Raja Patria’s Statement : कांग्रेस नेता ने कहा ‘मंदिरों के निजीकरण की मांग और किसानों के शोषण में गहरा गठजोड़!’
Damoh : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजा पटैरिया ने एक बयान जारी कर तिरुपति बालाजी देवस्थान से जुड़ी प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाने की घटना पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और टीडीपी दोनों ने राज्य सरकार पर इस मुद्दे को गलत तरीके से संभालने का आरोप लगाया जो अनुचित है।
यह एक संवेदनशील मामला है और भारत के हर कोने में इसे लेकर चर्चा हो रही है। लेकिन, इस विवाद के पीछे एक गंभीर साजिश है, जिसे चालाकी से पर्दे के पीछे से चलाया जा रहा है। इस बहाने राष्ट्रीय मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकालने की मांग की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मंदिरों की अपार संपत्ति को अपने नियंत्रण में लेना है। तिरुपति, सबरीमाला और अन्य बड़े मंदिरों से आने वाली धनराशि बहुत अधिक होती है, और इस धन का उपयोग अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए करने की चाल है। यह सिर्फ मंदिरों का मामला नहीं है। यह सत्ता और नियंत्रण का खेल है।
गाय के नाम पर किसानों का शोषण
यह नियंत्रण केवल मंदिरों तक सीमित नहीं है। यह उन किसानों तक भी पहुंच चुका है, जो भारत की रीढ़ हैं। प्रदेश में सरकार किसानों से दूध 25 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदती है, फिर भी बाजार में मिलावटी दूध और उत्पाद बेचे जा रहे हैं। ऐसे में किसान कैसे जिंदा रह सकते हैं, जब उन्हें अपनी मेहनत का सही दाम नहीं मिलता।
मंदिर प्रबंधन में पारदर्शिता हो
मंदिरों के प्रबंधन में पारदर्शिता जरूरी है। हमने देखा कि सिंहस्थ में शिवराज सरकार के दौरान कैसे सप्तऋषि की मूर्तियों में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि निजीकरण से प्रबंधन नहीं सुधरेगा। यह सरकार सार्वजनिक हितों की रक्षा करने में विफल रही है। हम किसानों के अधिकारों की मांग करते हैं। किसानों को अधिक अधिकार, बेहतर मूल्य और शोषण से सुरक्षा मिलनी चाहिए। किसानों, मंदिरों और सार्वजनिक धन का भविष्य खतरे में है। सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण का विरोध करना चाहिए और उन लोगों को वह सम्मान और अधिकार दिलाना चाहिए, जिनकी मेहनत से यह देश चलता है।