Death in Police Custody: पुलिस अभिरक्षा में होने वाली मौत और हिंसा-IG-SP की जिम्मेदारी तय!

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Death in Police Custody: पुलिस अभिरक्षा में होने वाली मौत और हिंसा-IG-SP की जिम्मेदारी तय!

SP को करना होगा हवालातों का औचक निरीक्षण, IG भी देखेंगे कि हवालात कितने सुरक्षित!

भोपाल. हाल ही में मुरैना में पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत के मामले में घिरी पुलिस ने आईजी और पुलिस अधीक्षकों की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। यदि अब पुलिस अभिरक्षा में किसी के साथ हिंसा होती है तो पुलिस मुख्यालय यह मानेगा कि कहीं न कहीं इन अफसरों के स्तर पर पर्यवेक्षण में लापरवाही रही है।

मुरैना के सिविल लाइन थाने में पुलिस अभिरक्षा में हवालात में बंद आरोपी की रविवार को हुई मौत के बाद पुलिस मुख्यालय ने यह निर्देश जारी किए हैं जिसमें IG-SP के साथ ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रेंक के अफसरों को भी हवालात की सुरक्षा को लेकर सतर्क और सचेत रहने के निर्देश दिए गए हैं।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआईडी पवन कुमार श्रीवास्तव ने पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना से अनुमोदन के बाद इस संबंध में सभी रेंज के आईजी , पुलिस कमिश्नर और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं। अब IG को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके अंडर में आने वाले जिलों के सभी थानों के हवालात सुरक्षित हो , ताकि वहां कोई भी बंदी शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सके। IG को यह भी देखना होगा कि किसी भी बंदी को बिना सुरक्षा के न रखा जाए एवं हर समय एक प्रहरी हवालात के बाहर मौजूद रहे। आईजी और पुलिस अधीक्षक इस विषय में विशेष बैठक आयोजित कर थाना प्रभारियों को संवेदनशील बनाएंगे।

वहीं पुलिस अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पुलिस अभिरक्षा में लिए गए व्यक्ति को थाना पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार से प्रताड़ित नहीं किया जाए। इसे रोकने लिए पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सीएसपी, डीएसपी को औचक निरीक्षण करना होगा। औचक निरीक्षण निरंतर करने को निर्देशित किया गया है।

कोर्ट में पेश होने तक किसी से नहीं मिलने दिया जाए

हवालात में जिसे बंद किया जाएगा अब उससे उसके परिचितों को थाने में नहीं मिलने दिया जाएगा। पुलिस मुख्यालय ने IG-SP को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हवालात में बंद व्यक्ति को कोर्ट में पेश करने से पहले किसी से नहीं मिलते दिया जाए। इसके अलावा हवालात में सीसीटीवी कैमरे को इतने ऊपर लगाया जाए कि उससे छेड़छाड़ नहीं की जा सके।

मॉनिटरिंग में मानी जाएगी लापरवाही

अब यदि पुलिस अभिरक्षा में किसी के साथ हिंसा होती है तो यह माना जाएगा कि आईजी, पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अफसरों ने मॉनिटरिंग में लापरवाही बरती है। इसके साथ ही पुलिस अधीक्षक थानों के लिए सहायक उपनिरीक्षक या उससे ऊपर के अफसर को थाना परिसर या हवालात की स्थिति की जानकारी देने के लिए नियुक्त कर सकते हैं।