस गंभीर अपराध की पूरी जानकारी होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन विक्टिम के माता-पिता को उसकी मौत की जानकारी देने में इतना मैनिपुलेटिव और बेशर्म कैसे हो सकता है। मुझे जबाब चाहिए ?

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सुषमा व्यास’राजनिधि’

Atrocities Against Women: Kolkata Doctor Rape and Murder Case : देश की लेखिकाओं के “सवाल स्त्री अस्मिता के” 

Kolkata Doctor Rape and Murder Case : देश की 100 वूमन एचीवर्स के “सवाल स्त्री अस्मिता के”