बाघों के फ्री मूवमेंट पर MP और छत्तीसगढ़ सरकार आमने-सामने

कान्हा, बांधवगढ और अचानकमार टाइगर कॉरिडोर पर फेंसिंग

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भोपाल. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार बाघों के फ्री मोमेंट को लेकर आमने-सामने हो गई है। मध्य प्रदेश के दो और छत्तीसगढ के एक टाइगर रिजर्व को आपस में जोडने वाले कॉरिडोर पर छत्तीसगढ वन विभाग ने फेंसिंग कर बाघों के स्वतंत्र मूवमेंट पर रोक लगा दी है।

इसके पीछे दोनों राज्यों के सीमा विवाद की बात सामने आ रही है। लेकिन इससे यहां के बाघ वहां और वहां के बाघ यहां नहीं जा पाएंगे। दरअसल ये पूरा मामला है छत्तीसगढ के मरवाही वन परिक्षेत्र का है। जिसने मध्यप्रदेश के अमरकंटक क्षेत्र को जोड़ने वाले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की सीमा पर फेसिंग करवा दी है। इसके बाद से ही बाघों के आवागमन को लेकर एक नई समस्या पैदा हो गई है।

मूवमेंट के लिए बना था कॉरिडोर
कुछ साल बाघों के फ्री मूवमेंट के लिए एमपी के दो और छत्तीसगढ के एक टाइगर रिजर्व को जोडने के उद्देश्य से एक टाइगर कॉरिडोर बनाया गया था ताकि मध्यप्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बाघ छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व आ जा सकें और अपना कुनवा बढा सकें।

यहां यहां फेंसिंग
जानकारी के अनुसार अमरकंटक के पास जलेश्वर, करंगरा रोड में, धनौली समेत कुछ अन्य जगह पर फेंसिंग कर दी है। जिसके कारण अब बाघ और अन्य जानवर फ्री मूवमेंट नहीं कर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि जो जंगली जानवर और बाघ पहले कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र तक पहुंच जाया करते थे। उनका आना-जाना अब कम हो गया है।