Indore Metropolitan Region : इंदौर बहुत जल्द महानगर बनेगा, मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने की कवायद शुरू!

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Indore Metropolitan Region : इंदौर बहुत जल्द महानगर बनेगा, मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने की कवायद शुरू!

 

आसपास के चार जिलों का 7,863 वर्ग किमी क्षेत्र को मिलाकर महानगर की शक्ल दी जाएगी!

 

Indore : प्रदेश के बड़े नगरों को अब महानगरों में बदलने की कोशिश शुरू हो गई। राज्य सरकार ने प्रदेश के चार बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर को महानगरों (मेट्रोपोलिटन सिटी) में बदलने की योजना पर काम करना शुरु कर दिया। इसी क्रम में इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई।

इंदौर महानगर में आसपास के जिलों के हजारों वर्ग किमी क्षेत्र को शामिल किया जा रहा है। राज्य सरकार के निर्देश पर इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन के लिए कवायद की जा चुकी है। जिला प्रशासन ने नगर निगम की सीमा में आने वाले कई गांवों को शामिल करने की योजना बनाई है। इंदौर मेट्रोपोलिटन रीजन के अंतर्गत चारों ओर के 29 गांवों के समग्र विकास की पहल की जा रही है।

इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन में इन गांवों के साथ ही इंदौर से सटे धार, उज्जैन और देवास जिले के हिस्से भी शामिल किए गए हैं। मेट्रोपालिटन रीजन के रूप में इंदौर सहित चारों जिलों के समग्र विकास की योजना बनाई गई।

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अधिकारियों के अनुसार इंदौर के 29 गांवों के साथ ही उज्जैन, धार और देवास के कई गांवों को भी इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन में शामिल किया गया है। इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन के रूप में सभी चार जिलों का कुल 7,863 वर्ग किमी एरिया मिलाकर महानगर की शक्ल लेगा। प्रस्तावित इंदौर महानगर में धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर को भी शामिल किया गया है।

नगर निगम सीमा में करीब एक दशक पहले शामिल किए गए इन गांवों में टैक्स बढ़ोत्तरी की गई। लेकिन, सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया। नगर निगम के अधिकारी अब इस पर फोकस कर रहे हैं। सभी 29 गांवों में अब आधुनिक और सुविधायुक्त कॉलोनियां नजर आएंगी। यहां के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारा जाएगा, सड़क जैसी मूलभूत अधोसंरचनाएं डेवलप की जाएंगी और बिजली, पानी की सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। पेयजल के लिए नर्मदा का पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

जिला प्रशासन द्वारा तैयार किए गए इंदौर मेट्रोपालिटन रीजन (महानगरीय क्षेत्र) के प्रस्ताव में भी ये गांव शामिल हैं। इन गांवों में कृषि भूमि पर कई कॉलोनी विकसित हुई या बहुमंजिला इमारतें बन गईं। लेकिन, मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पीपल्याकुमार, लिंबोदी टिगरिया राव, मुंडला नायता, पालदा, बिलावली, बिचौली हप्सी, छोटा बांगड़दा, बरदरी भौंरासला, भानगढ़, कुमेड़ी आदि गांवों में अब बिजली, पानी के साथ ही ड्रेनेज लाइन भी डाली जा रही है।