My Second Life: स्वप्न में देखी घटना को सच होते देखा,वरिष्ठ और साथी अधिकारियों ने की मेरी प्राण रक्षा
बात 2009 -10 की है .दीपावली की लंबी छुट्टियाँ ख़त्म होने को थीं .कपास और तीखी लाल मिर्च के लिए मशहूर बड़वानी में ADM के रूप में चार -पाँच दिन बाद मुझे वापस लौटना था .उसके पहले ही कलेक्टर साहब का फ़ोन आया .उन्हें लंबी छुट्टी पर बाहर जाना था .उनकी अनुपस्थिति में मुझे प्रभारी कलेक्टर रहना है .इसलिये वे चाहते थे मैं अपनी छुट्टियों में कटौती कर वापस बड़वानी लौट आऊँ .
अगले दिन सुबह सुबह हम लोग भोपाल से निकले और इंदौर पंहुचकर अपनी सरकारी एम्बेसडर में बैठ बड़वानी के रास्ते चल पड़े .मुझे नींद आ रही थी. आँख मूँदकर पिछली सीट पर बढ़िया झपकी ले रहा था .अनुभवी ड्राइवर और लाल बत्ती एंबेसडर चैन से सोने में सहायक थे .मुझे पता था कि बड़वानी पंहुच कर सीधे काम में जुटना था इसलिये यात्रा में पूरी नींद करना चाहता था .
नींद के झकोरों में गाड़ी कब कहाँ पंहुची मुझे नहीं पता .धामनोद के पास भरी दोपहरी में क्या पता कैसे हमारी गाड़ी हमसे आगे चलते ट्रक में पीछे से जा घुसी .जब मेरी चेतना लौटी तो मैंने पाया कोई अपरिचित लोग मुझे और मेरी पत्नी को कार से निकाल कर एक दूसरी गाड़ी में बैठा रहे हैं .मेरे कपड़े मेरे ही खून से सरोबार थे .मैंने उसी अर्ध चेतन अवस्था में पूछा क्या हुआ है ?आप लोग हमें कहाँ ले जा रहे हैं?उन्होंने बताया कि एक्सीडेंट हुआ है,आपको अस्पताल ले जा रहे हैं. मैं पुनः अचेत हो गया .
जब होश आया तो हम लोग अस्पताल में थे . पाटीदार अस्पताल में फ़र्स्ट ऐड के बाद शासकीय एम्बुलेंस में चढ़ाया गया .मुझे ड्राइवर और उसके बेटे की चिंता थी जो अचेत से थे .तभी अपनेपन से भरा एक स्नेहिल स्वर सुना .भैया आप बिलकुल परेशान मत हो .मैं कवींद्र की भाभी हूँ-मैंने देखा एक लेडी डॉक्टर हम लोगों को इंदौर भेजने से पहले इंजेक्शन आदि दे रहीं हैं .मैं कृतज्ञता पूर्वक मुस्कुरा दिया .उन्होंने बताया ड्राइवर भी ठीक है .हमारी एम्बुलेंस जब बॉम्बे हॉस्पिटल पंहुची तो मैं यह देखकर विस्मित हुआ कि
इंदौर के कलेक्टर श्री राकेश श्रीवास्तव , जिला पंचायत के CEO श्री महेश चौधरी,SDM श्री उमाशंकर भार्गव सहित अनेक वरिष्ठ और आत्मीय मित्र वहाँ उपस्थित थे .इन्हें देखकर मैं अभिवादन के लिये उठा तो ढेर सारा खून नाक और मुँह से बाहर आया और मैं पुनः बेहोश हो गया .अगले कुछ घंटों में छोटे बड़े कई ऑपरेशन के बाद मैं लंबे समय तक चिकित्सकों की देख रेख में रहने के बाद सामान्य जीवन की ओर लौटा .मेरे वरिष्ठों और अग्रजों ने साथ ही अनुजों ने उस समय जो तत्परता और कार्य कुशलता दिखाई उसके कारण उस भीषण दुर्घटना में प्राणांतक चोटों और अत्याधिक रक्तपात के बाद भी मैं आपको यह कहानी कहने बच गया .
जिनके नाम विवरण में आ चुके हैं इनके अलावा दुर्घटना के बाद हर व्यवस्था अगर पूर्व से सक्रिय मिली तो इसका श्रेय मेरे बैचमेट श्री अजय शर्मा को है जो पूर्व में बड़वानी रह चुके थे और अपने सूत्रों से पलपल की जानकारी लेकर बड़वानी से इंदौर तक विभिन्न स्तरों पर समन्वय कर रहे थे .श्री विनोद शर्मा जो इंदौर खूब रहे हैं वे भी सतत लगे रहे .श्री राम प्रसाद सरोतिया जी जो अपनी गाड़ी में मुझे घटना स्थल से तत्काल अस्पताल ले गए .तब के मेरे कलेक्टर श्री एन पी एस राजपूत जो अपनी छुट्टियाँ भूलकर मेरे कुशल क्षेम की चिंता स्वस्थ होने के बाद तक करते रहे .
मेरे सौभाग्य से श्री कवींद्र कियावत सर के बड़े भैया और भाभीजी धामनोद में सरकारी डॉक्टर थे और उस दिन काम आये .मेरे ड्राइवर और उनके बेटे शीघ्र स्वस्थ हो गये .मुझे कई माह तरल आहार पर रहना पड़ा .दर्द कम होने में तीन चार साल लगे .अभी भी दर्द मिटा नहीं है पर सहनीय है .जिस दिन मैंने उस नष्ट विनष्ट कार को देखा ईश्वर को धन्यवाद दिया .उसकी दशा देखकर कोई नहीं मानेगा कि तब हम इसके भीतर रहे होंगे .
जीवन एक रहस्य है .मेरे विलक्षण छोटे भ्राता ने इस घटना से एक घंटे पहले मुझे फ़ोन कर पूछा भैया आपकी गाड़ी में कुछ गड़बड़ है क्या ? मुझे नकारात्मक वाइब्रेशन आ रहे है तब इंदौर में मेरी सरकारी गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी .
उमरिया के डॉ स्व विनय जैन जी और उनके अनुजवत डॉ रांका जो उज्जैन में दंत चिकित्सक थे, उन्होंने मेरे पाँच दाँत बलि चढ़ने से बचा लिये .डॉ सोनी जिन्होंने मेरे टूटे हुए मेंडीबुलर की चकनाचूर हड्डियों को जोड़ा उन्होंने इतनी कुशलता से शल्य क्रिया की कि कोई अन्दाज़ ही नहीं कर पाता कि हुआ क्या था .
और अंत में यह जानकर आपको कैसा लगेगा कि घटना के कई माह पूर्व स्वप्न में मैं इसे घटते देख चुका था .