Ashok Gehlot’s New Political Style: गांधी वाटिका म्यूजियम पर 28 सितंबर को धरना प्रदर्शन,राजस्थान में उप चुनावों की जमीन तैयार करने की रणनीति 

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Ashok Gehlot’s New Political Style: गांधी वाटिका म्यूजियम पर 28 सितंबर को धरना प्रदर्शन,राजस्थान में उप चुनावों की जमीन तैयार करने की रणनीति 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

राजस्थान में अगले अक्टूबर नवम्बर में होने वाले सात विधान सभा सीटों के उप चुनावों के लिए भाजपा और कांग्रेस सोनी रणनीति बनाने में जुट गई है। देश के दो प्रदेशों जम्मू कश्मीर और हरियाणा में हो रहे विधान सभा में भी दोनों दलों के राजस्थान के काफी नेता लगे हुए है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। इससे कांग्रेस के नेता बहुत उत्साहित है।

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी द्वारा नियुक्त सीनियर ऑब्जर्वर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी स्लिप डिस्क की बिमारी से उबर कर पूरी तरह राजनीति में सक्रिय हो गए है और राजस्थान की राजनीति में गर्माहट लाने के लिए

मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पहली बार जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को जागरूक करने के लिए जयपुर में अपने कुछ गांधीवादी समर्थकों के साथ धरना देंगे। उनका यह धरना 28 सितंबर को गांधी वाटिका म्यूजियम पर सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक होगा। धरना का उद्देश्य गांधी वाटिका म्यूजियम शुरू करने की मांग पर बताई जा रही हैं। अशोक गहलोत ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में यह म्यूजियम बनवाया था। बताया जाता है कि करीब 85 करोड़ की लागत से यह विश्वस्तरीय म्यूजियम बना है।

गहलोत ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से व्यक्तिगत रूप से इसे शुरू कराने का आग्रह किया था और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को समर्पित इस म्यूजियम को शुरू कराने की मांग भी की थी, लेकिन म्यूजियम बने एक साल होने के बावजूद इस पर ताले लगे हुए हैं।

प्रदेश में भजनलाल सरकार को बने करीब नौ महीना हो गया है। इस दौरान मजबूत विपक्ष के रूप में विधान सभा के अंदर और बाहर विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस ने भाजपा को घेरने का प्रयास किया और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 सीटों पर विजय भी हासिल की लेकिन पिछले नौ महीनों में भजन लाल सरकार के खिलाफ कांग्रेस एक भी बड़ा धरना और प्रदर्शन खड़ा नही कर पाई है। हर रोज कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के बयान मीडिया में अवश्य आते है।

राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत ने इन परिस्थितियों में एक बार फिर से गांधी वाटिका म्यूजियम के नाम से जमीनी स्तर पर एक मुहिम शुरू करने की पहल की है। गहलोत का राजनीति में अपना एक अलग अंदाज है और राष्ट्रपिता गांधी जी के इस मुद्दे को उठा कर वे प्रदेश में होने वाले विधान सभा उप चुनावों और निकाय चुनावों से पहले राजनीतिक धरातल पर गिर से अपनी छाप छोड़ने का प्रयास कर रहें है।

अशोक गहलोत ने जयपुर स्थित सेंट्रल पार्क में गांधी वाटिका म्यूजियम के उद्घाटन के बावजूद इसे आम जनता के लिए न खोलने को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह विश्वस्तरीय म्यूजियम 85 करोड़ रुपये की लागत से बना है और उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से व्यक्तिगत रूप से आग्रह भी किया, लेकिन इसके बावजूद इसे अभी तक जनता के लिए नहीं खोला गया है।इस विरोध के प्रतीक स्वरूप वे और गांधीवादी विचारधारा से जुड़े लोग 28 सितंबर को सेंट्रल पार्क, जयपुर के गेट नंबर 5 पर सुबह 11 बजे से अपराह्न 4 बजे तक धरना देंगे, ताकि म्यूजियम को आम जनता के लिए खोले जाने की मांग को आगे बढ़ाया जा सके।

इसके अतिरिक्त पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए जिलों के गठन को लेकर कहा है कि यह निर्णय परीक्षण के बाद लिया गया था और इसे एक प्रयोग के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में और अधिक जिलों की गुंजाइश है। इसके साथ ही उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस वहां एकतरफा जीत दर्ज करेगी।

    पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व CM गहलोत ने कहा कि नए जिलों के गठन पर बिना योजना के काम करने के आरोपों के जवाब में गहलोत ने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां हर 40 किलोमीटर पर एक नया जिला है, और यह प्रबंधन की सोच पर निर्भर करता है कि आप इसे किस प्रकार से संचालित करना चाहते हैं।

देखना है कांग्रेस के चाणक्य अशोक गहलौत का गांधी वाटिका म्यूजियम के ताले खुलवाने का यह गांधीवादी तरीका और नया राजनीतिक अंदाज क्या गुल खिलाने वाला है और राजस्थान में होने वाले उप चुनावों की जमीन तैयार करने की रणनीति पर इसका असर कितना गहरा रहने वाला है?