भाजपा का शक्ति केंद्र और भारत का चेहरा है यह 74 साल का योद्धा…
इक्कीसवीं सदी में लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीसवीं सदी में बनाए गए रिकार्ड की बराबरी कर इतिहास रचने वाले नरेंद्र दामोदर दास मोदी आज यानि 17 सितंबर 2024 को 74 साल के हो गए हैं। 2014 से लगातार भारत के प्रधानमंत्री होने के नाते मोदी पूरी दुनिया में भारत का चेहरा हैं। तो वर्तमान में भाजपा का शक्ति केंद्र मोदी ही हैं। अगर कहा जाए कि ‘भाजपा के मन में मोदी और मोदी के मन में भाजपा’ है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है। विवादों से मोदी का नाता रहा है और परिस्थिति वश कभी दो कदम आगे बढ़ाने के लिए एक कदम पीछे खींचने की रणनीति पर भी अमल किया हो, पर मोदी ने हार कभी नहीं मानी। गोधरा कांड से लेकर पाकिस्तान के भीतर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक से तबाही के मंजर मोदी के विजयी योद्धा होने की गवाही देते हैं। जरूरत पड़ी तो शिवाजी की गोरिल्ला युद्ध की नीति पर अमल कर लिया और सामान्य स्थिति में वल्लभ भाई पटेल के साहस से ही काम चला लिया। पर रण में पीठ दिखाने की कायरता मोदी के आसपास भी नहीं फटक पाई। गुजरात में तो 2001 से मानो इक्कीसवीं सदी में मोदी युग ही चल रहा है, तो पूरी दुनिया 2014 के बाद भारत में मोदी युग की साक्षी है। और आजाद भारत में 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वड़नगर में जन्मे 74 साल के रणबांकुरे मोदी का सफर जारी है।
गोधरा कांड मोदी के साथ साये की तरह संग-संग चलता रहेगा। गोधरा कांड को जाने बिना मोदी की चर्चा पूरी नहीं हो सकती। दरअसल 27 फ़रवरी 2002 को अयोध्या से पुनः गुजरात लौट कर आ रहे कारसेवकों को गोधरा स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में मुसलमानों की हिंसक भीड़ द्वारा आग लगा कर जिन्दा जला दिया गया। इस हादसे में 59 कारसेवकों की दर्दनाक रूप से मृत्यु हो गई थी। रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप समूचे गुजरात में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे। और मरने वाले 1180 लोगों में अधिकांश संख्या अल्पसंख्यकों की थी। इसके लिये न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था।कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की माँग की थी। तो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी मोदी को राजधर्म का पाठ पढाया था। बाद में मोदी ने गुजरात की दसवीं विधानसभा भंग करने की संस्तुति करते हुए राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंपा। गुजरात में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राज्य में दोबारा चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने मोदी के नेतृत्व में विधान सभा की कुल 182 सीटों में से 127 सीटों पर जीत हासिल की थी। और 2014 मई में प्रधानमंत्री बनने तक मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने रहे। गोधरा ने मोदी का बहुत पीछा किया और केंद्र में 2004 से 2014 तक यूपीए नीत कांग्रेस सरकार रही। जांचों की श्रंखला चली, पर मोदी पर कोई दाग नहीं लग पाया। विपक्ष मोदी के खिलाफ तब से अब तक नफरत फैलाने का टैग चस्पा करती रही है और मोदी की विजय यात्रा जारी है।
कारसेवकों के नाम पर शुरू हुआ मोदी का विवादों का सफर अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाकर ही थमा। भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने ही मोदी को आइना दिखाया हो और विपक्ष को संजीवनी दी हो, पर योद्धा मोदी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर मोदी ने एक और विवाद से अपना नाता जोड़ा है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को बांटकर मोदी ने इसे और हवा दी। और अब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संपन्न होने जा रहे हैं। विपक्ष एकजुट है और देश फैसले का इंतजार कर रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यकाल में भी उनके फैसले और नीतियां विवादों से सराबोर रही हैं। चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी कानून हो, चाहे नागरिकता संबंधी मुस्लिम विवाद हों या फिर जम्मू-कश्मीर, वक्फ बोर्ड संबंधी कदम, या समान नागरिक संहिता जैसा मुद्दा, किसान आंदोलन हो या मौहब्बत और नफरत की बातें, चाहे अडानी-अंबानी हों या फिर देश की अर्थव्यवस्था-बेरोजगारी पर सवालिया निशान…और यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ही अहंकार और मणिपुर के नाम पर आइना दिखाकर मोदी पर सीधी उंगली उठाई हो, पर मोदी ने वही किया जो उनके मन को भाया। कहा जाता है कि नरेन्द्र मोदी अपनी विशिष्ट जीवन शैली के लिये समूचे राजनीतिक हलकों में जाने जाते हैं। कर्मयोगी की तरह मोदी अपने कामकाज को अमली जामा पहनाने में कोई दिक्कत महसूस नहीं करते। उन्होंने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मन्दिरों को भी ध्वस्त करवाने में कभी कोई कोताही नहीं बरती जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे। हालाँकि इसके लिये उन्हें विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों का कोपभाजन भी बनना पड़ा, परन्तु उन्होंने इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं की। मोदी को जो उचित लगा,उस काम को वह करते रहे। वे एक लोकप्रिय वक्ता हैं, जिन्हें सुनने के लिये बहुत भारी संख्या में श्रोता आज भी पहुँचते हैं। अपनी मातृभाषा गुजराती के अतिरिक्त वह हिन्दी में ही बोलते हैं। कुर्ता-पायजामा व सदरी के अतिरिक्त वे कभी-कभार सूट भी पहन लेते हैं। उनका विवाद एक सोने की जरी वाले सूट से भी जुड़ा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राजस्थान के अलवर में रविवार को कहा है कि ‘देश में कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वही इस देश के कर्ताधर्ता हैं।’ यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी अक्षरश: लागू होती है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद ‘देश में कुछ अच्छा होता है तो मोदी की कीर्ति बढ़ती है। कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू मोदी पर ही आता है, क्योंकि वही इस देश के कर्ताधर्ता हैं।’ पर यह सौ फीसदी सच है कि फिलहाल 2014 के बाद भाजपा का शक्ति केंद्र और भारत का चेहरा है यह 74 साल का योद्धा
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