Cases of Atrocities on SC/ST : ये 3 राज्य जहां 2022 में SC और ST पर अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए!
New Delhi : दो साल पहले 2022 में दलितों के खिलाफ हुए ज्यादातर अत्याचार के मामले उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे 13 राज्यों में ही देखने को मिले। इन राज्यों में लगभग 98% मामले दर्ज किए गए। आदिवासियों के साथ भी ऐसा ही हुआ। इन 13 राज्यों में ही आदिवासियों के खिलाफ भी लगभग 99% मामले दर्ज हुए।
अनुसूचित जाति (SC) के खिलाफ 2022 में अत्याचार के सभी मामलों में से लगभग 97.7% मामले 13 राज्यों में दर्ज किए गए। इनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में ऐसे सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) एक्ट के तहत नई सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, ST के खिलाफ ज्यादातर अत्याचार भी इन 13 राज्यों में केंद्रित थे, जहां 2022 में सभी मामलों में से 98.91% मामले सामने आए। 14 राज्यों के 498 जिलों में से केवल 194 में इन मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए विशेष अदालतें स्थापित की गई।
SC के खिलाफ अत्याचार के 51,656 केस दर्ज
12,287 केस UP में हुआ जो कुल मामलों का 23.78% है। 8,651 केस राजस्थान में दर्ज किए जो कुल मामलों का 16.75% है। जबकि, मध्यप्रदेश में 7,732 केस दर्ज हुए जो कुल दर्ज मामलों का 14.97% है। 6,799 केस बिहार में दर्ज हुए जो कुल मामलों का 13.16% है। 3,576 मामले ओडिशा में जो 6.93% है। 2,706 केस महाराष्ट्र में जो 5.24% है। ये 6 राज्य कुल मामलों का लगभग 81% हिस्सा है।
इस रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2022 के दौरान भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ SC/ST ऐक्ट के तहत दर्ज कुल मामलों (52,866) में से 97.7% (51,656) मामले 13 राज्यों में हैं। ST के खिलाफ अत्याचार के ज्यादातर मामले 13 राज्यों में हुए। 2022 में ST कानून के तहत 9,735 केस दर्ज हुए। इनमें सबसे ज्यादा 2,979 केस मध्यप्रदेश में हुए जो कुल मामलों का 30.61% है। 2,498 केस राजस्थान में, जो 25.66% है। 773 केस ओडिशा में जो 7.94% है। 691 केस (7.10%) के साथ महाराष्ट्र और 499 केस (5.13%) के साथ आंध्र प्रदेश भी शामिल है।
SC से जुड़े 60.38% मामलों में चार्जशीट दायर की गईं है। जबकि, 14.78% झूठे दावों या सबूतों की कमी जैसे कारणों से अंतिम रिपोर्ट के साथ खत्म कर दिए गए। 17,166 केस में जांच 2022 के अंत तक लंबित रही। ST पर अत्याचार से जुड़े 2,702 केस अब भी जांच के अधीन है।