Paralympics 2024: IAS Officer Won Silver, भारत के खाते में आया 12वां मेडल

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IAS Officer Won Silver
IAS Officer Won Silver

Paralympics 2024: IAS Officer Won Silver, भारत के खाते में आया 12वां मेडल

पैरालंपिक में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है. आज (2 सितंबर) को पैराबैडमिंटन मेंस सिंगल एसएल 4 गोल्ड मेडल मैच में भारत के सुहास यतिराज और फ्रांस के ल्यूकस माजूर के बीच मुकाबला हुआ. इस मैच में ल्यूकस माजूर ने शानदार जीत दर्ज कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया. वहीं, भारत के सुहास को सिल्वर मेडल मिलाकंप्यूटर इंजीनियर से आईएएस अधिकारी बने सुहास ने अपने टखने की कमजोरी को बैडमिंटन के प्रति अपने जुनून में कभी बाधा नहीं बनने दिया। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के तहत युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक के रूप में तैनात सुहास का प्रशासन से बैडमिंटन कोर्ट तक का सफर उनकी उल्लेखनीय दृढ़ता के बारे में है।

सुहास ने पेरिस पैरालंपिक में टोक्यो का प्रदर्शन दोहराया और पुरुष एकल एसएल4 स्पर्धा में रजत पदक जीतने में सफल रहे। इसी तरह सुहास पैरालंपिक में लगातार दो पदक जीतने वाले भारत के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए हैं।

पिता से मिला आत्मविश्वास
सुहास ने बताया था कि बचपन में ही उनके पिता ने उनमें ऐसा कूट-कूटकर आत्मविश्वास भरा कि इंजीनियरिंग से आईएएस और यहां से पैरा शटलर के रास्ते खुलते गए। सुहास के मुताबिक उन्हें मेडिटेशन की जरूरत नहीं पड़ती। जब वह कोर्ट पर होते हैं तो उन्हें आध्यात्म का अनुभव होता है। बैडमिंटन ही उनके लिए ध्यान और साधना है। अहम जिम्मेदारी होने के बावजूद सुहास बैडमिंटन के लिए समय निकाल लेते हैं। वह कहते हैं कि दुनिया में लोगों के पास 24 घंटे ही हैं। इनमें कई सारे काम कर लेते हैं और कुछ कहते हैं कि उनके पास समय नहीं है। किसी चीज के प्रति दीवानापन है तो उसे करने में तकलीफ नहीं होती। इसी तरह बैडमिंटन उनके लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है। काम के साथ तीन घंटे की मेडीटेशन की बात को बड़ा नहीं माना जाएगा, लेकिन काम के साथ तीन घंटे बैडमिंटन खेलना लोगों को बड़ा लगेगा। बैडमिंटन उनके लिए मेडीटेशन है। जब वह खेलते हैं तो आध्यात्म का अनुभव करते हैं जिसमें किस तरह एक-एक प्वाइंट के लिए डूबना होता है। अगर किसी चीज को करने की चाहत है तो सामंजस्य बिठाया जा सकता है।

आईएएस अकादमी में रहे बैडमिंटन, स्क्वैश के उपविजेता
सुहास ने बताया था कि वह बैडमिंटन कॉलेज के दिनों से पहले से भी रोजाना खेलते आ रहे हैं। जब वह 2007 में आईएएस अकादमी मसूरी गए तो वहां साई कोच एमएम पांडे मिले। अकादमी में वह बैडमिंटन और स्क्वैश के उपविजेता रहे। उस दौरान एमएम पांडे ने उन्हें एक दिन कोर्ट पर बुलाया और इधर-उधर शटल देकर बुरी तरह नचाया। वह थक गए तो कोच ने कहा कि अपने पर घमंड मत करो। उन्हें अभी ट्रेनिंग की जरूरत है। तब उन्होंने बैडमिंटन की कोचिंग दी और उसके बाद गौरव खन्ना उन्हें पैरा बैडमिंटन में लाने के लिए जिम्मेदार बने।